गहलोत सरकार में ओएसडी के बयान के बाद गरमाया फोन टैपिंग मामला: मोदी, भजनलाल ने उठाया मुद्दा, अब राठौड़ ने जांच कर दोषियों कार्रवाई की मांग की
राजस्थान विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने शुक्रवार को राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी को पत्र लिखकर वर्ष 2020 में कांग्रेस सरकार के समय हुए फोन टैपिंग प्रकरण में तत्कालीन उच्च पदस्थ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच करवाकर सख्त कार्रवाई किये जाने की मांग की है।
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने शुक्रवार को राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी को पत्र लिखकर वर्ष 2020 में कांग्रेस सरकार के समय हुए फोन टैपिंग प्रकरण में तत्कालीन उच्च पदस्थ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच करवाकर सख्त कार्रवाई किये जाने की मांग की है।
कहा कि वर्ष 2020 में तब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा द्वारा दो दिन पूर्व फोन टैपिंग से जुड़े प्रकरण को लेकर जो गंभीर आरोप लगाये हैं उससे स्पष्ट तौर पर प्रमाणित हो रहा है कि गहलोत ने तत्समय उच्चपदस्थ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर संविधान प्रदत्त अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए कानून व नियमों की धज्जियां उड़ाई और सरकारी एजेंसियों पर बेजा दबाव बनाकर अवैधानिक ढंग से जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करवाये।
क्या है फोन टैपिंग का कानून:
इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 की धारा 5 (2) एवं नियमों के अनुसार देश की अखण्डता, सम्प्रभुता या जन सुरक्षा, गंभीर अपराध कारित किये जाने की संभावनाओं में या पड़ोसी देश के मित्रवत रिश्तों में संभावित रूकावट इत्यादि को देखते हुए केन्द्र सरकार या राज्य सरकार लिखित में कारणों का उल्लेख करते हुए प्राधिकृत अधिकारी किसी भी संदेश या टेलीफोन को इंटरसेप्ट कर सकेगा। यानी विधिक कानूनी प्रक्रिया अपनाकर और सक्षम स्तर से अनुमति के उपरांत ही टेलीफोन रिकॉर्डिंग की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार व्यक्ति का जीवन, आचरण, निजता (Privacy) की पूर्ण स्वतंत्रता उसका संवैधानिक अधिकार है। आम आदमी की निजता में दखल उसके मौलिक अधिकार में दखल है। फोन विधि विरुद्ध टेप किया जाता है तो वह उसकी निजता के मौलिक अधिकार पर अतिक्रमण की श्रेणी में आता है।" यानी किसी भी व्यक्ति का विधि विरूद्ध फोन टेप किया जाना उसको संविधान प्रदत्त निजता के अधिकारों का खुला हनन है। एक्ट में सजा और आर्थिक दंड का भी प्रावधान है।
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