कश्मीर में सत्तर वर्षों तक जिनके साथ अन्याय हुआ अब उनको मिलेगा न्याय : शाह
गृह मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाना कुछ लोगों को खटक गया है।
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में सत्तर वर्षों तक जिनके साथ अन्याय हुआ और जिन्हें अपमानित किया गया अब उनको सम्मान के साथ अधिकार मिलेगा।
शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पर छह घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए आज कहा कि 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई उनको न्याय दिलाने का विधेयक है। किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं उन्हें आगे लाना चाहिए, यही भारत के संविधान की मूल भावना है। उन्हें इस तरह से आगे लाना होगा जिससे उनका सम्मान कम न हो।
उन्होंने कहा कि 80 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ जब अत्याचार हुए उन्हें बेघर किया गया तो कोई मदद के लिए सामने नहीं आया। उस समय की सरकारें अगर पहले आतंकवाद को खत्म करते तो इन लोगों को प्रदेश छोडऩे की जरूरत नहीं पड़ती। जब ये लोग विस्थापित हुए तो उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में जाना पड़ा। एक लाख से ज्यादा लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। ऐसे विस्थापित हुए कि उनकी जड़े ही अपने क्षेत्र अपने राज्य से उखड़ गए। यह विधेयक इन लोगों को आधार देने का है।
गृह मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाना कुछ लोगों को खटक गया है।
उन्होंने कहा,'' परिसीमन की जो सिफारिश है उसको कानूनी जामा पहनाकर आज इसे संसद के सामने रखा है। दो सीटें कश्मीर विस्थापितों के लिए आरक्षित होंगी। एक सीट पीओके के विस्थापित व्यक्तियों के लिए दी जाएगी। परिसीमन आयोग की सिफारिश के पहले जम्मू में 37 सीटें थीं जिसे अब 43 कर दी गई हैं।कश्मीर में पहले 46 सीटें थी अब 47 हुई है। पीओके की 24 सीटें हमने रिजर्व रखी है क्योंकि वो हिस्सा हमारा है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहले 107 सीटें थीं जो अब बढ़कर 114 हो गई हैं। पहले दो नामांकित सदस्य हुआ करते थे अब पांच सदस्य होंगे।"
शाह ने कहा,'' प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा। पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। दूसरा- संयुक्त राष्ट्र में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की गलती की।"
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