प्लांटेशन की दीवार चोरी करवाने वालों को बचा रहा वन विभाग

जांच के नाम पर लीपापोती कर रहा वन विभाग

प्लांटेशन की दीवार चोरी करवाने वालों को बचा रहा वन विभाग

दोषी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ नहीं की कार्रवाई।

कोटा। रावतभाटा रोड स्थित आवंली-रोजड़ी प्लांटेशन की सुरक्षा दीवार चोरी के मामले की जांच में कोटा वन मंडल द्वारा खानापूर्ति कर दी गई। वन अधिकारियों ने जांच में प्लांटेशन की 5 किमी पत्थरों की सुरक्षा दीवार चोरी और अवैध खनन होना स्वीकार किया। वहीं, दबी जुबान से तत्कालीन रैंज अधिकरी व कर्मचारियों की मिलीभगत होना भी मान रहे। इसके बावजूद संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही। जबकि, वर्तमान में प्लांटेशन क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है और इसी प्लांटेशन के आगे नया प्लांटेशन चल रहा है। जहां अधिकारियों व कर्मचारियों का आना-जाना रहता है। इसके बावजूद माफिया पत्थर चोरी कर गए। यह मिलीभगत के बगैर संभवन नहीं है। फिर भी वन अपराध रोकने में नाकाम अधिकारी व कर्मचारी  के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। हालांकि, मुख्य वन संरक्षक एवं फिल्ड निदेशक द्वारा अपने स्तर पर अलग से जांच करवाकर कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है। 

यह है मामला
नॉबार्ड योजना के तहत वर्ष 2018 से 2022 तक (पांच वर्षीय) लाडपुरा रैंज की आवंली-रोजड़ी में प्लांटेशन हुआ था। जिसे आवंली-रोजड़ी-2, 3 व 4 का नाम दिया गया। तीनों प्लांटेशन 50-50 हैक्टेयर में पौधरोपण किए गए। प्रत्येक 50 हैक्टेयर में 10 हजार पौधे रोपे गए। इस तरह कुल 150 हैक्टेयर में 30 हजार पौधे लगे थे। जिनकी सुरक्षा के लिए सड़क किनारे 5 किमी लंबी और 4 फीट उंची सुरक्षा दीवार बनवाई थी। यह पत्थरों की कच्ची दीवार थी। पौधों की देखरेख व सुरक्षा की जिम्मेदारी तत्कालीन लाडपुरा रैंजर व नाका प्रभारी के जिम्मे थी। इसके बावजूद वर्ष 2022 जून से जुलाई 2023 के बीच दीवार के सारे पत्थर चोरी हो गए। इतना ही नहीं, 50 हैक्टेयर में अंदर की ओर बनी दीवार भी गायब है। इससे तीनों प्लांटेशन फेल हो गए। वर्तमान में 150 हैक्टेयर में मात्र 36 प्रतिशत पौधे ही जीवित पाए गए। इसका खुलासा गत 6 फरवरी को तत्कालीन डीएफओ के मौके पर पहुंचने पर हुआ था।

अधिकारियों ने माना चोरी हुई दीवार
संभागीय मुख्य वन संरक्षक रामकरण खैरवा ने दैनिक नवज्योति में खबर प्रकाशित होने के बाद मामले की जांच कोटा वन मंडल डीएफओ से करवाई। जिन्होंने गत शुक्रवार को ही जांच कर रिपोर्ट सीसीएफ को सौंप दी। जिसमें आवंली-रोजड़ी प्लांटेशन की सुरक्षा दीवार चोरी होना सही पाया गया है। वहीं, प्लांटेशन के पीछे वनभूमि पर माफियाओं द्वारा अवैध खनन किए जाना भी स्वीकार किया गया। इसके बावजूद लाड़पुरा रैंज के तत्कालीन रैंजर, नाकेदार सहित बीट प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। जबकि, प्लांटेशन व वनभूमि की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं अधिकारियों व कर्मचारियों की थी। इनकी निगरानी के बावजूद माफिया पत्थर चोरी कर गए। फिर भी जिम्मेदार वन अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही। 

