इजरायल : जरूरी हुआ तो नाखूनों की मदद से लड़ेंगे !

इजरायल : जरूरी हुआ तो नाखूनों की मदद से लड़ेंगे !

अमेरिका  इजरायल को हर साल 3.8 अरब की सैन्य सहायता देता है। विशेष परिस्थितियों को देखकर उसने हाल ही 17 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता मंजूर की है।

इजरायल और हमास के बीच काहिरा में हुई बातचीत के विफल होने के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी से लेकर राफा तक हमले तेज कर दिए हैं। इजरायल ने अपना यह आक्रामक रुख तब भी जारी रखा जब संयुक्त राष्ट्र ने उसे चेतावनी दी थी। यहां तक कि अमेरिका ने उसकी मदद को भेजी जा रही सैन्य सामग्री को बीच में ही रोक दिया है। अब मिस्र ने भी उससे पुराने संबंध तोड़ लेने की धमकी दी है।
अमेरिका के ताजा फैसले के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का यह बयान गौर करने लायक है। उन्होंने कहा है कि अगर हमें अकेले खड़े रहना होगा तो हम अकेले खड़े रहेंगे। मैंने पहले भी कहा है कि जरूरत पड़ी तो हम अपने नाखूनों की मदद से भी लड़ेंगे। बता दें अमेरिका  इजरायल को हर साल 3.8 अरब की सैन्य सहायता देता है। विशेष परिस्थितियों को देखकर उसने हाल ही 17 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता मंजूर की है। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलस्तीन को पूर्ण कालिक सदस्य बनाने के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित हो चुका है। इस कार्यवाही दौरान इजरायली दूत ने विरोध स्वरूप चार्टर की कॉपी फाड़ते हुए जमकर दुनिया को सुनाया। बता दें कि भारत ने फिलस्तीन की सदस्यता के पक्ष में मतदान किया है। हालांकि कुछ देशों ने विरोध जताया और अमेरिका सहित करीब पच्चीस देश मतदान दौरान अनुपस्थित रहे। खैर, तेजी से घट रही इन वैश्विक गतिविधियों के बीच  पिछले साल 7 अक्टूबर से इजरायल-हमास के बीच छिड़े संघर्ष में अब तक पैंतीस हजार फिलस्तीन लोग मारे जा चुके हैं। हजारों की संख्या में लोग घायल हुए से अलग हैं। गाजा पट्टी में मानवीय सहायता कार्य पूरी तरह से ठप हो गए हैं। इसके बावजूद सात माह से जारी संघर्ष है कि अब तक थमा नहीं।
जहां तक संघर्ष विराम के विफल होने के पीछे सबसे बड़ा कारण बना हुआ है इजरायली बंधकों की रिहाई। इसके लिए हमास युद्ध विराम चाहता है। इजरायल को यह शर्त मंजूर नहीं है। कारण नेतन्याहू को इस समय तिहरे दबाव से गुजरना पड़ रहा है। इजरायली लोगों का दबाव है कि बंधकों की रिहाई के लिए हमास से समझौता किया जाए। तो दूसरी ओर इस मसौदे को मंजूर कर ले तो उनकी सरकार खतरे में पड़ सकती है। इसके पीछे उनकी गठबंधन सरकार के सहयोगी दल के नेताओं-इटामर बेन-ग्विर और बेजेल स्मोट्रिच की दी गई चेतावनी है। अब तो उसके सबसे विश्वस्त अमेरिका ने भी उसे सैन्य मदद जो रोक दी है। फिर उनका यह संकल्प भी आड़े आ रहा कि वे हमास का पूरी तरह सफाया होने तक चैन की सांस नहीं लेंगे। सभी इजरायली बंधकों की बिना शर्त रिहाई कराएंगे। लेकिन सात माह से पूर्व छेड़े गए संघर्ष के बावजूद ना तो अब तक बंधक रिहा हो पाए और ना ही हमास का पूरी तरह से सफाया हो पाया। उनके आगे संकट यह भी है कि रफाह पर यदि बडा मोर्चा खोल देते हैं तो इसमें भारी संख्या में मानवीय संकट उठ खड़ा होगा।
