शहर छोड़ गांवों  की ओर पलायन की बढ़ रही प्रवृत्ति

शहर छोड़ गांवों  की ओर पलायन की बढ़ रही प्रवृत्ति

एक समय था जब लोग गांवों से शहरों की ओर भागते थे। नौकरी, शिक्षा और सुविधाओं की तलाश में लोग गांवों को छोड़कर शहर चले जाते थे, लेकिन आजकल यह सिलसिला उल्टा हो गया है।

एक समय था जब लोग गांवों से शहरों की ओर भागते थे। नौकरी, शिक्षा और सुविधाओं की तलाश में लोग गांवों को छोड़कर शहर चले जाते थे, लेकिन आजकल यह सिलसिला उल्टा हो गया है। अब लोग शहरों से गांवों की ओर जाने लगे हैं। हालांकि आज भी इसकी तुलना में गांवों से शहरों की ओर पलायन का अनुपात काफी अधिक है। वैसे तो भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की अधिकांश जनता शहरों की अपेक्षा गांवों में अधिक बसती है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में तीव्र गति से बढ़ते शहरीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। लेकिन हाल के वर्षों में, एक नई प्रवृत्ति उभरी है, जिसे रिवर्स माइग्रेशन के रूप में जाना जाता है। इस प्रवृत्ति में शहरों से लोग अपने मूल गांवों की ओर वापस लौट रहे हैं। रिवर्स माइग्रेशन का अर्थ है कि किसी व्यक्ति या समूह का अपने मूल स्थान पर वापस लौटना। सामान्य शब्दों में, रिवर्स माइग्रेशन से तात्पर्य महानगरों और शहरों से गांवों एवं कस्बों की ओर होने वाले पलायन से है। रिवर्स माइग्रेशन एक नई प्रवृत्ति है, जो भारत सहित कई देशों में देखी जा रही है।

शहर से गांव की ओर पलायन की प्रवृत्ति बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय तथा व्यक्तिगत कारण शामिल हैं। इसका एक आर्थिक कारण यह है कि महानगरों और शहरों में रहने की लागत बढ़ती जा रही है। शहरों में रहने के लिए उच्च किराए, भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे खर्चों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। इसका सामाजिक कारण यह है कि शहरों में रहने के कारण लोगों को अपने परिवार और दोस्तों से दूर रहना पड़ता है, जिससे उन्हें अकेलापन और अलगाव महसूस होता है। शहरों में जीवन की रफ्तार तेज होने के कारण लोगों को अधिक तनाव में रहना पड़ता है। लोगों को काम, घर और परिवार के लिए कई तरह की जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ता है। इससे लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं। गांवों में जीवन की रफ्तार धीमी होती है और लोग एक-दूसरे के करीब रहते हैं। इससे लोगों को तनाव कम होता है। इसके अलावा शहरों में प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय समस्याएं अधिक हैं। शहरों में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण लोग स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण की तलाश में गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। शहरों में वाहनों और कारखानों के धुएं और अन्य प्रदूषणकारी पदार्थों से वायु और जल प्रदूषित हो रहा है। इससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है और कई तरह की बीमारियां होती हैं। इसीलिए लोग ऐसी जगहों में जाकर रहना चाहते हैं, जहां प्रदूषण कम हो। गांवों में शहरों की तुलना में प्रदूषण का स्तर कम होता है और वातावरण अधिक शुद्ध होता है। इससे लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। गांवों में जीवन की रफ्तार धीमी होती है। वहां का वातावरण शांत होता है। इससे लोगों को तनाव कम होता है। गांवों में लोग एक-दूसरे के करीब रहते हैं। वे एक-दूसरे की मदद करते हैं। इससे लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलती है। शहरों में वाहनों के शोरगुल और भीड़भाड़ से भी लोग परेशान हो रहे हैं। कुछ लोग अपने शहरी जीवन से ऊब चुके हैं। वे अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं और एक सरल और शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। गांवों में प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है। इससे लोगों को शांति और आनंद मिलता है। पहले गांवों में सुविधाओं का अभाव था। लेकिन आजकल गांवों में भी कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे कि बिजली, पानी, सड़कें, स्कूल, अस्पताल आदि। इससे लोग गांवों में रहने के लिए आकर्षित होते हैं। गांवों में रहने के कई लाभ हैं। कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाओं के कारण भी लोग गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। गांवों में कृषि भूमि अपेक्षाकृत सस्ती होती है, जिससे व्यावसायिक कृषि करना आसान हो जाता है। इसके अलावा, सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन भी प्रदान किए जा रहे हैं, जो किसानों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना होने से लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। साथ ही पशुपालन, मत्स्य पालन, पर्यटन आदि क्षेत्रों में भी बेहतर अवसर उपलब्ध होने की वजह से लोग शहरों से वापस गांवों की ओर लौट रहे हैं।

