राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में नाड़ी परीक्षण के प्रशिक्षण पर दो दिवसीय कार्यशाला
देश के प्रख्यात नाड़ी वैद्य प्रो. गोविंद प्रसाद उपाध्याय एवं आचार्य संजय छाजेड़ भावी आयुर्वेद चिकित्सकों को नाडी परीक्षण पर देंगे जानकारी दी।
जयपुर। देश के प्रख्यात नाड़ी वैद्य प्रो. गोविंद प्रसाद उपाध्याय एवं आचार्य संजय छाजेड़ भावी आयुर्वेद चिकित्सकों को नाडी परीक्षण पर देंगे जानकारी दी। जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानद विश्वविद्यालय में रोग निदान एवं विकृति विज्ञान विभाग द्वारा दो दिवसीय नाडी विज्ञान पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, देश के प्रख्यात नाड़ी वैद्य प्रो. गोविंद प्रसाद उपाध्याय एवं आचार्य संजय छाजेड़ ने किया।
कुलपति प्रो संजीव शर्मा ने कहा आयुर्वेद की प्राचीन विधाओं को आगे ले जाना हम सभी का कर्तव्य है। रोग निदान ओर जांच के लिये आयुर्वेद में नाड़ी का बड़ा महत्व है। इन्वेस्टिगेशन ओरिएंटेड साइंस के साथ हमें हमारी क्लीनिकल साइंस को भी बढ़ाना होगा।
आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से रोग निदान ओर आमजन के बेहतर स्वास्थ्य के लिये आयुर्वेद पर हमेशा चर्चा होनी चाहिए, जिससे इस क्षेत्र में प्रभावी एवं सकारात्मक परिणाम आये। आयुर्वेद पद्धति के माध्यम से चिकित्सा एवं शिक्षा के लिये प्राचीन पद्धति के साथ नई तकनीक और नवाचारों का भी समय-समय पर समावेश किया जाना चाहिये। आज राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में नई तकनीक के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भविष्य में विद्यार्थियों को नाड़ी परीक्षण को प्राचीन पद्धति के साथ नई तकनीक के माध्यम से सिखाने के लिये सिम्युलेशन तकनीक पर कार्य करने का प्रयास किया जायेगा। नाड़ी वैद्य प्रो. गोविंद प्रसाद उपाध्याय ने आयुर्वेद चिकित्सा में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिये नाड़ी प्रशिक्षण पर दो दिवसीय कार्यशाला के आयोजन पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की सराहना करते हुए कहा की किस तरह नाड़ी देखी जानी चाहिए, किस तरह से नाड़ी के दोषों का पता चलता है, किस तरह से रोगों की अवस्था का ज्ञान होता है और हमें आयुर्वेद चिकित्सा करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए यह सब हम नाड़ी की परीक्षण के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं। आचार्य संजय छाजेड़ ने कहा प्राचीन समय मे रोग की पहचान के लिये किसी भी प्रकार की परीक्षा पद्धति नही थी, रोग की पहचान और निदान रोगी की नाड़ी के परीक्षण को करके किया जाता था। नाड़ी परीक्षण लगातार अभ्यास करने से आता है। दो दिवसीय कार्यशाला में मुख्य वक्ता देश के प्रख्यात नाड़ी वैद्य प्रो. गोविंद प्रसाद उपाध्याय एवं आचार्य संजय छाजेड़ भावी आयुर्वेद चिकित्सकों को नाडी परीक्षण जैसे कठिन विषय को सरल रूप से साझा करेंगे एवं नाडी विज्ञान के ज्ञान के साथ आगामी भविष्य के लिए उत्तम वैद्य बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रति कुलपति प्रो. रामकिशोर जोशी, कुल सचिव प्रो. अनीता शर्मा, आयोजन सचिव डॉ. सुरेंद्र कुमार शर्मा एवं समस्त विभागाध्यक्ष, चिकित्सक, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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