बड़े नेताओं को रास नहीं आ रहा सर्वे, अभी दिल्ली में बाकी भागदौड़ 

एक साल से कवायद शुरू कर रखी है

बड़े नेताओं को रास नहीं आ रहा सर्वे, अभी दिल्ली में बाकी भागदौड़ 

ब दस महीने पहले तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन पहले सत्ता और संगठन के जिला प्रभारियों से विधानसभा और जिला स्तर पर बैठकें लेकर नामों के पैनल मांगे थे। 

जयपुर। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में टिकट दावेदार पिछले एक साल से अधिक समय से सर्वे और इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजर रहे है। टिकट प्राप्त करने से पहले दावेदारों की परीक्षा अभी बाकी है और टिकट कवायद के लिए अभी दिल्ली की दौड़भाग बाकी है। नए दावेदार और छोटे नेता तो प्रक्रिया से प्रसन्न नजर आ रहे हैं, लेकिन बड़े नेताओं को सर्वे और इंटरव्यू की प्रक्रिया रास नहीं आ रही है। कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव में जिताऊ प्रत्याशी चयन के लिए पिछले एक साल से कवायद शुरू कर रखी है। करीब 10 महीने पहले तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन पहले सत्ता और संगठन के जिला प्रभारियों से विधानसभा और जिला स्तर पर बैठकें लेकर नामों के पैनल मांगे थे। 

माकन के इस्तीफे के बाद प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने फिर से जिला प्रभारियों को नामों के पैनल मांगने की कवायद शुरू की। पिछले तीन महीने में प्रभारी के अलावा सहप्रभारी भी जिताऊ प्रत्याशियों के चयन में बैठकों में इंटरव्यू के जरिए इस काम में लग। पीसीसी में कई बैठकों के साथ ही अलग-अलग कमेटियों में इंटरव्यू के दौर चल रहे हैं। इन इंटरव्यू से पहले पार्टी स्तर पर कई सर्वे भी कराए गए हैं, जिनमें प्रत्याशी अपना नाम जुड़वाने के लिए काफी दिनों से मशक्कत करने में जुटे हुए हैं। 

नए दावेदार प्रसन्न 
दावेदारों के वन टू वन इंटरव्यू के अलावा प्रदेश चुनाव समिति, स्क्रीनिंग कमेटी, पर्यवेक्षकों से संवाद प्रक्रिया से नए दावेदार इसलिए प्रसन्न हैं, क्योंकि पार्टी में तीन से चार बार उन्हें सुनने के मौके मिल रहे हैं। वहीं कई बड़े नेताओं को सर्वे और इंटरव्यू प्रक्रिया रास नहीं आ रही, क्योंकि इन नेताओं को अंदाजा है कि कांग्रेस में टिकट कैसे और कहां से आते हैं।
पैराशूट लीडर्स को रोकने की मुहिम पर सबकी निगाहें
सरकार रिपीट करने के लिए कांग्रेस ने राजस्थान में कर्नाटक चुनाव का जिम्मा संभालने वाले सुनील कोनुगोलू, वरिष्ठ चुनाव पर्यवेक्षक, मधुसूदन मिस्त्री, शशिकांत सैंथिल सहित एआईसीसी के लोकसभा और संभागवार पर्यवेक्षक-सह पर्यवेक्षक लगाए हैं। इस बार लगातार हार रही सीटों पर जीत के लिए ठोस और जिताऊ प्रत्याशी चुनना बड़ी चुनौती बनी हुई है। पार्टी इस बार पैराशूट लीडर्स पर रोक लगाना चाहती है। 

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