केवल 7 जिलों में कांग्रेस कार्यालयों के दफ्तर, 33 किराए के भवनों में संचालित
करीब सात लाख रुपए का किराया बाकी है
यह भवन भी पैसे की कमी के चलते अभी तक नहीं बन पाया है। अब कांग्रेस क्राउड फंडिग के जरिए भवन निर्माण शुरू कराने की कोशिश में जुटी है।
जयपुर। प्रदेश कांग्रेस के अधिकांश जिलों में खुद के कार्यालय नहीं है। प्रदेश के 40 जिलाध्यक्ष कार्यालयों में केवल 7 जिलों के पास खुद की बिल्डिंग है और 33 जिला कांग्रेस कार्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं। कांग्रेस के पास केवल सीकर, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, कोटा और नागौर जिले में खुद के पार्टी कार्यालय हैं। शेष जिलों में किराए के भवनों में चल रहे कार्यालयों में जयपुर शहर और जयपुर देहात कांग्रेस भी शामिल हैं, जो खुद राजधानी में कार्यालय होकर किराए के भवनों में संचालित हैं। हालात यह हैं कि कई किराए के भवनों का किराया तक कांग्रेस जमा नहीं करवा पा रही है। जयपुर शहर और देहात के कार्यालयों पर तो करीब सात लाख रुपए का किराया बाकी है।
पिछली सरकार में कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने जिलों में खुद की संपत्ति खरीदने की कवायद शुरू की थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पीसीसी मुख्यालय का नया हाईटेक कार्यालय बनाने के लिए भी कांग्रेस को मानसरोवर में बड़ी जमीन आवंटित हुई थी। कार्यालय का शिलान्यास करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आए थे। यह भवन भी पैसे की कमी के चलते अभी तक नहीं बन पाया है। अब कांग्रेस क्राउड फंडिग के जरिए भवन निर्माण शुरू कराने की कोशिश में जुटी है। भवन नहीं बनने से पार्टी और अग्रिम संगठनों की गतिविधियां लगातार प्रभावित हो रही हैं।
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