प्रचार के लिए मैदान में उतरेंगे कांग्रेसी दिग्गज

चुनावी रंग दिखाई देने लगेगा

प्रचार के लिए मैदान में उतरेंगे कांग्रेसी दिग्गज

कांग्रेस के अधिकांश नेता भी दीपावली त्यौहार के दौरान लोगों के बीच शुभकामनाएं लेने देने में व्यस्त नजर आए। 

जयपुर। राजस्थान विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस दिग्गज नेता मैदान में उतरकर चुनाव प्रचार में जुटेंगे। प्रचार कार्यक्रम के तहत कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट दौसा में और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली रामगढ़ सीट पर प्रचार करने के लिए मैदान में उतरेंगे। कांग्रेस ने वैसे तो 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, लेकिन मुख्य प्रभाव तो पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट का ही नजर आ रहा है। कांग्रेस के अधिकांश नेता भी दीपावली त्यौहार के दौरान लोगों के बीच शुभकामनाएं लेने देने में व्यस्त नजर आए। 

अब प्रचार में तेजी के साथ आगामी दिनों में उपचुनाव क्षेत्रों में चुनावी रंग दिखाई देने लगेगा। कांग्रेस के नेता भी प्रचार के लिए पूरी दम इसलिए लगा रहे हैं, क्योंकि अधिकांश सीटों पर उपचुनाव से पहले कांग्रेस का ही कब्जा था। दौसा, देवली-उनियारा, झुंझुंनू और रामगढ़ सीट पर कांग्रेस के ही विधायक थे। सत्ताधारी दल से कड़ी टक्कर की चुनौती के बीच कांग्रेस नेताओं के लिए भी राह आसान नजर आ रही है, लिहाजा दिग्गज नेता भी गांव-गांव और ढाणी-ढाणी प्रचार करने में पूरी ताकत झोंकेंगे। बडे नेताओं के कमान संभालने से पहले स्थानीय नेता और प्रभारी फील्ड में पसीना बहाते नजर आ रहे हैं। 

जातिगत समीकरण साधने के लिए नेताओं को जिम्मेदारी
कांग्रेस रणनीतिकार अधिकांश सीटों पर जातिगत समीकरण साधकर चुनाव जीतने पर काम कर रहे हैं। दौसा सीट पर गुर्जर-मीणा समीकरण साधने के लिए कांग्रेस ने कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट पर भरोसा जताया है तो देवली-उनियारा में भी पायलट ही अहम फेक्टर हैं। झुंझुनूं सीट पर जाट-राजपूत समीकरण साधने के लिए पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा की अहम भूमिका रहेगी। रामगढ़ सीट पर अल्पसंख्यक और एससी-एसटी वर्ग को साधने के लिए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह मोर्चा संभाले हुए हैं। जाट बाहुल्य खींवसर सीट की जिम्मेदारी में भी पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा की अहम भूमिका मानी जा रही है। चौरासी और सलूम्बर सीट पर आदिवासी जातियों को साधने के लिए स्थानीय आदिवासी नेताओं के साथ ही डोटासरा, पूर्व सीएम अशोक गहलोत तथा पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ.सीपी जोशी की भूमिका अहम रहेगी। 

बागी और भीतरघात से निपटना भी चुनौती
दौसा, देवली-उनियारा और झुंझुनूं सीट पर सांसद मुरारीलाल मीणा, हरीशचन्द्र मीणा और बृजेन्द्र ओला की भी राजनीतिक परीक्षा बनी हुई है। दौसा में भाजपा के मंत्री डॉ.किरोड़ीलाल मीणा के प्रभाव से चुनौती बनी हुई है तो देवली-उनियारा में बागी होकर चुनाव लड़ रहे नरेश मीणा ने कांग्रेस की चुनौती बढ़ा दी है। झुंझुनूं में पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा के पर्चा दाखिल करने से राजपूत वोटों में सेंधमारी, एससी,एसटी और ओबीसी वोट बैंक में सेंधमारी रोकना भी दिग्गज नेताओं के जिम्मे है। 

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