आयुक्तालय ने कॉलेजों को दी राहत, अब 5 स्टूडेंट्स पर भी एसएफएस के तहत कॉलेज चला सकेंगे पीजी कोर्स

महाविद्यालयों में पूरी सीटें नहीं भरने के कारण उठाया कदम

आयुक्तालय ने कॉलेजों को दी राहत, अब 5 स्टूडेंट्स पर भी एसएफएस के तहत कॉलेज चला सकेंगे पीजी कोर्स

कोटा में जेडीबी साइंस व जेडीबी आर्ट्स में एसएफएस में चल रहे कोर्स

 कोटा। कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों को बड़ी राहत देते हुए एसएफएस(सेल्फ फाइनेन्स स्कीम) में संचालित कोर्सेज चलाने के लिए 20 विद्यार्थियों के होने की बाध्यता समाप्त कर दी है। अब 5 विद्यार्थी होने पर भी कॉलेज प्रशासन सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत चलने वाले पीजी कोर्स चला सकते हैं। आयुक्तालय ने यह कदम पीजी कोर्सेज में दाखिले नहीं होने पर मामले की गंभीरता को देखते हुए नियमों में ढील दी है। ऐसे में अब पांच स्टूडेंट्स मिलने पर भी कॉलेज में सेल्फ फाइनेंस स्कीम (एसएफएस) के तहत कोर्स चलाया जा सकेगा। 

16 दिसम्बर तक होंगे एडमिशन
आयुक्तालय द्वारा नियमों में परिवर्तन किए जाने के बाद अब 16 दिसंबर तक कॉलेजों में एडमिशन लिए जा सकेंगे। पीजी कोर्सेज में दाखिले के लिए आयुक्तालय ने पहले ऑनलाइन आवेदन की 12 नवंबर अंतिम तिथि तय की थी। इस तिथि तक एडमिशन के बाद भी जेडीबी साइंस व आर्ट्स कॉलेज में सेल्फ फाइनेंस स्कीम में संचालित एमएससी कैमेस्ट्री व एमए जीपीईएम व होम साइसं में  सीटें खाली रह गई। ऐसे में आयुक्तालय ने दाखिले की अंतिम तिथि 16 दिसम्बर तक बढ़ा दी है। 

5 से कम स्टूडेंट्स तो नहीं चलेगा कोर्स  
आयुक्तालय द्वारा कॉलेज प्राचार्यों को कहा गया है कि प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या 5 से कम रहने की स्थिति में उस विषय का शिक्षण कार्य वर्तमान सत्र 2024-25 के लिए स्थगित रहेगा। विद्यार्थियों द्वारा अनुरोध करने पर उसी कॉलेज के अन्य पाठ्यक्रम में या उसी पाठ्यक्रम में अन्य कॉलेज में स्थान रिक्त  हों तो स्थानांतरित किया जा सकता है या फिर स्टूडेंट्स को शुल्क वापस लौटाया जा सकता है। 

16 तक शुल्क जमा किया जा सकेगा
आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा राजस्थान जयपुर के संयुक्त निदेशक प्रो. विजय सिंह जाट ने आदेश जारी किए हैं। अब रिक्त सीटों पर ऑफलाइन आवेदन करने वाले स्टूडेंट्स से 16 दिसंबर तक शुल्क जमा किया जा सकेगा। वहीं, जिन विश्वविद्यालयों में परीक्षा आवेदन पत्र भरने की अंतिम तिथि पूर्ण हो गई हैं, उनसे संबंधित महाविद्यालयों पर यह लागू नहीं होगा। 

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एमए जीपीईएम में 16 व होमसाइंस में 28 सीट खाली
राजकीय कला कन्या महाविद्यालय (जेडीबी) में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत संचालित एमए जीपीईएम में 20 सीटें हैं, जिस पर अब तक मात्र 4 ही एडमिशन हुए हैं। जबकि, 16 सीटें खाली हैं। वहीं, होम साइंस में 40 सीटें हैं, जिसके मुकाबले अब तक 12 ही छात्राओं ने दाखिला लिया है। प्रोफेसर बिंदू चतुर्वेदी व दीपा स्वामी ने बताया कि सरकार का निर्णय सराहनीय है। लेकिन, जीपीईएम व होम साइंस जैसे महत्वपूर्ण कोर्स को सेल्फ फाइनेंस के तहत संचालित होने से इसकी फीस अधिक है, जिसकी वजह से छात्राएं एडमिशन नहीं ले पाती। यदि, यही कोर्स को सरकारी कर दिया जाए तो इसमें एडमिशन भी बढ़ेंगे और  छात्राओं पर आर्थिक भार भी कम होगा। सरकार को बालिकाओं के हित में इन कोर्सेज को एसएफएस से सरकारी में तब्दील करना चाहिए।

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कैमेस्ट्री में 10 सीटें खाली
जेडीबी साइंस में कैमेस्ट्री विषय सेल्फ फाइनेंस स्कीम में चल रहा है। इसकी 15 सीटें हैं, जिसमें से मात्र 5 ही बालिकाओं ने एडमिशन  लिया है, जबकि 10 सीट खाली है। इसकी  प्रति ईयर फीस 18 हजार है। जबकि, यह विषय रेगुलर हो तो इसकी फीस दो गुना कम हो जाएगी। 

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झालावाड़-बारां में होमसाइंस सरकारी और कोटा में एसएफएस में 
जेडीबी आर्ट्स कॉलेज संभाग का सबसे बड़ा गर्ल्स कॉलेज है। इसके बावजूद यहां होम साइंस जैसा महत्वपूर्ण विषय सरकारी न होकर सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत संचालित किया जा रहा है। इसकी प्रथम वर्ष की फीस 10 हजार रुपए है। जबकि, बारां-झालावाड़ में यह विषय रेगुलर यानी सरकारी है। जिससे वहां की फीस पांच हजार है। ऐसे में कोटा की छात्राएं भी बारां-झालावाड़ में एडमिशन ले रहीं है। जिसकी वजह से जेडीबी आर्ट्स में एडमिशन कम हो रहे हैं। ऐसे में यहां भी होम साइंस विषय को सरकारी किया जाना चाहिए।

सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत संचालित कोर्सेज में 20 स्टूडेंट्स के प्रवेश लेने की बाध्यता समाप्त कर 5 करने का आयुक्तालय का फैसला सराहनीय है। हमारा प्रयास रहेगा की ज्यादा से ज्यादा एडमिशन हो। हमारे यहां एसएफएस में एमए जीपीईएम व होम साइंस संचालित हो रहे हैं। सेल्फ फाइनेंस में होने के कारण इनकी फीस महंगी हो जाती है। ऐसे में इन कोर्सेज को रेगुलाइज होना चाहिए। जबकि, जीपीईएम  में दाखिला लेने के लिए अजमेर, अलवर सहित अन्य जिलों से छात्राएं आती हैं। इस विषय को सरकारी में करने को हमने पहले भी कई बार आयुक्तालय को पत्र लिखे हैं।  सरकार को छात्राहित में यह कोर्स रेगुलाइज करना चाहिए। 
-प्रो. सीमा चौहान, प्राचार्य राजकीय कला कन्या महाविद्यालय

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