पैंथर-भालू से लेकर मगरमच्छ के खून से सने हाइवे और रेलवे ट्रैक, भोजन-पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकले बेजुबानों को ट्रेेन-ट्रकों ने कुचला
टाइगर रिजर्व व सेंचुरी से गुजर रही रेलवे ट्रेक व हाइवे
मुकुंदरा-रामगढ़ टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों को ट्रक और ट्रेनों ने रौंदा
कोटा। मुकुंदरा व रामगढ़ टाइगर रिजर्व से गुजर रहे नेशनल हाइवे व रेलवे ट्रेक वन्यजीवों के खून से लाल हो रहे हैं। भोजन-पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकले बेजुबानों को सड़कों पर भारी वाहन तो पटरियों पर ट्रेनें कुचल रही हैं। वन अधिकारियों की घोर लापरवाही से वन्यजीव अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं। हालात यह हैं, पिछले पांच सालों में मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व में 50 से ज्यादा वन्यजीवों की ट्रेन व सड़क दुर्घटनाओं में दर्दनाक मौत हो चुकी है। जिसमें से अधिकतर जानवर शेड्यूल-1 श्रेणी के हैं। इसके बावजूद वन्यजीवों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जा रहे।
50 से ज्यादा वन्यजीवों को ट्रेन-ट्रकों ने कुचला
मुकुंदरा व रामगढ़ टाइगर रिजर्व में वर्ष 2019 से 2024 तक पैंथर, भालू व मगरमच्छ सहित 50 से ज्यादा वन्यजीवों की सड़क व रेल दुर्घटनाओं में दर्दनाक मौत हो चुकी है। वहीं, वन्यजीव विभाग के अधीन सेंचुरी में भी वन्यजीव सुरक्षित नहीं है। यहां वर्ष 2023 व 24 में मगरमच्छ व मादा नील गाय को हाइवे पर बेलगाम दौड़ते भारी वाहन कुचल गए। बेजुबानों की दर्दनाक मौत के बावजूद वन अधकारियों द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। जिसकी वजह से आए दिन जंगली जानवर दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं। जिसमें सर्वाधिक संख्या पैंथर की है।
ट्रेन की टक्कर से ब्रोकन टेल टाइगर की हो चुकी मौत
मुकंदरा टाइगर रिजर्व के दरा रेंज से गुजर रही रेलवे ट्रेक वन्यजीवों के लिए मौत का ट्रैक साबित हो रही है। वर्ष 2023 में रणथम्भौर से चलकर मुकुंदरा आया ब्रोकन टेल टाइगर की ट्रेन की टक्कर से मौत हो गई थी। इसके बाद भी वन विभाग के अधिकारी वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह बने रहे। ब्रोकन टेल की मौत के बाद मई 2018 तक 17 वन्य जीवों की रेलवे ट्रैक पर मौत हो चुकी है।
मुकुंदरा से 7 तो रामगढ़ से 25 किमी गुजर रही रेलवे ट्रैक
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से 7 किमी तो रामगढ़ विषधारी से करीब 20 से 25 किमी लंबी रेलवे ट्रैक गुजर रही है। कई जगहों पर रेलवे ट्रैक के दोनों ओर तार फेंसिंग नहीं है। वहीं, कोई सुरक्षा दीवार भी नहीं बनी हुई है। जिसके कारण आए दिन शेड्यूल वन श्रेणी के जानवर ट्रैन की चपेट में आने से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं। रामगढ़ की अपेक्षा मुकुंदरा में अधिकतर जानवरों की मौत ट्रेन से कटकर हुई है।
11केवी लाइन गिरी, करंट से लेपर्ड परिवार खत्म
मुकुंदरा व रामगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच डाबी के डसालिया वनखंड से गुजर रही 11केवी बिजली का तार टूटकर गिर गया। करंट की चपेट में आने से लेपर्र्ड का पूरा परिवार खत्म हो गया। यहां नर व मादा लेपर्ड के साथ दो शावकों की भी मौत हो गई थी। वहीं, 4 नेवलों की भी करंट की चपेट में आने से अकाल मुत्यु हो गई। इसी तरह 12 दिसम्बर 2023 को नेशनल हाइवे 148-डी पर अज्ञात भारी वाहन ने 1 वर्षीय मादा पैंथर को रौंध दिया।
ट्रेन से कटकर भालू के हो गए दो टुकड़े
12 जनवरी 2020 को मुकुंदरा में दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन पर ट्रेन से कटकर 12 वर्षीय नर भालू की दर्दनाक मौत हो गई थी। ट्रेन की रफ्तार से भालू के शरीर के दो टुकड़े हो गए थे। यह दुर्घटना कमलपुरा स्टेशन के पास रेलवे लाइन पर डॉट के मोखे के ऊपर हुआ था। रेलवे ट्रेक की दैनिक निगरानी के लिए जाने वाले रेलवे कीमैन की सूचना पर रिजर्व अधिकारियों को घटना पता लगा था।
कहां कौनसे एनीमल हुए दुर्घटनाग्रस्त
