Author Opinion
ओपिनियन 

जीवन की आध्यात्मिक ऊर्जा का गीत 

जीवन की आध्यात्मिक ऊर्जा का गीत  आज से 5000 साल पहले कृष्ण ने अर्जुन को जो सन्देश दिया वो आज भी उतना ही मान्य है जितना की उस समय था। 
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विदेशी निवेशकों का भरोसा जीत रहा भारत  

विदेशी निवेशकों का भरोसा जीत रहा भारत   पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 10.9 अरब डॉलर से 47.80 प्रतिशत अधिक है।
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भारत में कुपोषण की बढ़ती चुनौती

भारत में कुपोषण की बढ़ती चुनौती श्विक भूख सूचकांक की जो रपट 14 अक्तूबर को जारी की गई थी, उसके मुताबिक-‘भारत में भूख का स्तर बेहद गंभीर है।’ दुनिया के जिन 121 देशों का अध्ययन किया गया, उनमें भारत को 107वां स्थान दिया गया है।
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धनतेरस: स्वास्थ्य चेतना जागृति का पर्व

धनतेरस: स्वास्थ्य चेतना जागृति का पर्व ‘धनवंतरि जयंती’ आरोग्य के देवता धन्वंतरि का अवतरण दिवस है। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धन्वंतरि का माना गया है। धनतेरस के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है।
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75 साल बाद भी 80 करोड़ को मुफ्त राशन देने की जरूरत?

75 साल बाद भी 80 करोड़ को मुफ्त राशन देने की जरूरत? देश की बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। आजादी से लेकर अब तब देश से गरीबी का उन्मूलन नहीं हो सका है। यह जानकर हैरानी होती है कि 75 साल बाद भी 80 करोड़ जनसंख्या गरीब है। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ गरीबों को दीपावली तक मुफ्त अनाज देगी। 75 वर्षों में ऐसी स्थिति क्यों आई की देश के 80 करोड़ लोगों के लिए दो वक्त के भोजन की व्यवस्था सरकार को करनी पड़ रही है।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में एक बार नाथी का बाड़ा चर्चा में है। हो भी क्यों ना हर कोई नेता नाथी का बाड़ा से ताल्लुकात रखे बिना नहीं रहते। इसके बिना उनकी पार भी नहीं पड़ती है। गुजरे जमाने में नाथी का बाड़ा केवल पाली जिले से ताल्लुकात रखता था लेकिन अब इसका थड़ा बदल कर सीकर के लक्ष्मणगढ़ इलाके में पहुंच गया है।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में इन दिनों एक बार फिर ललचाई नजरों को लेकर काफी खुसरफुसर है। दोनों दलों में नेताओं की नजरें भी दिल्ली की तरफ टिकी हैं। भगवा और हाथ वाले एक-एक गुट को दिल्ली वालों बड़ी आस है। दिल्ली वाले हैं कि सिर्फ चक्कर पर चक्कर कटवा रहे हैं और कोई फरमान जारी नहीं कर रहे। वे फिलहाल वजन टटोलने में लगे हुए हैं।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में इन दिनों हाथ वाले भाई लोग 19 और 27 के फेर में फंसे हुए हैं। दोनों खेमों के नेताओं के 11 महीनों से समझ में नहीं आ रहा कि आखिर इस फेर के चक्रव्यूह का तोड़ क्या है। दिल्ली वाले नेता भी इसके चलते चुप रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे की राजनीति में केबिनेट रिशफलिंग को एक बार फिर शगूफा उठा है। शगूफा भी पिंकसिटी से लेकर लालकिले वाली नगरी तक दौड़ रहा है। रिशफलिंग को लेकर हर कोई अपने हिसाब से मायने निकाल रहा है। निकाले भी क्यों नहीं, राजधर्म आड़े जो आ रहा है। दिल्ली तक की भाग दौड़ में एक बात का खुलासा हुआ है कि आलाकमान को एक सूची को इंतजार है।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में हाथ वाली पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। दो खेमों में बंटे भाई लोग आपस में दो-दो हाथ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वैसे तो खुद को पार्टी का वफादार वर्कर साबित करने के लिए रात दिन बढ़कर दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि उनको अपने स्वार्थ के सिवाय 136 साल पुरानी पार्टी की इमेज से कोई लेना देना नहीं है।
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ओपिनियन 

सत्तर फीसदी वैक्सीनेशन के बिना लॉकडाउन देश पर दोहरी मार

सत्तर फीसदी वैक्सीनेशन के बिना लॉकडाउन देश पर दोहरी मार भारत में कोरोना महामारी का संक्रमण जिस गति से बढ़ रहा है उस संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सिर्फ लॉकडाउन लगाने से काम नहीं चलेगा। कब तक देश में लॉकडाउन लगाएंगे? क्या जुलाई तक लॉकडाउन रहेगा...? कहा जा रहा कि अभी कोरोना वायरस की दूसरी लहर का पीक आ सकता है।
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पूर्ण वैक्सीनेशन अभियान को सफल बना सकते हैं जनप्रतिनिधि...?

पूर्ण वैक्सीनेशन अभियान को सफल बना सकते हैं जनप्रतिनिधि...? देश में यदि वैक्सीनेशन अभियान को सफल करना है तो जनप्रतिनिधियों को लक्ष्य देना चाहिए। जब चुनाव के समय जनप्रतिनिधि वोट लेने के लिए घर-घर जाकर प्रचार कर सकते हैं तो वैक्सीनेशन को सफल बनाने के लिए क्यों नहीं घर-घर जाकर प्रचार कर सकते हैं? यह देश व जनहित का कार्य है।
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