गंभीर बीमार मरीज को लगाया लिवर
अजय लाल गंभीर रूप से बीमार थे
उन्हें जटील पीलिया था और पेट के अंदर तरल पदार्थ भरने के कारण पेट गंभीर रूप से फूल गया था। उनकी किडनी भी खराब हो रही थी और उनका एस. क्रिएटिनिन 6.2 था। वह बहुत एनीमिक थे।
जयपुर। निजी अस्पताल में चंडीगढ़ से एक ब्रेनडेड मरीज का लिवर ग्रीन कॉरिडोर के जरिए लाया गया है। इस लिवर को संतोकबा दुर्लभ अस्पताल में भर्ती एक मरीज को लगाया गया है। अजय लाल गंभीर रूप से बीमार थे, उनके लिवर विफल होने पर एसडीएमएच लाया गया था। उन्हें जटील पीलिया था और पेट के अंदर तरल पदार्थ भरने के कारण पेट गंभीर रूप से फूल गया था। उनकी किडनी भी खराब हो रही थी और उनका एस. क्रिएटिनिन 6.2 था। वह बहुत एनीमिक थे। उनका हीमोग्लोबिन मात्र 4.5 ग्राम था। 10 दिनों तक उनका इलाज किया गया, रक्तस्राव को नियंत्रित किया गया, रक्त चढ़ाया गया और किडनी का भी इलाज किया गया। उनकी स्थिति सुधरी लेकिन 5 दिन बाद उनके शरीर में ऑक्सीजन कम होने लगी। उसके बाद उनके फेफड़ों का इलाज किया गया। उनकी गंभीर स्थिति के बारे में परिजनों को बताया गया। बताया गया कि वह लीवर फेलियर से पीड़ित थे और लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचा है। मरीज को राजस्थान राज्य के केडेवर लिवर ट्रांसप्लांट कार्यक्रम में पंजीकृत किया गया था। जिस दिन उसकी पत्नी मनीषा की डोनर के रूप में फिटनेस जांचने के लिए जांच शुरू होनी थी, उसी दिन पीजीआई चंडीगढ़ से एक कॉल आया कि उनके पास मैचिंग ब्लड ग्रुप वाला ब्रेन डेड डोनर है।
इस लीवर को उपयोग करने का निर्णय लिया गया। परिवार को अत्यधिक जोखिम के बारे में समझाया गया] क्योंकि अजय लाल बहुत बीमार थे। तब परिवार केडेवर लिवर लेने को तैयार हो गया। 22 अगस्त की रात को एसडीएमएच की एक टीम चंडीगढ़ के लिए रवाना हुई। चंडीगढ़ में सुबह पांच बजे लीवर निकालने का ऑपरेशन शुरू हुआ। चंडीगढ़ में एसडीएमएच टीम ने सुबह 10ः30 बजे चंडीगढ़ से जयपुर के लिए उड़ान भरी। साथ ही अजय लाल का रोगग्रस्त लीवर निकालने के लिए एसडीएमएच में सुबह 10 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ। दो ऑपरेशनों के समय का मिलान किया गया। चंडीगढ़ से लीवर आते ही ब्रेन डेड डोनर के स्वस्थ लीवर को अजय लाल के शरीर में प्रत्यारोपित करने का ऑपरेशन शुरू हो गया। ऑपरेशन रात 08ः30 बजे संपन्न हुआ। यह तकनीकी रूप से ऑपरेशन था और इसमें 10 यूनिट रक्त का उपयोग किया गया था। ऑपरेशन के बाद अजय लाल 10 दिनों तक आईसीयू में रहे और वह धीरे-धीरे ठीक होते गये व लिवर की खराबी के कारण जो दूसरे अंग खराब थे, वह भी ठीक होने लगे। किडनी, फेफड़े भी ठीक हुए और धीरे-धीरे नया लीवर भी काम करने लगा।
अजय लाल को नया जीवन देने के लिए लगभग 25 डॉक्टरों, सभी विशेषज्ञों की एक टीम ने दिन-रात अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। ऑपरेशन संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल अस्पताल के संतोकबा इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव सर्जिकल साइंसेज (एसआईडीएसएस) में किया गया था। ऑपरेशन डॉ. राजेश भोजवानी के नेतृत्व में किया गया था और टीम के प्रमुख सदस्यों में डॉ. नैमिश, डॉ सुभाष मिश्रा, डॉ बप्पादित्य हर, डॉ. राजकुमार गुप्ता, डॉ. वीके पाराशर, डॉ. दिलीप सिंह राणा, डॉ. सावरमल, डॉ. आशीष पारीक, डॉ. अनुराग गोविल, डॉ. दिनेश अग्रवाल, डॉ. चंद्रशेखर गौर, डॉ निखिल अजमेरा, डॉ अखिलेश, डॉ मुकेश, डॉ सुधींद्र, डॉ रेहान, डॉ देबज्योति, डॉ. विधि और गिरिराज पारीक का प्रमुख योगदान रहा।
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