भारत में लंग कैंसर के होते है 7 प्रतिशत मामले, समय रहते किया जा सकता है इलाज
रेगुलर स्क्रीनिंग जरूरी है
हुक्का और ई-सिगरेट के बढ़ते स्मोकिंग कल्चर के कारण अब लंग कैंसर के मरीज सामने आ रहे है। बीमारी का समय रहते इलाज किया जा सकता है, जिसके रेगुलर स्क्रीनिंग जरूरी है।
जयपुर। दुनिया में लंग कैंसर सबसे आम कैंसरों में से एक है। भारत में कुल कैंसर मामलों में से करीब 7 प्रतिशत मामले लंग कैंसर के होते है। हुक्का और ई-सिगरेट के बढ़ते स्मोकिंग कल्चर के कारण अब लंग कैंसर के मरीज सामने आ रहे है। बीमारी का समय रहते ईलाज किया जा सकता है, जिसके रेगुलर स्क्रीनिंग जरूरी है। इसके साथ ही उपचार में हुई प्रगति से अब गंभीर स्टेज के मरीजों में भी कारगर परिणाम देखे जा सकते है। डॉ. शुभांशु ने बताया कि लंग कैंसर में स्क्रीनिंग की अहम भूमिका रहती है। ऐसे लोग जो नियमित रूप से धूम्रपान करते है।
अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में रहते है। परिवार में कैंसर की हिस्ट्री है या लंग्स से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी टीबी रही हो, उनमें लंग कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। लंग कैंसर के जल्द निदान के लिए लो डेंसिटी सीटी-स्कैन एक प्रभावी जांच है, जो रेगुलर कम रेडिएशन एक्सपोजर के साथ बीमारी के होने का पता लगाती है। साल में एक बार और स्मोकर्स में हर 6 महीने में जांच करने से कैंसर का पता लगाया जा सकता है और समय रहते इलाज किया जा सकता है। कैंसर सर्जन डॉ. अभिषेक पारीक ने कहा कि वर्तमान में लंग कैंसर के इलाज में हुई तरक्की में एनजीएस (नेक्स्ट-जनरेशन सिक्वेंसिंग) बहुत कारगर सिद्ध हो रही है। इस नई इलाज प्रणाली में हम मरीज के ट्यूमर में हुए म्यूटेशन की जांच कर एक कस्टमाइज्ड इलाज और डोज मरीज को दी जाती है, जिससे उपचार और भी कारगर हो जाता है।
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