कृषि की दुनिया में प्रतिभा का लौहा मनवा रहीं बेटियां
कृषि शिक्षा में सरकार छात्राओं को फीस से ज्यादा दे रही प्रोत्साहन राशि
उम्मेदगंज कृषि महाविद्यालय में 90 से ज्यादा छात्राओं को मिल रहा लाभ।
कोेटा। कृषि की दुनिया में बेटियां अपनी प्रतिभा से लौहा मनवा रही है। सरकार ने प्रोत्साहन दिया तो छात्राओं ने भी दिमागी प्रतिस्पर्दा में मुकाम हासिल कर बेंचमार्क स्थापित किया है। एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कोटा में बेटियों को बीएससी से पीचएडी तक की शिक्षा मुफ्त मिल रही है। जिससे कृषि में बालिकाओं का रूझान इस कदर बढ़ा की अनुसंधान से लेकर कृषि वैज्ञानिक तक का मुकाम हासिल किया है। दरअसल, कृषि शिक्षा में बालिकाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार प्रोत्साहन राशि दे रही है। यह राशि इतनी अधिक है कि बेटियों की बीएससी से पीचएडी तक की शिक्षा पूरा खर्च निकल जाता है। यानी कि, छात्राएं एडमिशन के दौरान जितनी फीस देती हैं, उतनी ही राशि सरकार प्रोत्साहन राशि के रूप में वापस लौटा देती है। इस तरह बेटियों की पढ़ाई पूरी तरह से मुफ्त हो जाती है।
बीएससी-एमएससी में 25 व पीएचडी में 40 हजार मिलती राशि
उम्मेदगंज कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. मूलचंद जैन ने बताया कि वर्तमान में कॉलेज में यूजी से लेकर पीएचडी तक करीब 90 छात्राएं अध्ययनरत हैं। जिन्हें प्रतिवर्ष प्रोत्साहन राशि का लाभ मिल रहा है। बीएससी में छात्राओं को प्रतिवर्ष 25 हजार प्रोत्साहन राशि मिलती है। इसी तरह पीचडी में प्रतिवर्ष 40 हजार रुपए मिलते हैं। वहीं, उच्च शिक्षा में बेटियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। गोल्ड मेडल में बेटियां अव्वल: कृषि महाविद्यालय के 25 जून को हुए दीक्षांत समारोह में कुल 10 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिए गए थे। जिसमें सर्वाधिक 6 छात्राएं शामिल थीं। जबकि, छात्रों की संख्या 4 ही थी। इतना ही नहीं, दो बड़े पदक चांसलर व वाइस चांसलर गोल्ड मेडल पर भी दो छात्राओं का ही कब्जा रहा।
पीचएडी तक यूं हो रही शिक्षा फ्री
डीन डॉ. जैन ने बताते हैं, कृषि में बीएससी 4 साल की होती है, जिसमें कुल 8 सेमेस्टर होते हैं। प्रत्येक सेमेस्टर की फीस 10 हजार है। इस तरह कुल फीस 80 हजार रूपए होती है। जबकि, छात्राओं को प्रतिवर्ष 25 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि मिलती है। ऐसे में बालिकाओं को 4 साल में कुल 1 लाख रुपएप्रोत्साहन राशि के रूप में मिल जाते हैं। यानी, बीएससी की कुल फीस से 20 हजार रुपए अधिक मिलते हैं। इसी तरह एमएससी की कुल फीस 60 है और 50 हजार प्रोत्साहन के रूप में मिल जाते हैं। वहीं, तीन वर्षीय पीएचडी की कुल फीस 1 लाख 20 हजार है, जबकि प्रतिवर्ष 40 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में पूरी फीस वापस लौटा देती है। इस तरह बेटियों की एग्रीकल्चर बीएससी से पीएचडी तक की शिक्षा फ्री हो जाती है।
कृषि वैज्ञानिक अधिकारी बनी बेटियां
कोटा कृषि विश्वविद्यालय की गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा रितिका हाड़ा ने आलू की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले अगेती अंगमारी रोग से किसानों को राहत दिलाने के लिए अनुसंधान किया। जिससे फसल पर बायोलॉजिकल बदलाव से आलू रोग मुक्त हुआ। रितिका वर्तमान में उदयपुर में कृषि अधिकारी है। इसी तरह गोल्ड मेडलिस्ट नीलम नामा ने अपनी रिसर्च के दम पर गर्मियों में भी मूंग की फसल होना संभव कर दिखाया। नीलम वर्तमान में बारां जिले में कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। वहीं, कोटा की उदिती धाकड़ ने वर्ष 2023 के दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति स्वर्ण पदक के साथ ब्रांच टॉपर रहने पर दो गोल्ड मेडल हासिल किए थे।
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही प्रोत्साहन राशि योजना कारगर साबित हो रही है। कृषि शिक्षा के प्रति बेटियों का जबरदस्त रुझान बढ़ा है। कृषि सेक्टर में बेटियां अपना कॅरियर संवार रहीं है। एग्रीकल्चर कॉलेजों में 30 प्रतिशत आरक्षण से ज्यादा आवेदन एडमिशन के आने लगे हैं। पिछले दो दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल हासिल करने वालों में लड़कियों की संख्या अधिक है। फसल सुधार, फसल उत्पादन, पौध संरक्षण, बीजों की नई किस्म ईजाद करना सहित कई अनुसंधान में छात्राओं की भूमिका अहम रही है।
- डॉ. मूलचंद जैन, डीन कृषि उम्मेदगंज कॉलेज कोटा
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