बिल्डिंग पर करोड़ों खर्च, अग्निसुरक्षा पर नहीं

शहर में 2300 भवन मालिकों को दिए नोटिस, 90 फीसदी हॉस्टल शामिल

बिल्डिंग पर करोड़ों खर्च, अग्निसुरक्षा पर नहीं

हॉस्टल मालिकों की लापरवाही से बच्चों की जान जोखिम में।

कोटा। शहर में पहले जहां एक या दो मंजिल के मकान ही अधिक बनते थे। वहीं अब महानगरों की तर्ज पर कोटा में भी बहुमंजिला इमारतें बनने लगी है। इनकी संख्या भी लगातार बढ़ रही है। हालत यह है कि बिल्डिंग बनाने पर तो लोग लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं जबकि उनमें आग से सुरक्षा पर एक रुपए भी खर्च नहीं कर रहे। नतीजा हॉस्टल मालिकों की लापरवाही का खामियाजा बेकसूर बच्चों को जान जोखिम में डालकर भुगतने को मजबूर होना पड़ रहा है। कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लक्ष्मण विहार प्रथम स्थित आदर्श रेजीडेंसी में रविवार को सुबह अचानक आग लग गई। आग इतनी अधिक थी कि उस हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को दो से तीन मंजिल से कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी। जिससे उनमें से कई के पैर में फ्रेक्चर हो गया तो किसी के हाथ-पैर जल गए। गनीमत रही कि कोई जन हानि नहीं हुई। हादसे के बाद जांच की तो पता चला कि उस हॉस्टल में फायर सिस्टम तो लगा हुआ ही नहीं है। 5 मंजिला हॉस्टल के 75 कमरों में से 61 कमरों में बच्चे रह रहे थे उस हॉस्टल में अवैध रूप  से ट्रांसफार्मर भी लगा हुआ था। हॉस्टल मालिक व संचालक स्वयं को प्रशासन से बड़ा मान रहे थे। यही कारण है कि निगम के फायर अनुभाग द्वारा दो बार नोटिस देने के बाद भी उन पर कोई असर नहीं हुआ। नतीजा उसमें रहने वाले बच्चों को भुगतना पड़ा। हालांकि हादसे के बाद निगम व पुलिस प्रशासन चेता और उस हॉस्टल को सीज कर दिया। साथ ही संचालक व लीज धारक के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया। शहर में पूर्व में भी कई हॉस्टलों में आग लग चुकी है।  जानकारों के अनुसार बहुमंजिला इमारतें बनाने में लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।  जबकि उनमें आग से सुरक्षा के नाम पर एक रुपए भी खर्च नहीं किया जा रहा। यहां तक कि दिखावे के तौर पर कई जगह छोटे फायर उपकरण लगाकर इतिश्री कर ली जाती है। फायर अनुभाग के अधिकारियों के अनुसार मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में निमाण की कुल लागत का मात्र एक फीसदी से भी कम खर्चा फायर सिस्टम लगाने पर आता है। यह खर्चा मात्र 15 से 50 हजार रुपए आता है। लेकिन उससे वहां रहने वाले लोगों का जीवन सुरक्षित रहता है। 

बिना यूडी टैक्स फायर एनओसी नहीं
स्वायत्त शासन विभाग द्वारा फायर एनओसी के लिए यूडी टैक्स जमा करवाना आवश्यक किया हुआ है। लेकिन अधिकतर हॉस्टल संचालक यूडी टैक्स जमा ही नहीं करवाते हैं। ऐसे में वे फायर एनओसी के लिए आवेदन तो कर देते हैं लेकिन यूडी टैक्स जमा नहीं होने से कारण उन्हें एनओसी नहीं मिल पाती। जबकि संचालक आवेदन करने को ही एनओसी मानकर चलता रहता है। प्रशासन भी हादसे का इंतजार करता है। 

एक दिन में तीन सीज किए तो मची भगदड़
इधर एक हॉस्टल में आग लगने की घटना होने पर जब निगम द्वारा उसे सीज किया गया। उसके साथ ही लैंडमार्क सिटी को दो अन्य हॉस्टल सीज किए तो मालक व संचालकों में भगदड़ मच गई। फायर अधिकारियों के अनुसार सोमवार को उत्तर व दक्षिण निगम में करीब 50 से 100 फोन आ गए। जिसमें फायर सिस्टम व एनओसी लेने के सबंध में जानकारी ली गई। 

