न्यूरो इंटरवेंशनल कोइलिंग प्रक्रिया से मरीज को मिला नया जीवन
डॉ. गुप्ता ने बताया कि जैसे कैथ लैब में कार्डियक एंजियोग्राफी की जाती है, वैसे ही डीएसए का उपयोग करके तार के माध्यम से मस्तिष्क एंजियोग्राफी की जाती है।
जयपुर। निम्स हार्ट एंड ब्रेन हॉस्पिटल में 45 वर्षीय मरीज को न्यूरो इंटरवेंशनल कोइलिंग प्रक्रिया के जरिए नया जीवन दिया गया है। दरअसल मरीज गंभीर ब्रेन एन्यूरिज्म यानी दिमाग की नस फूलने से गुब्बारा फटना वाली स्थिति से पीड़ित था और जान जाने का खतरा लगभग 70 प्रतिशत था। चीफ न्यूरो इंटरवेंशनलिस्ट डॉ. मदन मोहन गुप्ता ने बताया कि मरीज ने अचानक कमजोरी और गंभीर सिरदर्द की शिकायत की। जब मरीज को यहां लाया गया तो सीटी स्कैन और ब्रेन एंजियोग्राफी से ब्रेन एन्यूरिज्म का पता चला। जिसमें रक्त वाहिकाओं में काफी सूजन देखी गई। इस पर हमने मरीज की न्यूरो इंटरवेंशनल कोइलिंग प्रक्रिया करने का निर्णय लिया। इस प्रक्रिया में सूजी हुई धमनी में छोटी ट्यूब डाली जाती है, जिससे मस्तिष्क में कोई चीरा लगाए बिना सर्जरी की जा सकती है। इसमें डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी ब्रेन एन्यूरिज्म कोइलिंग का उपयोग करके, हम बिना किसी ओपन सर्जरी की आवश्यकता के स्टेंट डालकर मस्तिष्क धमनी विस्फार का इलाज कर सकते हैं। जिससे मरीज बिना किसी नुकसान के सामान्य जीवन जी सकता है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि जैसे कैथ लैब में कार्डियक एंजियोग्राफी की जाती है, वैसे ही डीएसए का उपयोग करके तार के माध्यम से मस्तिष्क एंजियोग्राफी की जाती है। यदि मस्तिष्क की नस में गुब्बारा फट जाता है और रक्तस्राव होता है तो न्यूरो इंटरवेंशनल कोइलिंग प्रक्रिया बिना सर्जरी के की जा सकती है।
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