चिकित्सा शिक्षा विभाग : मेडिकल कॉलेजों में अब 5 अतिरिक्त प्राचार्य संभालेंगे अलग-अलग जिम्मेदारियां, 57 साल की उम्र तक ही बन सकेंगे प्राचार्य और अधीक्षक
अकादमिक गुणवत्ता और अस्पताल सेवाओं में सुधार की उम्मीद
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है। विभाग ने प्राचार्य एवं अधीक्षक पदों के चयन और कार्यविभाजन को लेकर नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की है। नई SOP के अनुसार अब प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में पांच-पांच अतिरिक्त प्राचार्य (ADP) नियुक्त किए जाएंगे।
जयपुर। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है। विभाग ने प्राचार्य एवं अधीक्षक पदों के चयन और कार्यविभाजन को लेकर नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की है।
नई SOP के अनुसार अब प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में पांच-पांच अतिरिक्त प्राचार्य (ADP) नियुक्त किए जाएंगे। इन सभी को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, एक को एकेडमिक कार्य, एक को रिसर्च और फैकल्टी अफेयर्स, एक को स्टूडेंट अफेयर्स, एक को एडमिनिस्ट्रेशन और एक को क्लिनिकल एवं हॉस्पिटल सर्विसेज का दायित्व दिया जाएगा।
विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन पांचों में से सबसे वरिष्ठ मेडिकल टीचर को अतिरिक्त प्राचार्य प्रथम बनाया जाएगा। पहले तक कॉलेजों में अतिरिक्त प्राचार्य का निर्धारण स्टूडेंट्स की सीट संख्या और संलग्न अस्पतालों में बेड्स की संख्या के आधार पर किया जाता था, लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह से जिम्मेदारी आधारित होगी। जहां फैकल्टी की संख्या स्वीकृत पदों से कम है, वहां उसी अनुपात में अतिरिक्त प्राचार्य नियुक्त किए जाएंगे। इस निर्णय से मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक पारदर्शिता, अकादमिक गुणवत्ता और अस्पताल सेवाओं में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

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