1 साल में 945 ट्रांसप्लांट हुए, 269 मामले में मरीज और दानदाता रिश्तेदार नहीं, 171 विदेशियों के ऑर्गन लगे
आगे की कानूनी कार्रवाई एसआईटी ही करेगी, जांच रिपोर्ट भी सौंपी जाएगी
अवैध ट्रांसप्लांट का रिकॉर्ड नहीं मिला, 2020 से खेल चल रहा लेकिन दस्तावेज गायब मिले, कमेटी केवल एक साल के प्रत्यारोपण के कागजात एकत्रित कर पाई
जयपुर। राजस्थान में फर्जी एनओसी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग की गठित उच्चस्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट बुधवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान ने चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर को एसीएस शुभ्रा सिंह की मौजूदगी में सौंप दी। रिपोर्ट आने के बाद खींवसर, शुभ्रा सिंह और इकबाल खान ने एक साथ मीडिया से बातचीत करते हुए बताया है कि 2020 से कितने ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए, फर्जी एनओसी से चल रहे खेल के सारे रिकॉर्ड नहीं मिल पाए हैं। पुलिस ने स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ऑर्गेनाइजेशन यानी सोटो का ऑफिस सीज कर रखा था, दस्तावेज इधर-उधर थे। कितने अवैध ट्रांसप्लांट हुए, इसकी भी कोई रिकॉर्ड अनुसार जानकारी अभी नहीं जुटाई जा सकी है। इसके चलते कमेटी ने एक साल में हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट की रिपोर्ट तैयार की है। इसके अनुसार एक साल में अधिकृत 4 सरकारी और 11 प्राइवेट अस्पतालों में कुल 945 ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए। जिनमें से 82 सरकारी और 863 प्राइवेट अस्पतालों में हुए। इनमें भी 933 का ही रिकॉर्ड मिला है। 882 किडनी और 51 लीवर ट्रांसप्लांट किए गए। करीब 18 फीसदी यानी 171 विदेशियों के अंग लगाए गए, जिनमें 95 फीसदी बांग्लादेशी मरीज थे। शेष 5 फीसदी नेपाली और कम्बोडियन थे। अब यह रिकॉर्ड सरकार द्वारा गठित एसआईटी को दिया जाएगा। प्रदेश में अब थोहा एक्ट के तहत ऑर्गन ट्रांसप्लांट की नई एसओपी भी बनाई जाएगी।
एसआईटी से जांच इसलिए
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग में केवल ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट के उल्लंघन पर सीधे कोर्ट में दोषियों पर कार्रवाई का नियम है, लेकिन प्रदेश में हुए मामलों में अंग खरीदे-बेचे गए, पैसों का भारी लेन-देन हुआ, गिरोह लिप्त रहे ऐसे में पुलिस के समुचित प्राधिकारी लगाया गया और जांच एसआईटी के जिम्मे दी गई है।
किस प्राइवेट अस्पताल में कितने ट्रांसप्लांट हुए
सबसे ज्यादा फोर्टिज में 103, ईएचसीसी में 34, मणिपाल हॉस्पिटल में 31, महात्मा गांधी अस्पताल में 2 लोगों के ट्रांसप्लांट हुए। इनमें से शक की सुई महात्मा गांधी अस्पताल के अलावा अन्य अस्पतालों पर टिकी है।
डॉ. बागड़ी भी निलंबित, डॉ. बगरहट्टा और डॉ.अचल को 16 सीसीए का नोटिस
एसएमएस अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र बागड़ी को भी निलंबित कर दिया गया है। वे ट्रांसप्लांट से जुड़ी राज्य प्राधिकार समिति के कोर्डिनेटर थे। बिना तारीख और समय के उनके मीटिंग्स नोटिस मिले हैं। डॉ. बगरहट्टा और डॉ. अचल शर्मा को बर्खास्तगी के बाद अब 16 सीसीए का नोटिस जारी कर आगामी सेवा नियमों में कार्रवाई होगी।
पूर्व सरकार से चला खेल, राजस्थान को देशभर में शर्मिंन्दा होना पड़ा : खींवसर
चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि 2020 से यह खेल चल रहा था, हमारी सरकार आने के बाद मामला उजागर हुआ। सीएम ने इस पर जीरो टालरेंस की नीति पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। राजस्थान को मामले में देशभर में शर्मिन्दा होना पड़ा है। तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत ने दो पत्र तब प्रदेश सरकार को लिखकर ऑर्गन ट्रांसप्लांट में अनियमितताओं पर अपनी बात कही थी। सोटों संचालन पर सवाल उठाए थे। लेकिन सोटों को हाईजैक कर मेडिकल कॉलेज से डॉ भंडारी आरयूएचएस ले गए। तीन की जगह दो ही कमेटियां कर दी गई। सोटो और कमेटियों की बैठकें नहीं होती थी। जो हुई उनकी मिनिट्स तक नहीं मिली। डॉ.बगरहट्टा और डॉ.अचल ने बिना उच्चस्तरीय परमिशन के मामले को एसीबी में दिया। दस दिन बाद एसीएस को बताया, यह गलत है। क्योंकि यह उनका व्यक्गित मामला नहीं था। ये दोनों भी कमेटियों के जिम्मेदार पद पर थे। लापरवाही उनकी भी थी, इसलिए कार्रवाई भी हुई।
एसएमएस में भी हुए विदेशियों के प्रत्यारोपण
एसएमएस अस्पताल में भी पिछले एक साल में आठ विदेशियों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट होने की जानकारी आई है। हालांकि एसीएस शुभ्रा सिंह ने कहा कि यहां पैसों के लेन-देन या डॉक्टरों की संलिप्तता जैसी बात अभी सामने नहीं आई है लेकिन अभी जांच बाकी है, एसआईटी मामले में आगामी परतें खोलेंगी तो जो भी दोषी होगा, उन पर कार्रवाई होगी।
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