लम्बे समय तक इस्तीफे पेंडिंग रखना हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना : हाईकोर्ट

अदालत ने स्पीकर का आदेश पेश नहीं करने पर नाखुशी जताई

लम्बे समय तक इस्तीफे पेंडिंग रखना हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि एमएलए कभी इस्तीफा दे रहें हैं, कभी वापस ले रहे हैं। वे इस संबंध में खुद ही तय नहीं कर पा रहे हैं कि जनप्रतिनिधि रहेंगे या नहीं। ऐसे में वे जनप्रतिनिधि के तौर पर अपना काम कैसे करेंगे और जनता की बात को कैसे सामने रखेंगे।

नवज्योति, जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस एमएलए के इस्तीफों पर विधानसभा स्पीकर द्वारा कोई निर्णय नहीं करने से जुड़े मामले में शुक्रवार को टिप्पणी करते हुए कहा कि इस्तीफे तय करने के लिए कोई तय अवधि नहीं होना और लंबे समय तक पेंडिंग रखना हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है। सीजे पंकज मित्थल ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने इस्तीफों पर निर्णय कर लिया है, यह सही है, लेकिन इसके लिए कोई तय समय सीमा तो होनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि इन्हें लंबे समय तक पेंडिंग रखा जाए। वहीं खंडपीठ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई के पूर्व में विधानसभा सचिव की ओर से पेश किए गए हलफनामे में भी यह जानकारी नहीं थी कि स्पीकर के समक्ष एमएमए ने कब इस्तीफे पेश किए गए। अदालत ने स्पीकर का आदेश पेश नहीं करने पर नाखुशी जताई। अदालत ने कहा कि ना तो अभी तक विस्तृत जवाब दिया है और जो जवाब दिया है उसमें भी केवल इस्तीफे को अस्वीकार करने की ही जानकारी दी गई है। अदालत ने एजी को कहा कि वे 30 जनवरी को विधानसभा सचिव के हलफनामे के जरिए नए सिरे से बताएं कि एमएलए ने कब इस्तीफे दिए और स्पीकर ने उन पर क्या कार्रवाई की। इसके अलावा स्पीकर की इस्तीफों पर की गई टिप्पणियां व दस्तावेजों को भी पेश किया जाए। साथ ही यह भी बताएं कि स्पीकर के द्वारा लिए जाने वाले फैसले को वे अनिश्चितकाल के लिए पेंडिंग रख सकते हैं और मौजूदा केस के संबंध में यह अवधि कितनी होनी चाहिए। सीजे पंकज मित्थल व जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह ने आदेश भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ की पीआईएल पर सुनवाई करते हुए दिया। सुनवाई के दौरान एजी ने कहा कि नियमों में यह प्रावधान है कि इस्तीफे को वापस लिया जा सकता है। यदि एमएलए ने इस्तीफों को वापस लिया है तो इसी आधार पर स्पीकर ने उन्हें अस्वीकार किया होगा।

ये जनप्रतिनिधि के तौर पर कैसे काम करेंगे 
हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि एमएलए कभी इस्तीफा दे रहें हैं, कभी वापस ले रहे हैं। वे इस संबंध में खुद ही तय नहीं कर पा रहे हैं कि जनप्रतिनिधि रहेंगे या नहीं। ऐसे में वे जनप्रतिनिधि के तौर पर अपना काम कैसे करेंगे और जनता की बात को कैसे सामने रखेंगे।

विधानसभा सचिव का हलफनामा ही संदेहास्पद
सुनवाई के दौरान राठौड़ ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि पहले 91 एमएलए के इस्तीफा देने की बात कही थी, लेकिन अब 81 एमएलए के ही इस्तीफा दिया जाना बताया जा रहा है। ऐसे में विधानसभा सचिव का हलफनामा ही संदेहास्पद हो जाता है। हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं है और यह नहीं बताया गया कि किन.किन एमएलए ने कब-कब इस्तीफे दिए और उन पर स्पीकर ने कब और क्या-क्या टिप्पणियां की। यदि 110 दिन पूर्व 91 एमएलए के इस्तीफों के संबंध में स्पीकर के निर्देश पर कोई जांच की गई तो उसका क्या परिणाम रहा और इस्तीफों को अस्वीकार करने वाले आदेश को भी अदालत के रिकॉर्ड पर लाया जाए। वहीं जितने समय तक इस्तीफों को मंजूर नहीं किया गया उस अवधि में एमएलए को वेतन-भत्ते सहित अन्य सुविधाएं प्राप्त करने का कोई हक नहीं था और इसलिए उनकी यह राशि रोक देनी चाहिए।

Tags: highcourt

Post Comment

Comment List

Latest News

कैलाश चौधरी की नामांकन सभा में उमड़ी भीड़, वरिष्ठ नेताओं ने किया जनसभा को संबोधित कैलाश चौधरी की नामांकन सभा में उमड़ी भीड़, वरिष्ठ नेताओं ने किया जनसभा को संबोधित
जनसभा को संबोधित करते हुए विजया रहाटकर ने कहा कि देश में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व...
झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर बड़ी जीत दर्ज करेगा NDA: सुदेश महतो
मेक्सिको के 19 प्रांतों में फैली जंगलों में लगी आग, 42 स्थानों पर काबू 
लोकसभा आम चुनाव में प्रथम चरण के लिए 124 प्रत्याशियों के 166 नामांकन पाए गए सही
Delhi Liqour Policy : केजरीवाल को राहत नहीं, ईडी की हिरासत 1 अप्रैल तक बढ़ी
भाजपा पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतकर फहरायेगी परचम : दीयाकुमारी
अनदेखी के चलते लगभग 3 करोड़ के राजस्व की हानि