ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित 22 प्रतिशत लोग ही पहचान पाते हैं स्ट्रोक के लक्षण: डॉ. डी.पी. शर्मा
हेमरेजिक स्ट्रोक रक्त वाहिका फटने के कारण होता है
भारत में ब्रेन स्ट्रोक मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है, जो हर साल लगभग 18 लाख लोगों को प्रभावित करता है। इसके बावजूद जागरुकता चिंताजनक रूप से कम है
जयपुर। भारत में ब्रेन स्ट्रोक मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है, जो हर साल लगभग 18 लाख लोगों को प्रभावित करता है। इसके बावजूद जागरुकता चिंताजनक रूप से कम है। एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 22 प्रतिशत लोग स्ट्रोक के लक्षणों को पहचान पाते हैं और मात्र 10 प्रतिशत लोग उपचार के विकल्पों के बारे में जानते हैं। स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। इस्केमिक और हेमरेजिक, इस्केमिक स्ट्रोक जो लगभग 87 प्रतिशत मामलों में होता है, यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को रोकने वाली धमनी में रक्त का थक्का बन जाता है। हेमरेजिक स्ट्रोक रक्त वाहिका फटने के कारण होता है, जिससे मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। न्यूरोसर्जन डॉ. डीपी शर्मा ने बताया कि स्ट्रोक का इलाज समय पर करना बेहद महत्वपूर्ण है। इस्केमिक स्ट्रोक के लिए थ्रोम्बोलिटिक थेरेपी अगर 4-5 घंटे के भीतर दी जाए तो यह रक्त के थक्के को घोल सकती है।
मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी के जरिए रक्त के थक्के को हटाया जा सकता है। वहीं, हेमरेजिक स्ट्रोक के लिए सर्जरी की जरूरत होती है ताकि फटी हुई रक्त वाहिका को ठीक किया जा सके और मस्तिष्क पर दबाव कम किया जा सके। लक्षणों की पहचान में देरी से उपचार में देरी होती है, जिससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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