बिहार में पीके-ओवैसी का मुस्लिम समीकरण मायावती की रणनीति जैसा : बिहार चुनाव में मुस्लिम वोटर के प्रभाव वाली हैं 11 सीटें, एनडीए ने भी 4 मुस्लिमों को दिया टिकट
मुस्लिम वोटों के बंटवारे का फायदा और नुकसान
बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान दिन ही मायावती ने कैमूर के भभुआ से प्रचार शुरू किया। बीएसपी ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। मुस्लिम प्रभाव वाली 11 सीटों पर एआईएमआईएम, जन सुराज और महागठबंधन के कई मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं। इससे वोट बंटने की संभावना बढ़ी है, जिसका फायदा एनडीए को मिल सकता है।
पटना। मायावती की भी बिहार चुनाव में एंट्री हो गई है और, यह ठीक उसी दिन हुआ है जब बिहार में पहले चरण का मतदान हो रहा है। मायावती ने कैमूर के भभुआ क्षेत्र का रुख किया है, ताकि उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे आसपास के इलाकों तक बीएसपी की बात पहुंचाई जा सके। बिहार की 200 से ज्यादा सीटों पर तो मायावती पहले भी चुनाव लड़ती रही हैं, 2025 के लिए पहले ही सभी 243 सीटों पर बीएसपी के चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने वालों में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के अलावा आप पार्टी भी है और मकसद के हिसाब से देखें तो लब्बोलुआब सभी की भूमिका वोटकटवा से ज्यादा नजर नहीं आ रही है।
बीएसपी पर बीजेपी की मददगार बनने का इल्जाम :
मायावती के राजनीतिक विरोधी यूपी में बीएसपी पर बीजेपी की मददगार बनने का इल्जाम लगाते रहे हैं और, ये आरोप खासतौर पर मुस्लिम आबादी वाले इलाकों के लिए बीएसपी की रणनीति को लेकर लगता है - यूपी की ही तरह बिहार में भी ये नजारा दिखता है, खासकर तब जब प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी की रणनीति मुस्लिम प्रभाव वाली विधानसभा सीटों पर समझने की कोशिश करते हैं। जिस तरह से मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए हैं, प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी भी काफी हद तक उसी रोल में नजर आते हैं, जिस तरह के बीएसपी नेता मायावती पर यूपी में आरोप लगाए जाते हैं।
किसके कितने उम्मीदवार ?
बिहार की अगर मुस्लिम वोटर के प्रभाव वाले 11 सीटों की बात करें।
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सभी सीटों पर एआईएमआईएम के उम्मीदवार उतारे हैं। प्रशांत किशोर एक सीट छोड़कर 10 सीटों पर जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ा रहे हैं।
मुस्लिम आबादी वाली इन 11 सीटों में से 3 तो ऐसी हैं, जिन पर एआईएमआईएम और जन सुराज पार्टी के साथ साथ महागठबंधन और एनडीए तक ने मुस्लिम नेताओं को ही टिकट दिया है। वैसे एनडीए ने 11 में से 4 सीटों पर मुस्लिम चेहरों पर ही भरोसा किया है।
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 4 जबकि चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी-आर ने एक मुसलमान को टिकट दिया है। बीजेपी की तरफ से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में नहीं है।
मुस्लिम वोटों के बंटवारे का फायदा और नुकसान :
चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने मुस्लिम वोट न बंटने देने की तरफ इशारा किया था। प्रशांत किशोर का कहना था, खुद को मुसलमानों का रहनुमा बताने वाली पार्टियों से हमारा यह कहना है कि अगर मुसलमानों की इतनी चिंता है तो वे भी घोषणा करें कि जन सुराज जहां से मुस्लिम कैंडिडेट को लड़ाएगा, वहां से महागठबंधन अपना मुस्लिम कैंडिडेट नहीं देगा। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। वैसे भी महागठबंधन में ही फ्रेंडली मैच चल रहा हो, तो बिहार के चुनाव मैदान में ताल ठोकने का तो सबको हक मिला हुआ है।

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