World Brain Stroke Day: स्क्रीनिंग का दायरा बढ़ा, फिर भी गोल्डन ऑवर खत्म होने के बाद अस्पताल पहुंच पा रहे ब्रेन स्ट्रोक के मरीज
हर 4 मिनट में एक की मौत
15 प्रतिशत हैमरेजिक स्ट्रोक वाले मरीजों में कारण बन रहा ब्रेन एन्युरिज्म, 70 प्रतिशत मरीज स्ट्रोक आने के बाद देरी से पहुंच रहे अस्पताल
जयपुर। ब्रेन स्ट्रोक को लेकर जागरुकता बढ़ने के बावजूद अब भी 70 प्रतिशत लोग स्ट्रोक आने के बाद के साढ़े चार घंटे के गोल्डन टाइम बीतने के बाद हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। नतीजन इस दौरान उनके दिमाग को इतनी क्षति पहुंच चुकी होती है कि वे स्थाई अपंगता के शिकार हो जाते हैं। इसी का नतीजा है कि भारत में हर छह सेकंड में एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक होता है और हर 4 मिनट में एक मौत होती है।
सिर्फ 12 प्रतिशत मरीजों को मिल पा रहा थ्रोंबोलाइसिस ट्रीटमेंट
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश गुप्ता ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक आने पर मरीज को सबसे पहले थ्रंबोलाइसिस ट्रीटमेंट दिया जाता है। सिर्फ 12 प्रतिशत मरीजों को ही थ्रोंबोलाइसिस ट्रीटमेंट मिल पा रहा है। वहीं 70 प्रतिशत मरीज स्ट्रोक के बाद के गोल्डन टाइम जोकि साढ़े चार घंटे का होता है, इसके बाद आ पाते हैं।
असरकार न्यूरो फीजियोथैरेपी
सीनियर न्यूरो फीजियोथैरेपिस्ट डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि स्ट्रोक के बाद मरीज की अपंगता को न्यूरो फीजियोथैरेपी से ठीक किया जा सकता है। स्ट्रोक से बोलने की क्षमता प्रभावित हो जाती है जिसके लिए मरीज के ब्रोकाज एरिया यानी स्पीच के लिए जिम्मेदार एरिया को ब्रेन में नए न्यूरल कनेक्शन बनाने के लिए थ्री टेस्ला ब्रेन स्टिम्यूलेशन तकनीक से ठीक किया जा सकता है। कंधे एवं हाथ की मांसपेशियों को सक्रिय करने के लिए लूना ईएमजी नेक्स्ट जेनरेशन रोबोट का उपयोग किया जा सकता है।
स्ट्रोक से मरने वाले 20 प्रतिशत मरीज डायबिटिक
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. काव्या राव ने बताया कि डायबिटीज ब्रेन स्ट्रोक के बड़े कारणों में से एक है। लकवा ग्रस्त मरीज का समय पर ईलाज न होने पर ब्रेन की उम्र 35 से 40 साल तक का अंतर आ जाता है यानि जो दिक्कते मरीज को वृद्धावस्था में आनी चाहिए जैसे की याददाश्त एवं सोचने की क्षमता में कमी, बोलने में दिक्कत आदि वो लकवे के तुरंत बाद ही शुरू हो जाती है।
Comment List