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व : पैंथर, नर व मादा भालू, जरख, सियार, मगरमच्छ, मादा नील गाय, सांभर, चीतल, मोर, जंगली बिल्ली सहित अनेक जानवरों की ट्रेन व भारी वाहनों की टक्कर से मौत हो गई। इनमें से अधिकतर जानवरों की मौत पटरी पार करते हुए ट्रेन की चपेट में आने से हुई है। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व : पैंथर, जंगली सूअर, नर व मादा नील गाय (बच्चा), मोर, मादा सांभर, सियार, चीतल शामिल हैं। यह तो वो एनीमल हैं, जिनकी मौत रिकॉर्ड में दर्ज हैं, इसके अलावा कई एनीमल तो ऐसे हैं, जिनकी मौत का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
वाइल्ड लाइफ कोटा : वन्यजीव विभाग के अधीन अभयारणयों से मगरमच्छ व मादा नील गाय की मौत हुई है। यहां जंगलों से सटकर निकल रहे नेशनल, स्टेट व मेगा हाइवे गुजर रहे हैं। जिन्हें पार करते हुए अकाल मौत के शिकार हो गए।
आंकड़ों में देखिए, ट्रेन से पैंथरों की दर्दनाक मौत
- 5 मार्च 2023 को रामगढ़ टाइगर रिजर्व में भीमलत के पास बूंदी-चित्तौड़गढ़ रेलवे लाइन पर नर पैंथर की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी।
- 22 जनवरी 2021 को भीमलत के पास जालंधरी-श्रीनगर स्टेशन के बीच मादा पैंथर ट्रेन की चपेट में आ गई थी। जिससे पैंथर की पूछ और बायां पैर कटकर अलग हो गया। 8 घंटे ट्रैक पर तड़पती रही, बाद में उसका दम टूट गया।
- 11 मार्च 2021 को भीमलत के जंगलों में सीताकुंड वनक्षेत्र के जैतपुरा बांध के पास नर पैंथर को ट्रैन ने टक्कर मार दी। जिससे वह लहुलुहान हो गया। जिसे इलाज के लिए अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क ले गए, जहां उसकी मौत हो गई।
- 30 अक्टूबर 2019 को भारी वाहन ने 7 माह के पैंथर शावक को हाइवे पर कुचल दिया।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों के लिए पर्याप्त भोजन पानी की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जानवर भोजन की तलाश में जंगल से बाहर निकलते हैं और सड़क या ट्रैक पार करते समय भारी वाहन व ट्रेन चपेट में आने से अकाल मौत का शिकार हो जाते हैं। बिजौलिया से करोंदी टोल के पास हर साल भालू की दुर्घटना में मौत होती है। कई जगह से रिजर्व की दीवारें टूटी हुई हैं। यहां प्रोपर गश्त नहीं होती। जिसकी वजह से वनकर्मियों को वन्यजीवों की मौत का पता ही नहीं लग पाता। इनका मुखबिर तंत्र भी कमजोर है। फोरस्ट अधिकारियों को स्थानीय लोगों को साथ लेकर बेजुबानों की जान बचाने के प्रयास करना चाहिए।
-विट्ठल सनाढ्य, वन्यजीव विशेषज्ञ बूंदी
रिजर्व क्षेत्र की सुरक्षा दीवारें जगह-जगह से टूटी हुई हैं, जिनकी प्राथमिकता से मरम्मत करवाकर 6 फीट ऊंची की जाए। ग्रासलैंड व प्रेबेस डवलप करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि, वन्यजीवों को जंगल में ही पर्याप्त भोजन मिल सके। इसके अलावा रेलवे ट्रेक व हाइवे पर जानवरों को आने से रोकने के लिए अंडरपास बनाए जाए और अधिक से अधिक वाटर प्वाइंट बनाए जाना चाहिए। यह विकास कार्य होंगे तो जानवरों को जंगल से बाहर निकलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
-पृथ्वीराज सिंह, वन्यजीव विशेषज्ञ
इनका कहना
फोरेस्ट के बीच से जो हाइवे गुजर रहे हैं, वहां स्पीड ब्रेकर बनाए जाएंगे। रिजर्व एरिया से निकलने वाली रेलवे ट्रैक जहां संभव होगा, वहां फेंसिंग करवाई जाएगी, ताकि जानवरों को दुर्घटनाओं से बचाया जा सके। इसके अलावा रिजर्व के एक जंगल से दूसरे जंगल में जाने के लिए बजाए सड़क पर आने के अंडर पास बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजे जाएंगे।
-रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, वन विभाग कोटा
वन्यजीवों की सुरक्षा के बेहतर प्रबंध किए जा रहे हैं। हाइवे वाले एरिया में वाहनों की स्पीड धीमी किए जाने के प्रयास कर रहे हैं। वहीं, ट्रेन वाली घटना पहले अधिक होती थी, जो अब बहुत कम हो गई है। स्पीड धीमी रखने के लिए रेलवे को लगातार लिखा जाता है।
-मुथुएस, डीएफओ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व
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