भारत में रिवर्स माइग्रेशन एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति है। 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण कई प्रवासी श्रमिकों को अपने मूल स्थान पर वापस लौटना पड़ा। कोरोना महामारी के बाद लोगों में ऐसी जगहों पर जाकर रहने का ट्रेंड देखने को मिला है, जहां का वातावरण शुद्ध है और यह सब वर्क फ्रॉम होम जैसे विकल्पों की उपलब्धता के कारण संभव हो सका। वायु प्रदूषण की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में पलायन के उदाहरण देखने को मिले हैं। यही कारण है कि समाज के अमीर वर्ग के लोग भी अब गांवों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे गांवों में जमीन खरीद रहे हैं, फार्म हाउस बनवा रहे हैं और खेती कर रहे हैं। वैसे तो शहरों जैसी सुविधाएं गांवों में उपलब्ध नहीं होतीं, लेकिन आजकल लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सचेत हो रहे हैं। ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों और मोटे अनाजों का चलन फिर बढ़ रहा है।      

-रंजना मिश्रा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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इसलिए लोगों की जैविक कृषि और मोटे अनाजों के उत्पादन में रुचि बढ़ रही है। इससे उन्हें ताजे जैविक खाद्य पदार्थ प्राप्त हो जाते हैं और अधिक क्षेत्रफल पर व्यावसायिक खेती करके वे उससे अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। साथ ही डेयरी उद्योग, पशुपालन और मत्स्य पालन आदि कार्यों के लिए भी गांवों में अधिक जमीन और अनुकूल वातावरण होता है। इसीलिए वर्तमान समय में अधिकांश धनी वर्ग बड़ी-बड़ी जमीनें खरीदकर इन क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं। कुछ लोग ग्रामीण क्षेत्रों में नए उद्योग धंधों की भी स्थापना कर रहे हैं, क्योंकि यहां शहरों के मुकाबले व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा कम है और श्रमिक भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। दरअसल कुछ समय पूर्व तक यह माना जाता था कि शहरों में जाकर नौकरी करने और घर बसाने से ही जीवन सुखी हो सकता है और परिवार का भलीभांति पालन-पोषण किया जा सकता है। लेकिन अब गांवों के विकास के साथ-साथ लोगों की सोच में भी परिवर्तन आया है। अब लोग समझने लगे हैं कि गांवों में रहकर भी आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है और सुखी जीवन व्यतीत किया जा सकता है। उन्हें प्रदूषणयुक्त शहरों की आपाधापी भरी जिंदगी से गांवों का प्रदूषणमुक्त, कम सुविधा वाला जीवन अधिक पसंद आ रहा है।

 

