यातायात नियमों के उल्लंघन पर यूपी, हरियाणा, दिल्ली से पीछे राजस्थान, 5 साल में महज 58.55 लाख ई-चालान
पिछले पांच साल में देशभर में 18.24 करोड़ ई-चालान
मोटर वाहन नियम के अनुसार नए मोटर वाहन जिन्होंने अपने प्रारंभिक पंजीकरण की तारीख से एक वर्ष पूरा नहीं किया है, उन्हें पीयूसीसी से गुजरना आवश्यक नहीं है।
जयपुर। केन्द्रीय मोटर यान नियम के तहत यातायात नियमों के उल्लंघन पर ई-चालान करने में यूपी, तमिलनाडु, केरल और हरियाणा टॉप पर है, जबकि राजस्थान पडौसी राज्यों से पीछे है। पिछले पांच साल में राजस्थान में 58.55 लाख ई-चालान हुए, जिससे 13,93,47,99,915 रुपए का राजस्व मिला। जबकि यूपी में 4.40 करोड़, तमिलनाडु में 5.57 करोड़, केरल में 1.88 करोड़ और हरियाणा में 1.03 करोड़ ई-चालान हुए। ई-चालान पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच साल में देशभर में 18.24 करोड़ ई-चालान हुए।
वाहनों की स्थिति
नवंबर 2024 तक राष्ट्रीय मोटर वाहन रजिस्टर अर्थात वाहन 4.0 के अनुसार पंजीकृत मोटर वाहनों की कुल संख्या लगभग 38.51 करोड़ है। राष्ट्रीय ड्राइविंग लाईसेंस रजिस्टर अर्थात सारथी 4.0 के अनुसार वैध ड्राइविंग लाईसेंस और वैध लर्नर लाइसेंस की कुल संख्या क्रमश: 18.20 करोड़ और 95.79 लाख है।
कैसे कटता है ई-चालान
ई-चालान किसी भी वाहन का काटा जा सकता है, जो यातायात नियमों का उल्लंघन करता है। ई-चालान जारी करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। ये कंप्यूटर से जनरेट होता है, जो सीसीटीवी कैमरे के जरिए होता है। ई-चालान जारी होने के बाद वाहन मालिक को मोबाइल पर मैसेज आता है। ई-चालान की जानकारी केन्द्रीकृत प्रणाली में दर्ज होती है।
आईआईबी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बीमित मोटर वाहनों की कुल संख्या 17,54,37,351 है। इसके अलावा मोटर वाहनों के लिए वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र की कुल संख्या 5.34,30,622 है। हालांकि मोटर वाहन नियम के अनुसार नए मोटर वाहन जिन्होंने अपने प्रारंभिक पंजीकरण की तारीख से एक वर्ष पूरा नहीं किया है, उन्हें पीयूसीसी से गुजरना आवश्यक नहीं है। इसके अलावा बैटरी चालित वाहनों और गैर स्व चालित वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र से छूट दी गई है।
राज्य ई-चालान की संख्या प्राप्त राजस्व रुपए में
तमिलनाडु 5.57 करोड़ 7.55 अरब
उत्तर प्रदेश 4.40 करोड़ 24.95 अरब
केरल 1.88 करोड़ 6.90 अरब
हरियाणा 1.03 करोड़ 14.65 अरब
दिल्ली 90.22 लाख 5.71 अरब
राजस्थान 58.55 लाख 13.93 अरब
ओडिशा 54.11 लाख 5 अरब
बिहार 43.41 लाख 14.03 अरब
गुजरात 33.31 लाख 6.80 अरब
मध्य प्रदेश 20.19 लाख 69.21 करोड़
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