सूर्यास्त के बाद नजर आया धूमकेतु, हजारों साल बाद दिखा
धूमकेतु सी/2023 ए-3 (त्सुचिंशान-एटलस) पृथ्वी के करीब दिखाई दिया
सालभर तक देख सकेंगे खगोल प्रेमी मगर दूरी बढ़ती जाएगी हर दिन
जयपुर। धरती के पास धूमकेतु (पुच्छल तारा) गुजारता हुआ दिख रहा है। जिसे लोग सूर्यास्त के बाद देख सकते हैं। एस्ट्रोनॉमी से जुड़े जानकारों का कहना है कि एक या दो दिन नहीं पूरे साल यह पुच्छल तारा मौसम साफ रहने पर दिखाई देगा। माना जा रहा है कि यह धूमकेतु कई हजार साल बाद दिखाई दे रहा है जिसे दूरबीन, टेलिस्कोप इत्यादि से देखा जा सकेगा।
वैसे शहर से दूर के इलाकों में जहां मौसम साफ दिखाई देता है वहां पर इसे आंखों से देख सकेंगे। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के स्मॉल बॉडी डेटाबेस के अनुसार यह धूमकेतु सी/2023 ए-3 (त्सुचिंशान-एटलस)पृथ्वी के करीब दिखाई दिया। हालांकि यह 12 और 13 अक्टूबर को और ज्यादा करीब था लेकिन बादलों के कारण दिखाई नहीं दिया। इसकी धरती से दूरी करीब 7 करोड़, 6 लाख, 69 हजार 238 किलोमीटर होगी।
फिलहाल यह धूमकेतु 80.74 किमी प्रति सैकण्ड की तेज गति से आगे बढ़ रहा है। इस वजह से यह 15 से 20 मिनट तक सूर्यास्त के समय दिखाई दिया। माना जा रहा है यह अपनी चमक की वजह से कॉमेट ऑफ दा ईयर की पदवी भी हासिल कर सकता है। पृथ्वी से लगभग 73,913,477 किलोमीटर की दूरी से भी आगे निकल चुका है। अभी यह 3.2 प्रकाश परिमाण से प्रकाशित हो रहा है।
इस धूमकेतु के टूटकर बिखर जाने की भी आशंका थी लेकिन सितम्बर में यह लौट आया और अब जोरदार चमक के साथ पश्चिम के क्षितिज पर चमचमा रहा है। यह धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर हो रहा है। सोसायटी की तरफ से खगोल विज्ञान को पसंद करने वाले प्रेमियों को यह पुच्छल तारा टेलिस्कोप से दिखाया गया तो वे रोमांचित हो उठे। यह हल्के लाल रंग में नजर आता है। वहीं धूमकेतु पर अध्य्यन कर रहे विज्ञानियों की नजर हर पल इस पर टिकी हुई है। धूमकेतु का आकार 50 किमी से बड़ा हो सकता है। छोटे आकार वाले बौने धूमकेतु कहलाते हैं। 10 किमी से अधिक आकार वाले बड़े धूमकेतु कहलाते हैं। 50 किमी से ज्यादा बड़े गोलीर्थ धूमकेतु कहा जाता है।
-राहुल शर्मा, एस्ट्रोलॉजर, जयपुर एस्ट्रोनॉमी सोसायटी
Comment List