नवज्योति की ख़बर का असर: फिर पाबंदी के आदेश, निकायों में पार्षद पतियों की नो एंट्री
आदेश की पालना नहीं होने पर कार्रवाई
स्वायत्त शासन विभाग ने इस मामले में पुराने आदेश का हवाला देते हुए फिर से सभी निकायों के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि निकायों के क्रियाकलापों और बैठकों में महिला पार्षद के पति या रिश्तेदार शामिल नहीं होंगे।
जयपुर। प्रदेश की नगर निगमों, नगर परिषदों एवं नगर पालिकाओं में भले ही महिला जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुई हो, लेकिन निकायों के क्रियाकलापों, बैठकों आदि में उनके पति या अन्य नजदीकी रिश्तेदार सक्रिय रुप से हिस्सा लेते है। सरकार के बार-बार निर्देश जारी करने के बाद भी इस पर रोक नहीं लग पा रही है। स्वायत्त शासन विभाग ने इस मामले में पुराने आदेश का हवाला देते हुए फिर से सभी निकायों के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि निकायों के क्रियाकलापों और बैठकों में महिला पार्षद के पति या रिश्तेदार शामिल नहीं होंगे। यही नहीं निकाय के कामों में भी पति या रिश्तेदार दखलअंदाजी नहीं करेंगे। अगर इस आदेश का उल्लंघन किया गया तो संंबंधित अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
काम के देते हैं निर्देश
गत दिनों ग्रेटर नगर निगम जयपुर में पूर्व कार्यवाहक महापौर शील धाभाई ने भी महिला पार्षद के पतियों की एंट्री बंद कर दी थी। बाकायदा निगम दफ्तर में जगह-जगह पार्षद पति की नो एंट्री के पर्चे तक लगाए गए थे। धाभाई ने कहा था कि इस आदेश के पीछे उनका मंतव्य यही है कि महिला पार्षद खुद एक्टिव हों और खुद समझे कि निगम में काम कैसे करवाया जाता है। पार्षद पतियों की एन्ट्री को लेकर निकायों के अधिकारी-कर्मचारी भी शिकायतें करते रहे है। पार्षद पति अधिकारियों के काम में भी हस्तक्षेप करते हैं। खुद महिला पार्षद कुछ नहीं बोलती और उनके पति ही सभी आदेश देते हैं।
नवज्योति ने उठाया था मुद्दा
दैनिक नवज्योति ने इस मुद्दे को उठाया था सरकार और प्रशासन तक खबर के माध्यम से बात रखी थी कि कैसे महिला जनप्रतिनिधि भले ही निर्वाचित होती है, लेकिन निकायों के क्रियाकलापों, बैठकों में उनके पति या रिश्तेदार सक्रिय रूप से हिस्सा लेते रहे है।
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