जांच में खुली पोल 
गत 6 फरवरी 2024 को वन मंडल की 12 सदस्य टीम ने गश्ती दल रैंजर के नेतृत्व में आंवली रोजड़ी-2, 3 व 4 तीनों 50-50 हैक्टेयर में हुए के प्लांटेशन की दीवार की जांच की थी। इसमें 5 किमी की सुरक्षा दीवार गायब मिली। वहीं, टीम सदस्यों ने 4 ब्लॉक बनाकर प्लोटिंग सैम्पलिंग करवाकर पौधों की गणना की थी। मौके पर 650 गड्ढ़े मिले। जिसमें 243 पौधे ही जीवित मिले। तीनों वृक्षारोपण में लगाए गए पौधों का सरवाइल रेट करीब 36 प्रतिशत मिला। इस पर तत्कालीन डीफओ ने तत्कालीन लाडपुरा रैंजर व नाका प्रभारी को नोटिस देकर मामले में स्पष्टीकरण मांगा। लेकिन, जांच नतीजे पर पहुंचती उससे पहले ही उनका ट्रांसफर हो गया और जांच ठप हो गई। 

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विभाग की जांच पर यह उठे सवाल
पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने कहा कि कोटा वन मंडल ने जांच के नाम पर लीपापोती की है। दीवार व अवैध खनन में लिप्त तत्कालीन रैंज अधिकारी व संबंधित वनकर्मचारियों को बचाया जा रहा है। वर्तमान डीएफओ द्वारा हाल ही में की गई जांच में प्लांटेशन अच्छी स्थिति में होना बताया लेकिन, प्लोटिंग सैंपलिंग कर पौधों की गणना नहीं करवाई गई। यदि, प्लोटिंग सैंपलिंग की जाती तो वास्तिविक सरवाइवल रेट नजर आती। वहीं, तत्कालीन डीएफओ के निर्देश पर गत 6 फरवरी को वनर्मियों ने पौधों की जांच की तो सरवाइवल रेट मात्र 36 प्रतिशत मिली थी। जबकि, वन विभाग के नियमानुसार, 40 प्रतिशत से कम पौधों की सरवाइवल रेट होती है तो प्लांटेशन फेल माना  जाता है और उसकी रिकवरी जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारियों से की जाती है। वर्तमान में पौधे झाड़ियों में तब्दील हो चुके हैं। लेकिन, विभाग की नजर में झाड़िया सघन पौधरोपण है।

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नवज्योति ने उजागर किया था मिलीभगत का गठजोड़
दैनिक नवज्योति ने गत 8 अप्रेल को वन विभाग की सुरक्षा दीवार चोरी, 150 हैक्टेयर प्लांटेशन फेल शीर्षक से खबर प्रकाशित कर वनकर्मियों का माफियाओं से मिलीभगत का गठजोड़ उजागर किया था। इसके बाद वन विभाग ने मामले की जांच की, जिसमें पत्थरों की दीवार चोरी होना सही पाया गया। इसके बावजूद वन अधिकारियों द्वारा जिम्मेदार संबंधित वनकर्मियों व अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। जबकि, बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

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आवंली रोजड़ी प्लांटेशन की दीवार चोरी होने के मामले की जांच गत शुक्रवार को पूरी कर मुख्य वन संरक्षक एवं फिल्ड निदेशक को सौंप दी है। अब वे किसी ओर से आगे की जांच करवाएंगे। यहां पुराने समय से अवैध खनन चला आ रहा है। प्लांटेशन की स्थिति अच्छी है। प्लांटेशन भी इसीलिए करवाया गया था कि यहां खनन रुके। लेकिन, प्लांटेशन का समय हुआ और स्टाफ हटते ही एक-दो साल में खनन होने लगा। पत्थर की दीवार चोरी हुई है। 
- अपूर्व कृष्ण श्रीवास्तव, डीएफओ, कोटा वन मंडल


आवंली रोजड़ी प्लांटेशन की पत्थरों की सुरक्षा दीवार चोरी  हुई है। जांच में साबित हुआ है। इसमें प्रारंभिक तौर पर मिलीभगत नजर आती है। अब मैं इसकी जांच करूंगा, जिसमें दोषी पाए जाने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोषी वनकर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा। 
- रामकरण खैरवा, मुख्य वन संरक्षक एवं फिल्ड निदेशक, कोटा संभाग वन विभाग 

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