देश में कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन को स्वीकृति
कोविड के खिलाफ लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला
भारत बायोटेक के सीएचएडी 36- सार्स-कोव-एसकोविड-19 (चिम्पैंजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड) नेजल टीके को आपात स्थिति में 18 साल से अधिक के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में इस्तेमाल की मंजूरी भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने दी है।
नई दिल्ली। भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन को देश के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीईआई) ने स्वीकृति दे दी है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने ट्वीट कर बताया कि भारत की कोविड के खिलाफ लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। भारत बायोटेक के सीएचएडी 36- सार्स-कोव-एसकोविड-19 (चिम्पैंजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड) नेजल टीके को आपात स्थिति में 18 साल से अधिक के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में इस्तेमाल की मंजूरी भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने दी है।
इंट्रानेजल वैक्सीन की चार बूंद काफी
भारत बायोटेक की इंट्रानेजल वैक्सीन को नाक के जरिए शरीर में पहुंचाया जाता है। शरीर में जाते ही यह कोरोना के इन्फेक्शन और ट्रांसमिशन दोनों को ब्लॉक करती है। चूंकि इस वैक्सीन में किसी इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए इससे चोट लगने का कोई खतरा नहीं है। साथ ही हेल्थकेयर वर्कर्स को भी कोई खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस वैक्सीन की भी चार ड्रॉप्स काफी हैं, दोनों नॉस्ट्रिल्स में दो-दो ड्रॉप्स डाली जाती हैं।
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