जानें राज काज में क्या है खास
कुछ तो पक रहा है
सूबे में इन दिनों मैडम के गुस्से की चर्चा जोरों पर है।
चर्चा में मैडम का गुस्सा :
सूबे में इन दिनों मैडम के गुस्से की चर्चा जोरों पर है। मैडम भी छोटी-मोटी नहीं, बल्कि राज की नंबर दो कुर्सी की शोभा बढा रही है। वैसे तो मैडम का मासूम चेहरा हमेशा शांत रहता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से अचानक बदलाव आ गया। अब देखो न, गुरु को सचिवालय में हुई मीटिंग में सबकुछ ठीक-ठाक था, लेकिन अचानक ही मैडम का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और मीटिंग छोड़कर बाहर आ गईं। मैडम के चेहरे के बदलते रंग को देख वहां मौजूद लकीर के फकीर बड़े साहब भी हक्का बक्का हुए बिना नहीं रहे। बाद में पावणों की तरह मान-मनुहार से मामला तो शांत हो गया, लेकिन राज का काज करने वालों को असलियत का पता चला तो चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी। अब साहब लोगों को कौन समझाए कि जब मन की मुराद पूरी नहीं होती है, तो गुस्सा आना स्वाभाविक है।
कुछ तो पक रहा है :
साल का आखिरी महीना अपना असर दिखाए बिना नहीं रहता। खासतौर से राजनीतिक हलकों में तो हलचल कुछ ज्यादा ही होती है। हर छोटी-मोटी घटना का लोग अपने-अपने हिसाब से मायने निकालते हैं। अब देखो न, पिछले दिनों अटारी वाले भाई साहब ने नमोजी से मुलाकात की, तो सूबे में चर्चाओं का दौर शुरू हुए बिना नहीं रहा। इसके बाद मंगल को राजकुमारी मिली, तो दंगल हुए बिना नहीं रहा। अब शुक्र को बड़ी मैडम ने कट्सी के नाते नमोजी राम-राम कर ली, अटकलों ने और भी जोर पकड़ लिया। इन मुलाकातों को लेकर राज का काज करने वालों में चर्चा है कि सूबे में जाड़ों की रातों में पॉलिटिकल टेम्परेचर पर असर पडेÞ बिना नहीं रहेगा। चर्चा है कि सूबे की राजनीति में कुछ तो पक रहा है, चूंकि तीनों की छोटे अंतराल में हुई मुलाकातें कोई सामान्य नहीं हैं। इन मुलाकातों के पीछे के राज को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी है।
ऐक्शन बनाम रिऐक्शन :
इन दिनों भगवा वाले कुछ भाई लोगों में हो रहे दो-दो हाथों ने कई बड़े नेताओं के चेहरों की हवाइयां उड़ा दीं। वे न तो खा पा रहे हैं और नहीं पी पा रहे हैं। और तो और वे चमक नींद में सो रहे हैं। छुटभैय्ये नेता इसे ऐक्शन का रिऐक्शन बताकर चटकारे लेने में व्यस्त है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर आने वाला हर कोई बतिया रहा है कि यह शक्ति प्रदर्शन सामने वालों के लिए नहीं, बल्कि अपनों को ही नीचा दिखाने के लिए है।
एक जुमला यह भी :
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि अगले राज को लेकर है। राज तो आएगा या नहीं, यह तो तीन साल दूर की बात है, लेकिन राज में आने से रोकने के लिए अभी दिन-रात चिंतन-मंथन हो रहा है। राज का काज करने वालों में चर्चा है कि जोधपुर वाले भाई साहब को रोकने के लिए हाथ वाले भाई लोगों के एक खेमे के लीडर पसीना बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अब उनको कौन समझाए कि सियार के उतावलेपन से बेर जल्दी नहीं पकते। भाई साहब को रोकने के लिए उनसे बड़ा कद बनाना इतना आसान नहीं, जितना सोच रहे हैं।
-एल. एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं।)

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