तापमान ने बढ़ाई पक्षियों की परेशानी
ट्रांसमिशन लाइनों के टकराने की वजह से भी कई बड़े आकार की पक्षी प्रजातियों की मौत हो रही है
भारत में पक्षियों की प्रजातियां लगातार कम होती जा रही हैं। इससे बचने के लिए पक्षी प्रजातियों की संख्या में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए जाने जरूरी हैं।
हाल ही में पक्षियों की प्रजातियों के संबंध में एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें लगभग 30 हजार पक्षी- प्रेमियों का डेटा एकत्र किया गया था और उसके आधार पर इस रिपोर्ट को जारी किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पक्षी प्रजातियों की संख्या में बहुत अधिक गिरावट देखने को मिली है और विशेषज्ञों द्वारा अनुमान लगाया गया है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो आने वाली लंबी समयावधि में कई सौ पक्षी प्रजातियां धीरे- धीरे विलुप्त होने की कगार पर आ सकती हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 942 पक्षी प्रजातियों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें पाया गया कि 142 पक्षी प्रजातियों में लगातार कमी हो रही है और केवल 28 प्रजातियां ही ऐसी हैं जिनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स के मुताबिक प्रवासी समुद्री पक्षी और बत्तखों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली है।
लगातार एक डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि पक्षियों के लिए भी विनाशकारी संकट उत्पन्न हो गया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से पक्षियों के घोंसला बनाने और प्रवासन करने जैसी वार्षिक घटनाओं का जो समय चक्र होता है, वह गड़बड़ा गया है जिसने उनके प्रजनन और अस्तित्व को प्रभावित किया है। इसीलिए पक्षियों की कई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर आ गई हैं।
तेज गर्मी पक्षियों को अपना व्यवहार परिवर्तित करने के लिए मजबूर कर रही है, जिसकी वजह से वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की बजाय अपने ही स्थान पर रहना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में पक्षियों के अस्तित्व और प्रजनन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसीलिए पक्षियों की प्रजातियों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।
शहरीकरण के चलते दुनिया भर में पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट किये जा रहे हैं, जिससे उस क्षेत्र में पाए जाने वाले पशु-पक्षियों के जीवन और निवास की अनुकूलन क्षमता भी प्रभावित हो रही है। पेड़-पौधों और जंगलों के नष्ट होने से वहां पर पाई जाने वाली कई प्रजातियां नष्ट हो जाती हैं। भारत के शहरीकृत क्षेत्रों में पक्षियों की, दुर्लभ प्रजातियों और कीटभक्षी प्रजातियों की संख्या सबसे कम देखी जा रही है। शहरीकरण के चलते पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट होने के कारण वे अधिक वायु प्रदूषण और उच्च तापमान के संपर्क में रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे वे अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं और उनका पूरा जीवन चक्र प्रभावित होता है। शहरों में ध्वनि प्रदूषण होने की वजह से गाने-गुनगुनाने वाले पक्षियों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्हें तेज आवाज में गाने के लिए विवश होना पड़ रहा है और अत्यधिक खराब स्थिति में तो उन्हें अपने उपयुक्त आवास को छोड़ने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है। शहरों में प्रकाश प्रदूषण होने की वजह से वे भ्रमित हो सकते हैं और अपने मार्ग से भटक सकते हैं, जिससे वहां बनी ऊंची-ऊंची इमारतों से टकराकर उनकी मृत्यु तक हो जाती है। जंगलों के नष्ट होने और शहरीकरण के बढ़ने की वजह से इनकी खाद्य आपूर्ति में भी कमी आ रही है,जो इनके जीवन के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है।
मोनोकल्चर के चलते एक समय में,एक खेत में, एक प्रकार के ही बीज उगाने की प्रथा है,जो पक्षियों की प्रजातियों को लगातार प्रभावित कर रहा है। भारत व्यावसायिक कृषि की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में अधिकतर उन बीजों को उगाया जा रहा है, जो कृषि से संबंधित नहीं हैं बल्कि व्यवसाय से संबंधित हैं। इससे पक्षियों की खाद्य आपूर्ति प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि उनमें गिरावट देखने को मिल रही है। अपने प्राकृतिक आवास में कई प्रजातियां आपस में एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण कर सकती हैं, लेकिन व्यावसायिक मोनोकल्चर अपनाने की वजह से हम एक ही बायोम के भीतर कम पक्षी प्रजातियों को आश्रय लेने के लिए विवश करते हैं। इस वजह से भी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
औद्योगीकरण के चलतो भारत जैसे देश में पवन टरबाइनोंए, हाइड्रोइलेक्ट्रिक टरबाइनों की संख्या में वृद्धि हो रही है। हाइड्रोइलेक्ट्रिक टरबाइन ऐसे क्षेत्रों में स्थापित किए जाते हैं, जहां पर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होती है। ऐसे क्षेत्रों में पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवास भी होते हैं, जो इस प्रकार के निर्माण से नष्ट हो जाते हैं और इससे पक्षियों की प्रजातियां खतरे में पड़ जाती हैं।
ट्रांसमिशन लाइनों के टकराने की वजह से भी कई बड़े आकार की पक्षी प्रजातियों की मौत हो रही है। इन सभी घटनाओं की वजह से पक्षियों की प्रजातियों के जनसंख्या स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, उनके प्रवास पैटर्न में बदलाव हो रहा है। यही वजह है कि भारत में पक्षियों की प्रजातियां लगातार कम होती जा रही हैं। इससे बचने के लिए पक्षी प्रजातियों की संख्या में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए जाने जरूरी हैं।
-रंजना मिश्रा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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