पर्यटक होंगे प्रदेश की सतरंगी संस्कृति से रू-ब-रू : श्री पुष्कर पशु मेले का आगाज 22 से, 7 नवम्बर को होगा समापन, पशुपालकों को आने का न्योता

सोशल मीडिया पर मेले का प्रचार 

पर्यटक होंगे प्रदेश की सतरंगी संस्कृति से रू-ब-रू : श्री पुष्कर पशु मेले का आगाज 22 से, 7 नवम्बर को होगा समापन, पशुपालकों को आने का न्योता

पशुपालन विभाग 22 अक्टूबर से 7 नवम्बर तक होने वाले श्री पुष्कर पशु मेले की तैयारियों में जुट गया है।

अजमेर। पशुपालन विभाग 22 अक्टूबर से 7 नवम्बर तक होने वाले श्री पुष्कर पशु मेले की तैयारियों में जुट गया है। मेले में आने वाले पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को प्रदेश की सतरंगी संस्कृति से रूबरू कराने के लिए प्रदेश के पशुपालकों को परिवार सहित मेले में आने का न्योता दे रहा है। जिससे कि निकट भविष्य में मेले में पर्यटकों की संख्या को बढ़ाया जा सके। पुष्कर मेला, पशु मेले के नाम से विख्यात है, वहीं इसका धार्मिक महत्व भी है। हर साल मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु, पर्यटक और पशुपालक आते हैं। जो मेले के दौरान आयोजित होने वाले विभिन्न आयोजनों का हिस्सा बनते हैं, वहीं धार्मिक रीति-रिवाजों की रस्म अदा करते हैं। लेकिन बीते कई सालों से मेले में पशुओं की संख्या लगातार घटती जा रही है। जिससे पशु मेले का वजूद संकट में आ गया है। इसीलिए विभाग अब अधिक से अधिक पशुपालकों को मेले से जोड़ने के प्रयास कर रहा है। यही कारण है कि मेले में प्रदेश के पशुपालकों को परिवार सहित मेले में आने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। मेले में पशुपालकों को रियायती दर पर रसद सामग्री व खाने के पैकेट उपलब्ध होंगे। जिससे उन पर आर्थिक भार नहीं पड़ेगा।

सोशल मीडिया पर मेले का प्रचार :

विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर मेले के प्रचार-प्रसार और पशुपालकों को परिवार सहित मेले में आने का निमंत्रण दिया जा रहा है। यह कार्य फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप पर पोस्ट के माध्यम से किया जा रहा है। साथ ही अधिकारी पशुपालकों के ग्रुप में भी पोस्ट के माध्यम से उन्हें मेले में अधिक से अधिक संख्या में आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

झलकेगी सांस्कृतिक विविधता :

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डॉ. घीया ने बताया कि इस प्रयास से मेले में जहां पशुओं की संख्या बढ़ेगी, वहीं यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को एक जगह पर ही राजस्थान की संस्कृति, सभ्यता, रहन-सहन, खानपान सहित सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलेगी। जिससे निकट भविष्य में मेले में इनकी संख्या भी बढ़ेगी।

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