सभी के लिए चेतावनी

सभी के लिए चेतावनी

ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए इस बार क्रिसमस की पार्टियों के आयोजन रद्द कर दिए जाएं, लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इसके लिए तैयार नहीं हैं।

विश्व के कई देशों में कोरोना के नए वेरियंट ओमिक्रॉन के फैल रहे संक्रमण के बीच ब्रिटेन से खबर आई है कि वहां विशेषज्ञों ने साफ  कहा है कि ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए इस बार क्रिसमस की पार्टियों के आयोजन रद्द कर दिए जाएं, लेकिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इसके लिए तैयार नहीं हैं। खतरा सिर्फ  ब्रिटेन पर नहीं, उन सब पर है, जिन्होंने सावधानी बरतनी बंद कर दी है। यह चेतावनी हम सबके लिए भी है, क्योंकि ओमिक्रॉन अब भारत पहुंच चुका है। कोरोना संक्रमण की तुलना हम आमतौर पर इसके पहले आई महामारी स्पैनिश फ्लू से करते हैं। 1918 में फैली यह महामारी हर मामले में कोविड से ज्यादा खतरनाक थी। दो साल के अंदर ही इसने करोड़ों लोगों की जान ले ली और उसके बाद यह हमेशा के लिए विदा हो गई। इस महामारी के खत्म होने के 13 साल बाद यह पता लगाया जा सका कि यह किस वायरस की वजह से फैली थी। जिसे आज हम वायरस कहते हैं, उस समय तक उसे खोजा भी नहीं जा सका था। इसलिए उस दौर में उस संक्रमण का जो इलाज हुआ, वह बहुत कुछ अंधेरे में तीर चलाने जैसा ही था। फिर भी मास्क लगाने, हाथ धोने, सार्वजनिक स्थानों पर जमा होने पर पाबंदियां, क्वारंटीन और सामाजिक दूरी जैसे प्रोटोकॉल उस दौर के चिकित्सकों ने भी लागू कर दिए थे। हालांकि, यह सब किस तरह से मददगार हैं, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण उस समय तक मौजूद नहीं था।मिशिगन विश्वविद्यालय में औषधि इतिहास के प्रोफेसर जे एलेक्जेंडर नवारो ने पिछले दिनों जब 1918 के अमेरिकी समाज के रवैए और आज के समाज के रवैए की तुलना की, तो उन्हें बहुत दिलचस्प समानताएं दिखाई दीं। स्पैनिश फ्लू की पहली लहर अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुई थी कि अमेरिका में पाबंदियों को हटाने की मांग होने लगी थीं। थियेटर और डांस बार के मालिक कारोबार फिर से शुरू करने की मांग करने लगे थे। उनका कहना था कि कारोबार का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। स्कूल खोलने की मांग होने लगी थी। धीरे-धीरे पाबंदियां ढीली पड़ती गईं और तभी स्पैनिश फ्लू की दूसरी लहर ने हमला बोला, जो पहली से ज्यादा घातक थी। इस लिहाज से देखें, तो पिछले सौ साल में विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है। अब कम से कम हम यह ठीक से जानते हैं कि यह महामारी कैसे फैलती है, किससे फैलती है और किस तरह से हमें अपना शिकार बनाने के लिए खुद को बदलती है। अब हम यह भी जानते हैं कि भले ही इससे पूरी तरह बचा नहीं जा सकता, लेकिन इसे कैसे खुद से दूर रखने की कोशिश की जा सकती है। हमारे पास अभी इसका पक्का इलाज नहीं है, लेकिन इससे होने वाले नुकसान और उससे निपटने के तरीकों के बारे में हमने पिछले डेढ़ साल में एक समझ जरूर बना ली है।

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