पार्वती को दिया वचन नहीं निभा सका नरेन, दहेज के लोभियों से हार गया
नरेन अकेला नाटक के मंचन के साथ शुरू हुआ दो दिवसीय नाट्य फेस्टिवल
वह पार्वती को दिए वादे को तोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है ।
जयपुर। दो दिवसीय नाट्य फेस्टिवल के तहत नाटक ‘नरेन अकेला’ का मंचन रविन्द्र मंच पर हुआ। लेखक नरेन्द्र बबल द्वारा लिखित तथा महेश महावर द्वारा निर्देशित इस नाटक में मुख्य पात्र नरेन को समाज में फैली कुरीतियों से संघर्ष करते दिखाया गया। मुख्य पात्र नरेन मध्यम परिवार से होता है, जो अपने परिवार और समाज की परवाह किए बिना अंतरजातीय विवाह करता है। नरेन की पत्नी पार्वती विवाह से पहले ही नरेन से वायदा लेती है कि कभी भी रिश्वत नहीं लोगे और पूर्ण ईमानदारी से नौकरी करोगे। नरेन ऐसा ही करता है।
बिटिया को जन्म देने के कुछ समय बाद पार्वती की मृत्यु हो जाती है। नरेन जब अपनी बिटिया के लिए काबिल वर की तलाश में निकलता है तो उसे दहेज के लोभी ही मिलते हैं। अपनी तनख्वाह से उनकी मांग पूरी नहीं कर पाता है। वह पार्वती को दिए वादे को तोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है ।
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