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रिवर्स माइग्रेशन के कई सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। इससे गांवों में कृषिए पशुपालनए पर्यटन आदि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापार और उद्योग धंधे शुरू होने के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है। रिवर्स माइग्रेशन से शहरी लोग ग्रामीण जीवन शैली से परिचित होते हैंए इससे ग्रामीण जीवन शैली को बढ़ावा मिलता है। रिवर्स माइग्रेशन से शहरों से पलायन करने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़ेगाए जिससे शहरों में प्रदूषण कम होगा। रिवर्स माइग्रेशन से शहरों और गांवों के बीच सामाजिक समरसता बढ़ेगी। शहरी लोग गांवों की संस्कृति और जीवन शैली से परिचित होंगेए जबकि ग्रामीण लोग शहरी लोगों के अनुभवों से लाभान्वित होंगे। लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव भी हैं। शहरों से गांव की ओर पलायन होने से महानगरों और शहरों में श्रमिकों की कमी होती हैए जिससे आर्थिक विकास प्रभावित होता है। रिवर्स माइग्रेशन ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सेवाओं पर दबाव डाल सकता है। दरअसल जब ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ती हैए तो बुनियादी ढांचे और सेवाओं को बढ़ाने की आवश्यकता होती है। इससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का दबाव बढ़ने से पानीए भूमि और आवास आदि संसाधनों की कमी हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ सकती हैए क्योंकि शहरों से पलायन करने वाले लोग अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार नहीं पा पाते हैं। जब लोग शहरों से गांवों में वापस जाते हैं तो वे अपने साथ अपनी शहरी जीवनशैली और मूल्यों को भी अपने साथ लाते हैं। शहरी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में आकर अपनी संस्कृति और जीवन शैली को स्थापित कर सकते हैंए जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की पारंपरिक संस्कृति और जीवन शैली खतरे में पड़ सकती है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता कम हो सकती है। यही कारण है कि रिवर्स माइग्रेशन को एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
रिवर्स माइग्रेशन के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाने और नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए सरकार और अन्य लोगों को मिलकर प्रयास करने चाहिए। इस प्रवृत्ति को व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में बिजलीए पानीए सड़केंए स्कूलए अस्पतालए आदि बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ध्यान देना चाहिए। गांवों में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए। गांवों में कृषि और पशुपालन को बढ़ावा देना चाहिए। किसानों को कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। लोगों को भी गांवों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए। गांवों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखना लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। इसके अलावा गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर को भी बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए। साथ ही गांवों में पारंपरिक संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित करना भी जरूरी है। गांवों की ओर लोगों का रुझान बढ़ना एक अच्छा संकेत है। इससे गांवों का विकास होगाए और लोग स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकेंगे। रिवर्स माइग्रेशन से ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिल सकता है। दरअसल जब लोग शहरों से गांवों में वापस जाते हैंए तो वे अपने कौशल और अनुभवों को ग्रामीण क्षेत्रों में लाते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
वैसे तो अभी रिवर्स माइग्रेशन का प्रारंभिक दौर है और इसका प्रतिशत काफी कम है। लेकिन यह आने वाला वक्त ही बताएगा कि बढ़ती विकास प्रक्रियाओं के साथ यह प्रवृत्ति क्या रूप लेती है और किस प्रकार शहरी व ग्रामीण जीवन को प्रभावित करती है। हालांकि इस बात की संभावना अधिक है कि रिवर्स माइग्रेशन की प्रवृत्ति भविष्य में भी जारी रहेगीए क्योंकि शहरों में प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा हैए जिससे पर्यावरणीय समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। इससे लोगों का गांवों की ओर रुझान बढ़ेगा। कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के विकास से कृषि उत्पादन में वृद्धि हो रही है और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आय में वृद्धि होगी और अधिकतर लोग कृषि कार्यों की ओर आकर्षित होंगे। शहरों में बढ़ती महंगाईए बेरोजगारीए अपराध आदि समस्याओं से लोग परेशान हो रहे हैं। इससे लोगों का शहरों से मोह भंग हो रहा है और वे शहर छोड़कर गांवों की ओर प्रस्थान करेंगे।

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