World Psoriasis Day: त्वचा से जुड़ी गैर संक्रामक बीमारी है सोरायसिस देश में 3 करोड़ से ज्यादा लोग पीड़ित
त्वचा पर लाल धब्बे, खुजली और सूजन की होती है समस्या
तनाव, धूम्रपान, संक्रमण, चोट, दवाएं और अत्यधिक शराब सेवन सोरायसिस को बढ़ा सकते हैं।
जयपुर। सोरायसिस एक लम्बी चलने वाला गैर-संक्रामक त्वचा से जुड़ी बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। यह त्वचा की कोशिकाओं के अत्यधिक तेज गति से उत्पादन के कारण होता है, जिससे त्वचा पर लाल धब्बे, खुजली और सूजन होती है। हर साल 29 अक्टूबर को विश्व सोरायसिस दिवस मनाया जाता है ताकि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। वैश्विक स्तर पर सोरायसिस की व्यापकता लगभग दो से तीन प्रतिशत तक मानी जाती है। यानि विश्वभर में 20 करोड़ के लगभग इस रोग से प्रभावित है। भारत में सोरायसिस के 3.5 करोड़ लोग प्रभावित है ।
कारण
वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश माथुर ने बताया कि यदि परिवार में किसी को सोरायसिस है तो अन्य सदस्यों को भी इसके विकसित होने का खतरा रहता है। सोरायसिस एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगती है। इससे त्वचा कोशिकाओं की वृद्धि दर तेज हो जाती है और त्वचा पर लाल धब्बे बन जाते हैं। साथ ही तनाव, धूम्रपान, संक्रमण, चोट, दवाएं और अत्यधिक शराब सेवन सोरायसिस को बढ़ा सकते हैं।
लक्षण
डॉ. माथुर ने बताया कि लाल मोटे धब्बे जो अक्सर त्वचा पर सफेद छिलकों के साथ होते हैं। खुजली और जलन वाली त्वचा एवं त्वचा का सूखना और कभी-कभी फटना, जिससे खून आ सकता है। नाखूनों में भी परिवर्तन हो सकता है। सोरायसिस आमतौर पर स्कैल्प, कोहनी, घुटनों और पीठ के निचले हिस्से पर अधिक होता है। सबसे ज्यादा खतरनाक जोड़ों में दर्द या सोरायटिक गठिया है।
सोरायसिस के उपचार के विभिन्न तरीके
डॉ. दिनेश माथुर ने बताया कि सोरायसिस का कोई स्थाई इलाज नहीं है लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और त्वचा की स्थिति को बेहतर करने के लिए विभिन्न उपचार विधियां उपलब्ध हैं। दवाओं के साथ साथ यूवीबी थैरेपी, गंभीर सोरायसिस के मामलों में इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली के विशिष्ट हिस्सों को लक्षित करते हैं जिससे त्वचा की सूजन कम होती है।
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