राजस्थान में पहली बार दूरबीन(लेप्रोस्कोपी) के द्वारा निकाला गया डोनर का लीवर
डोनर को पांचवे दिन अस्पताल से छुट्टी मिली
जयपुर निवासी विजय को लीवर में सिरोसिस नाम की बीमारी थी जिसका इलाज लीवर ट्रांसप्लाट था। चिक्त्तिसकों के समझाने पर उनकी बेटी लीवर डोनेट करने को राजी हो गई, पर इसमें एक समस्या थी।
जयपुर। राजस्थान में पहली बार निजी हॉस्पिटल के चिकित्सकों द्वारा लीवर डोनर का लिवर दूरबीन (लेप्रोस्कोपी) से निकाला गया।
जयपुर निवासी विजय को लीवर में सिरोसिस नाम की बीमारी थी जिसका इलाज लीवर ट्रांसप्लाट था। चिक्त्तिसकों के समझाने पर उनकी बेटी लीवर डोनेट करने को राजी हो गई, पर इसमें एक समस्या थी। उनकी बेटी ऑपरेशन के दौरान लगने वाले बड़े चीरे औन उसके कारण बाद में होने वाले दर्द को लेकर आशंकित थी। साथ ही में चीरे के कारण शरीर में दिखने वाले निशान को लेकर भी चिंतित थी। ऐसे में दुर्लभजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा डोनर के ऑपरेशन दूरबीन से करने का निर्णय लिया गया।
संतोकबा अस्पताल के गैस्ट्रो सर्जन डॉ. प्रकाश भोजवानी ने बताया कि यह एक काफी जटिल ऑपरेशन था और पूरे भारत में अभी तक कुछ ही सेंटर्स पर ऐसे ऑपरेशन का अंजाम दिया गया है और राजस्थान में कभी भी इतना जटिल ऑपरेशन दूरबीन से नहीं किया गया है। इस ऑपरेशन को दूरबीन से करने में बहुत ही ज्यादा अनुभव और स्किल की ज़रूरत होती है और ऑपरेशन में अत्याधुनिक उपकरणों और कैमरों की जरूरत पड़ती है। ऑपरेशन तकरीबन 8 घंटे तक चला और करीब 15 शल्य चिकित्सकों और एनेथेटिस की टीम ने इस में अपना सहयो दिया। डोनर के आधे लिवर को दूरबीन द्वारा अलग किया गया तथा शरीर के बाहर निकाला गया। डोनर लीवर को बाद में उनके पिता में प्रत्यारोपित किया गया जिसने उनके शरीर में सुचारू रूप से काम किया। ऑपरेशन के बाद डोनर को पांचवे दिन अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
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