शिक्षा विभाग के विभागीय नियम से शिक्षकों को हो रही है परेशानी

संगठन जनप्रतिनिधियों का समर्थन जुटा रहे है

शिक्षा विभाग के विभागीय नियम से शिक्षकों को हो रही है परेशानी

शिक्षा विभाग के विभागीय नियम से शिक्षकों को परेशानी हो रही है। नए नियमों को बदलने के लिए संगठन जनप्रतिनिधियों का समर्थन जुटा रहे है। शिक्षा सेवा नियम 1970 सरकार ने संशोधन कर राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 2021 बनाए थे।

जयपुर। शिक्षा विभाग के विभागीय नियम से शिक्षकों को परेशानी हो रही है। नए नियमों को बदलने के लिए संगठन जनप्रतिनिधियों का समर्थन जुटा रहे है। शिक्षा सेवा नियम 1970 सरकार ने संशोधन कर राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 2021 बनाए थे। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि उनके कारण पदोन्नति विसंगति हो गई और अनेकों शिक्षक पदोन्नति से वंचित हो जाएंगे।

नियम 1 : राजस्थान शैक्षिक सेवा नियम - 2021 के अंतर्गत प्राध्यापक (विभिन्न विषय) पद पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा सीधी भर्ती के लिए योग्यता सुसंगत विषय में स्नातकोत्तर रखी गई है, जबकि सेवारत शिक्षकों (अध्यापक एवं वरिष्ठ अध्यापक) की पदोन्नति के लिए अतिरिक्त योग्यता सुसंगत विषय में स्नातकोत्तर है। बशर्ते कि उन्होंने स्नातक स्तर पर सुसंगत विषय का अध्ययन किया हो, जो कि प्रदेश के एक लाख 25 हजार सेवारत शिक्षकों के प्रति न्याय संगत नहीं है। इस नियम से सबसे अधिक विज्ञान तथा कॉमर्स  के वरिष्ठ अध्यापक प्रभावित होंगे, क्योंकि उन्होंने कही पीजी अन्य विषय में की हुई है। विज्ञान तथा कॉमर्स के वरिष्ठ अध्यापक आगे पदोन्नत नहीं होंगे, तो तृतीय श्रेणी शिक्षकों के भी पदौन्नोति द्वार बंद हो जाएंगे, जबकि सीधी भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा में इन नियमों की बाध्यता नहीं है ऐसे में एक पद के लिए दो योग्यता रखना न्याय संगत नहीं है। संगठन का आग्रह है कि ऐसे शिक्षक जिन्होंने राज्य सरकार के गजट नोटिफिकेशन स्नातकोत्तर डिग्री कर चुके है या विश्वविद्यालययों में प्रवेश ले चुके है। इसके लिए इस नियम को तत्काल समाप्त या छूट प्रदान कर प्रदेश के हजारों शिक्षकों को पूर्व नियानुसार ही पदोन्नति प्रदान कर राहत देने की कृपा करे, ताकि प्रदेश के हजारों शिक्षकों को पदोन्नति के समान अवसर प्राप्त हो सके।

नियम 2 : सरकार के दूसरे नियम से भी शिक्षक पदोन्नति से वंचित ही हो रहे है। उपप्रधानाचार्य पद पर सीधी भर्ती नहीं करने से विभागीय शिक्षकों का उच्च पद पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। सरकार द्वारा प्रधानाचार्य के पदों को समाप्त कर दिया गया है। सरकार द्वारा 14886 उपप्रधानाचार्य पद सृजित किए गए है। इन पदों पर पदोन्नति द्वारा व्याख्याताओं की नियुक्ति होगी। ऐसे में संगठन का मानना है कि इन पदों पर 50 प्रतिशि  सीधी भर्ती रखी जानी चाहिए, जिससे विभागीय शिक्षक को सीधी भर्ती द्वारा पदोन्नति का लाभ मिल सके। सरकार द्वारा यूजी तथा पीजी में समान विषय करने के कारण द्वितीय श्रेणी से व्याख्यता पद की पदोन्नति अटकी हुई है। ऐसे में समान विषय नियम होने से शिक्षक पदोन्नत नहीं होंगे और उपप्रधानाचार्य पद की सीधी भर्ती सरकार द्वारा नहीं की जा रही। ऐसे में शिक्षकों की पदोन्नति नहीं होगी और शिक्षक कुंठित महसूस करेंगे।
सरकार को नए शिक्षा सेवा नियमों पर विचार करना चाहिए। यूजी तथा पीजी में समान विषय के नियम की बाध्यता में छूट देनी चाहिए। इसके साथ ही नवसृजित उपप्रधानाचार्य के पदों पर आधे पद सीधी भर्ती तथा आधे पद पदोन्नति से भरे जाने चाहिए। अगर सरकार नये नियमों पर संशोधन विचार नहीं करती है, तो बोर्ड परीक्षाओं के बाद शिक्षकों द्वारा बड़े आंदोलन की शुरुआत होगी।



Post Comment

Comment List

Latest News