16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया बैन : मद्रास हाईकोर्ट सुझाव का संयुक्त अभिभावक संघ ने किया समर्थन, सुरक्षित भविष्य की दिशा में ऐतिहासिक कदम
हैकिंग और अन्य साइबर अपराधों को भी मिल रहा बढ़ावा
मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के सुझाव का संयुक्त अभिभावक संघ ने स्वागत करते हुए इसे बच्चों के सुरक्षित भविष्य की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया। संघ ने कहा कि आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है, जो उनके मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा।
जयपुर। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के सुझाव का संयुक्त अभिभावक संघ ने स्वागत करते हुए इसे बच्चों के सुरक्षित भविष्य की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया है। संघ ने कहा कि आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है, जो उनके मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। संयुक्त अभिभावक संघ का मानना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चों में हिंसा, अश्लीलता, साइबर बुलिंग, डिजिटल एडिक्शन और आत्मघाती प्रवृत्तियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। यही नहीं, इसी प्लेटफॉर्म के जरिए हैकिंग और अन्य साइबर अपराधों को भी बढ़ावा मिल रहा है। संघ ने बताया कि वह पहले भी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 16 वर्ष तक के बच्चों पर सोशल मीडिया बैन के लिए सख्त कानून बनाने की मांग कर चुका है।
संघ के राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सोशल मीडिया आज ड्रग्स की तरह काम कर रहा है, जिसकी लत बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि यदि 2047 तक ‘विकसित भारत’ का सपना साकार करना है, तो बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सोशल मीडिया पर सख्त प्रतिबंध तुरंत लागू किया जाना चाहिए।

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