दो साल में 86 हजार हैंडपंप सूखे

पेयजल के लुप्त हो रहे पौराणिक जल स्रोत, शहरों के साथ गांवों में भी पानी का संकट

दो साल में 86 हजार हैंडपंप सूखे

राज्य में वर्ष 2023 में अति दोहित ब्लॉक का प्रतिशत 71.52 प्रतिशत तक पहुंच गया। 302 ब्लॉक में से केवल 38 ब्लॉक में ही पीने योग्य पानी बचा है।

38 ब्लॉक में पीने योग्य पानी
जयपुर। प्रदेश में लगातार गिरते जा रहे भूजल स्तर के कारण पेयजल के परंपरागत स्रोत भी सूखते जा रहे है। पिछले दो साल में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूपों के साथ ही हैण्डपंप भी ड्राई हो गए है। इससे जलदाय विभाग के लिए पेयजल आपूर्ति का नया संकट बनता जा रहा है। मौटे तौर पर देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के लिए हैण्डपंप मुख्य स्रोत था, जो सिफारिशों के आधार पर स्वीकृत होता था, लेकिन अब इसकी स्थिति भयावह होती जा रही है अर्थात दो साल में 86,847 हैण्डपंप ड्राई हो चुके हैं। यही हाल शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूपों का देखने को मिल रहा है अर्थात वर्ष 2022-23 में शहरी क्षेत्रों में नलकूपों की संख्या 789 थी, जो 2023-24 में घटकर 499 रह गई।

राज्य में भूजल की स्थिति
राजस्थान का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। राज्य में वर्ष 2023 में अति दोहित ब्लॉक का प्रतिशत 71.52 प्रतिशत तक पहुंच गया। 302 ब्लॉक में से केवल 38 ब्लॉक में ही पीने योग्य पानी बचा है। 216 ब्लॉकों का तो अत्यधिक दोहन होने से पानी पीने के योग्य तक नहीं हैं। वर्ष 2022 में 219 ब्लॉक अति दोहित थे, जो वर्ष 2023 में उनकी संख्या 216 रह गई अर्थात तीन ब्लॉक का जल स्तर सुधरा है।

क्या है नलकूपों की स्थिति
शहरी क्षेत्रों में 2022-23 में नलकूपोंं की संख्या 789 थी, जो 203-24 में घटकर 499 रह गई। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूपों की संख्या वर्ष 2022-23 में 2460 थी, जो 2023-24 में घटकर 1832 रह गई। इसी तरह शहरी क्षेत्रों में 2022-23 में हैण्डपंपों की संख्या 556 थी, जो घटकर 2023-24 में 382 रह गई। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में 2022-23 में हैण्डपंपों की संख्या 4766 थी, जो 2023-24 में बढ़कर 5686 हो गई।

85 शहर सतही जल पर निर्भर
राज्य के 85 शहर व कस्बें सतही जल स्रोत एवं 89 शहर भूगर्भीय जलस्रोत पर आधारित है। शेष 77 सतही एवं भूगर्भीय दोनों जलस्रोतों पर निर्भर हैं। सात प्रमुख शहर जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, भरतपुर, कोटा एवं उदयपुर में सतही जलस्रोत से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। राज्य का क्षेत्रफल देश का 10.4 प्रतिशत होने के बावजूद सतही जल की उपलब्धता मात्र 1.16 प्रतिशत ही है।

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