बजट में बिजली उपभोक्ताओं की आस, समस्या निस्तारण के लिए आवास के पास मिले कार्यालय
कार्यालय खोलने के प्रस्ताव ही नहीं भिजवाए हैं
कई उपभोक्ताओं और बिजली विभाग के अनुभवी अफसरों से बात की तो पता चला कि तीनों बिजली कंपनियों जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम ने अभी तक नए कार्यालय खोलने के प्रस्ताव ही नहीं भिजवाए हैं।
जयपुर। प्रदेश के आम बजट से पहले बिजली उपभोक्ताओं को भी उम्मीद है कि आबादी के हिसाब से राज्य सरकार बिजली दफ्तरों की संख्या बढ़ाएं, ताकि उन्हें घर के आसपास ही उनकी समस्याएं दर्ज कराने और समाधान कराने में आसानी हो। हालात यह हैं कि बिजली कंपनियों के अतिरिक्त बिजली कार्यालय खोलने के प्रस्ताव केवल कागजों में सीमित रह जाने से उपभोक्ताओं को अच्छी सेवाएं देना दूभर हो रहा है। आम बजट में बिजली उपभोक्ताओं को आस है कि उन्हें बजट में सौर ऊर्जा में बड़ी घोषणाओं के साथ उनकी रोजमर्रा की शिकायतों को दूर करने के लिए नए दफ्तर खोलने की सौगातें भी मिलेंगी। कई उपभोक्ताओं और बिजली विभाग के अनुभवी अफसरों से बात की तो पता चला कि तीनों बिजली कंपनियों जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम ने अभी तक नए कार्यालय खोलने के प्रस्ताव ही नहीं भिजवाए हैं।
वास्तविकता यह है कि राज्य में फिलहाल जितने कनिष्ठ अभियंता उप कार्यालय, उपखण्ड कार्यालय, खंड कार्यालय और अधीक्षण अभियंता कार्यालय हैं, उनमें निर्धारित मापदंड से कई गुणा ज्यादा उपभोक्ता हैं। जिसके चलते नए कनेक्शन जारी करने, लोड बढ़ाने, लोड घटाने, बिजली बंद समस्या, 33/11 केवी फीडर में आए दिन होने वाले फॉल्ट, केबल में फॉल्ट, खराब मीटरों को समय से बदलवाने, वोल्टेज के उतार चढ़ाव को सही करना, बिलों में गड़बड़ी को दुरुस्त करने जैसे काम प्रभावित हो रहे हैं। दूसरी तरफ खुद राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग के जारी स्टैण्डर्ड ऑफ परफॉर्मेंस 2021 के निर्देशों की भी पूरी तरह पालना नहीं हो रही है।
एक्सपर्ट का मानना है कि 33 केवी उपकेन्द्रों के प्रस्ताव भी बनने चाहिए। इसके अलावा राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम को भी 400 केवी, 220 और 132 केवी उपकेन्द्रों के प्रस्ताव बनाकर भेजने चाहिए, ताकि समय रहते बजट में इनकी घोषणाएं हो सके। कागजों में ही मापदंड बनते रहेंगे तो जनता को बेहतर सुविधाएं दिलाना मुश्किल काम हो जाएगा।
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