साइबर ठग अपना रहे नए-नए पैंतरे : सम्मन और वारंट का भय दिखा दे रहे वारदातों को अंजाम, ऑनलाइन माध्यमों से ऐंठते हैं पैसे
एफआईआर नोटिस सोशल मीडिया के माध्यम से भेजकर ऑनलाइन भुगतान की मांग करते हैं
उपमहानिरीक्षक पुलिस साइबर क्राइम विकास शर्मा ने बताया कि अपराधी खुद को न्यायालय अधिकारी या पुलिस बताकर नागरिकों को डराते हैं और ऑनलाइन माध्यमों से पैसे ऐंठते हैं।
जयपुर। राजस्थान पुलिस ने शुक्रवार को साइबर ठगी के विरूद्ध एडवाइजरी जारी करते हुए वारदातों से बचने और सावधानी बरतने के बारे में बताया है। एडवाइजरी में साइबर ठग नए-नए पैंतरों झूठी एफआईआर, कोर्ट सम्मन-वारंट, और जमानत के नाम पर व्हाटस्एप और ईमेल के माध्यम से ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं। उपमहानिरीक्षक पुलिस साइबर क्राइम विकास शर्मा ने बताया कि अपराधी खुद को न्यायालय अधिकारी या पुलिस बताकर नागरिकों को डराते हैं और ऑनलाइन माध्यमों से पैसे ऐंठते हैं।
साइबर अपराधी अब इन तरीकों से फंसा रहे
डीआईजी शर्मा ने बताया कि आरोपी धमकी भरा नोटिस का इस्तेमाल कर खुद को न्यायालय अधिकारी, पुलिस अधिकारी या अधिवक्ता बताते हैं।
फर्जी दस्तावेज जैसे डिजिटल हस्ताक्षर युक्त फर्जी न्यायालय सम्मन, जमानती वारंट, एफआईआर नोटिस सोशल मीडिया के माध्यम से भेजकर ऑनलाइन भुगतान की मांग करते हैं।
बचने के उपाय
सत्यापन करें: संदिग्ध कोर्ट सम्मन,वारंट मिलने पर उसकी सत्यता संबंधित न्यायालय या पुलिस थाने से पता करें ।
लिंक पर क्लिक न करें: अनजान माध्यमों से मिले नोटिस में दिए गए संदिग्ध लिंक पर क्लिक से बचें।
ऑनलाइन भुगतान से परहेज: किसी भी अनजान व्यक्ति या संस्था आपसे जमानत राशि या शुल्क ऑनलाइन ट्रांसफर की मांग करे तो नहीं करें।
सोशल मीडिया पर सावधानी : सोशल मीडिया से प्राप्त संदिग्ध लिंक, वीडियो कॉल, दस्तावेज की गहनता से जांच करें। उसे तब तक नहीं खोलें जबतक विश्वसनीय नहीं हो।
भूलकर नहीं दें गोपनीय जानकारी: अपना आधार, बैंक खाता विवरण, ओटीपी किसी को भी साझा न करें। ठगी का शिकार होने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें।

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