जानें राज काज में क्या है खास
तरीका-ए-मैसेज
सूबे में इन दिनों न्यू लॉ और ओल्ड पुलिस को लेकर जोरों से चर्चा है।
न्यू लॉ एंड ओल्ड पुलिस :
सूबे में इन दिनों न्यू लॉ और ओल्ड पुलिस को लेकर जोरों से चर्चा है। चर्चा भी माणकचौक चौपड़ से लेकर पीएचक्यू तक है। हर गली और चौराहों पर भी चर्चा हुए बिना नहीं रहती। चर्चा है कि राज ने नए कानून तो बना दिए, लेकिन पुलिस पुरानी है। यानी कि सालों से पुराने कानूनों पर चलने वाली पुलिस को अभी नए कानून रास नहीं आए। रास नहीं आने के पीछे भी कई मायने हैं। राज का काज करने वालों में भी चर्चा है कि आधे से ज्यादा काम राठौड़ी में निपटाने में माहिर सूबे की पुलिस को बीएनएस के लिए रात दिन तैयार भी किया गया, मगर उनकी डेली गुड मॉर्निंग आईपीसी से हुए बिना नहीं रहती। अब बीएनएस बनाने वालों को कौन समझाए कि ओल्ड पुलिस के माइंड से आईपीसी निकालने के लिए अभी सालों इंतजार करना पडेगा।
अब नजरें दिल्ली पर :
दो साल के जलसे में डूबे भगवा वाले कुछ भाई लोगों की नजरें दिल्ली की तरफ टिकी हुई हैं। वे पल-पल की खबरें ले रहे हैं। लें भी क्यों नहीं, अटारी वाले भजनजी भाई साहब का दिल्ली दरबार में पगफेरा जो हुआ है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर चर्चा है कि भाई साहब का जब भी दिल्ली में पगफेरा होता है तो किसी न किसी का हिट विकेट होता है। ठाले बैठे लोगों ने तो यह तक कहना शुरू कर दिया कि इस बार का पगफेरा कई मायने रखता है। पॉलिटिक्स में जो होता है, वो दिखता नहीं है और जो नहीं होता है, वह पहले खूब दिखता है। अब इस बार किसका हिट विकेट होगा, वो तो हम नहीं जानते, लेकिन समझने वाले समझ गए ना समझे वो अनाड़ी है।
आने लगे डरावने सपने :
जब से राज के पंचों का स्टिंग ऑपरेशन हुआ है, तभी से कई पंचों को दिन में भी डरावने सपने आने लगे हैं। इसके चलते वे चमक नींद में सोते हैं। राज का काज करने वाले लंच केबिनों में बतियाते हैं कि इस ऑपरेशन से किसको क्या नफा-नुकसान होगा, यह तो नहीं पता, लेकिन उन लोगों की पगड़ी जरूर उतर जाएगी, जो सूबे के राज के चुनावों के बाद बंधी थी। बाकी तो यह राजनीति है, इसमें सब कुछ जायज है, दुश्मन कब दोस्त बन जाए और दोस्त कब दुश्मन बन जाए, दाएं हाथ तक को पता नहीं चलता। वैसे भी दो दुश्मनों की दोस्ती भी वसंती बहारों के बीच सामने आने वाली है।
इंतजार नए साल का :
भगवा वाले भाई लोगों को नए साल का बेसब्री से इंतजार है। इंतजार इसलिए नहीं है कि उनको थर्टी फर्स्ट नाइट मनानी है, बल्कि इसलिए है कि इसके बाद पॉलिटिक्ल अपांइटमेंट होने है और कुर्सी तथा गाड़ी के लिए उन्होंने शाम, दाम, दण्ड और भेद तक अपना पूरा जोर लगाया है। लेकिन वे भारती भवन में होने वाले चिंतन-मंथन से कुछ ज्यादा ही परेशान है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर चर्चा है कि उनके नाम पर तो पहले ही लाल स्याही फिर गई, जिन्होंने जुलाई और अगस्त के महीनों में इधर-उधर ताक झांक कर कई ठिकानों की हवा खाई थी।
तरीका-ए-मैसेज :
मैसेज तो मैसेज ही होता है, केवल उसे देने वालों के तरीके पर निर्भर होता है कि वह उसे कैसे दे। अब देखो ना अटारी वाले भाई साहब ने अपने तरीके जहां मैसेज देना था दे दिया और सफल भी हो गई। केवल दो दर्जन नवरत्नों के साथ नए प्रयोग से डवलपमेंट कर कइयों की बोलती बंद कर दी। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 के साथ ही इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर भी चर्चा है कि ठाले बैठे भाई लोगों ने काम नहीं होने को हवा देकर एक मुद्दा खड़ा करने की योजना बनाई थी, लेकिन उस पर अमल होने से पहले भाई साहब ने दिल्ली में फगफेरा कर लाल किले तक मैसेज दे दिया कि काम करने के लिए 30 रत्नों का होना जरूरी नहीं है।
एक जुमला यह भी :
सचिवालय में इन दिनों चौथी श्रेणी के कर्मचारियों में एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि बड़े साहब लोगों की ऑफिस के बजाय घर पर काम लेने की आदत को लेकर हैं। पिछले दिनों एक बड़े साहब से परेशान होकर फोर्थ क्लास के कर्मचारी ने यूनियन की शरण ली तो साहब के भी एक बार तो पसीने छूट गए। साहब ने फोर्थ क्लास का तबादला तो करवा दिया, मगर अब चैन से नहीं बैठ रहे, चूंकि अब फोर्थ क्लास कर्मी जिस साहब के पास लगे हैं, वे साहब को फूटी आंख भी नहीं सुहाते हैं। साहब को डर इस बात का है कि कहीं फोर्थ क्लास घर की सारी पोल खोल कर ब्याज समेत वसूल नहीं कर ले, क्योंकि साहब के पुराने पीएस पहले से ही बिजली-पानी के साथ बैंगन-टमाटर को लेकर पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
-एल. एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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