ऐसे सैकड़ों हॉस्टलों को नोटिस
शहर में आदर्श रेजीडेंसी एक मात्र हॉस्टल नहीं है जिसमें न तो फायर सिस्टम है और न ही फायर एनओसी ले रखी है। निगम के फायर अनुभाग द्वारा सर्वे में फायर सिस्टम व एनओसी नहीं लेने वाले करीब 2300 से अधिक भवन मालिकों जिनमें 90 फीसदी हॉस्टल है उन्हें नोटिस दे रखे हैं। उसके बाद भी उन पर कोई असर नहीं हो रहा है। नगर निगम कोटा उत्तर क्षेत्र में 1100 और कोटा दक्षिण क्षेत्र में 1200 बिल्डिग को नोटिस दिए हुए हैं।  नए कोटा के जवाहर नगरव डिस्ट्रिक्ट सेंटर, राजीव गांधी नगर, तलवंडी, इंद्र विहार, कम्पीटिशन कॉलोनी, दादाबाड़ी, विज्ञान नगर, लैंडमार्क कुन्हाड़ी, लक्ष्मण विहार, नया नोहरा, कोरल पार्क समेत हर क्षेत्र में हॉस्टलों की भरमार हो गई है। यहां तक कि लोगों ने अपने घरों को सीमित कर लिया है। उसके स्थान पर हॉस्टल व पीजी में कंवर्ट कर कमाई का जरिया तो बना लिया। 15 से 18 हजार रुपए महीना बच्चों से वसूल किया जा रहा है। लेकिन आग से सुरक्षा के नाम पर एक रुपए भी खर्चा नहीं किया जा रहा। 

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सीएफओ राकेश व्यास से सवाल-जवाब
- सवाल- शहर के हॉस्टलों में आए दिन आग लगने की घटनाएं हो रही हैं फिर भी उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
व्यास- समय-समय पर हॉस्टलों व मल्टी स्टोरी  का सर्वे करते हैं। कमियां पाए जाने पर नोटिस दे रहे हैं। दोनों निगम क्षेत्र में 2300 नोटिस दे  रखे हैं। 
सवाल- केवल नोटिस देना ही पर्याप्त है। नोटिस के बाद भी व्यवस्था नहीं सुधर रही।
व्यास- कमियां पाई जाने पर नियमानुसार पहले नोटिस दिए जाने का प्रावधान है। उसके बाद भी सुधार नहीं होने पर उस हॉस्टल व बिल्डिंग को सीज किया जाता है। 
सवाल- हर बार हादसा होने के बाद ही कार्रवाई क्यों की जाती है।
व्यास- निगम व प्रशासन का प्रयास रहता है कि हर मल्टी में फायर सिस्टम हो। ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ पूर्व में भी कई बार सीजिंग की कार्रवाई की है। आग वाले के साथ ही दो अन्य हॉस्टल भी सीज किए हैं। इस तरह की कार्रवाई समय-समय पर करते रहते हैं। 
सवाल- क्या भविष्य में भी  कार्रवाई के लिए इसी तरह की घटनाएं होने का इंतजार किया जाएगा। 
व्यास- निगम का फायर अनुभाग पूरे साल काम करता है। बीच-बीच में चुनाव व अन्य आवश्यक काम होने से उनमें लगना पड़ता है। हादसे से पहले ही कार्रवाई की जाएगी। फायर टीम की ओर से शहर में सर्वे का काम किया जा रहा है। 
सवाल- फायर सिस्टम व एनओसी नहीं लेने का कारण क्या है
व्यास- फायर सिस्टम बिल्ड़िग के निर्माण के हिसाब से लगता है। तीन-चार मंजिल से अधिक निर्माण होने पर फायर सिस्टम आवश्यक होता है। फायर एनओसी के लिए यूडी टैक्स जमा होना आवश्यक है। अधिकतर लोग टैक्स जमा नहीं करवा पाते। जिससे उन्हें एनओसी नहीं मिल पाती।

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