इसके पीछे मुख्य कारण चूंकि रफाह क्षेत्र घनी आबादी वाला है। वहां की आबादी में शरणार्थियों की संख्या बढ़ने के साथ पंद्रह लाख फिलस्तीनी आबादी है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर इजरायल के अलग-थलग होने का खतरा भी मंडरा रहा है। मिस्र, अमेरिका और कतर की मध्यस्थता में मिस्र की राजधानी काहिरा में हमास और इजरायल के बीच युद्ध विराम को लेकर जो समझौता हुआ उसकी पूरी जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है।
लेकिन विभिन्न स्रोतों से जुटाई  गई थोड़ी बहुत जानकारी के अनुसार समझौता तीन चरणों में है। इसमें हमास की ओर से बंधकों की रिहाई के लिए युद्ध विराम की बात की गई है। पहले चरण में इजरायल से उम्मीद जताई गई है कि वह चालीस दिन के लिए संघर्ष विराम लागू करे। इसके बदले तैतीस बंधकों की रिहाई के बदले फिलस्तीनी कैदियों की रिहाई की जाए। दूसरे चरण में 42 दिन का युद्ध विराम रखा जाए ताकि शेष जीवित बंधकों की रिहाई की जा सके। तीसरा चरण अरब सबसे विवादास्पद बना हुआ है। इजरायल चाहता है कि सभी बंधकों को हमास बिना शर्त रिहा करे। हमास की मांग है कि इजरायली सैन्य पूरी तरह से गाजा पट्टी को खाली करे। इजरायल को यह मांग मंजूर नहीं है। इजरायल ने अपने सैनिकों को उत्तरी और मध्य गाजा में तैनात कर रखा है। सेना हटती है, तो फिलस्तीनी और हमास आतंकवादी सीमा के करीब के क्षेत्रों में लौट आएंगे। यदि इजरायल स्थाई युद्ध विराम के लिए सहमत होता है तो शेष हमास जीवित रहेगा। वर्ष 1948 में फिलस्तीन क्षेत्र में इजरायल राज्य की स्थापना हुई थी। इसके बाद वर्ष 1967 के छह दिवसीय युद्ध दौरान संपूर्ण गाजा सहित रफाह क्षेत्र इजरायल के सैन्य कब्जे में आ गया था। इजरायल ने 7 अक्टूबर के बाद गाजा के उत्तर क्षेत्र में रहने वाले एक लाख से अधिक फिलस्तीनियों को खाली करने का आदेश दिया था। अधिकांश लोगों ने खान युनुस क्षेत्र में शरण ली।जब यहां हमला हुआ तो फिलस्तीनियों का पलायन रफाह क्षेत्र में हुआ।
जो समुद्री तट और सड़कों पर षिविरों में रह रहे हैं। गंदे माहौल के बीच उन्हें मुष्किल से दिन में डेढ़ से दो लीटर पानी भी मुष्किल से मिल पाता है। चिकित्सा सुविधा तो दूर भुखमरी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। उस पर अब इस्राइली हमले का खौफ और मंडरा रहा है। पर अब इस्राइली सेना के हमले का खौफ अलग मंडरा रहा है।

-महेश चन्द्र शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

 

Read More बनाइए कन्याओं को शक्ति रूपा

 

Read More बनाइए कन्याओं को शक्ति रूपा



Read More माफियाओं पर नियंत्रण होना जरूरी

Post Comment

Comment List

Latest News

बिहार में अवैध शराब का कारोबार रोकने में सरकार विफल, बेहद पीड़ादायक है 36 लोगों की मृत्यु : राहुल बिहार में अवैध शराब का कारोबार रोकने में सरकार विफल, बेहद पीड़ादायक है 36 लोगों की मृत्यु : राहुल
पीड़ितों के शोकाकुल परिवारजनों को हमारी गहरी संवेदनाएं। सरकार से अनुरोध कि दोषियों को न्यायसंगत सजा दिलवाई जाए।
तालिबान की सोच से प्रेरित है मदन दिलावर का बयान : गुर्जर
उपचुनाव में हार के डर से बौखलाए भाजपा के मंत्री, इनका लोकतंत्र में नहीं है भरोसा : जूली
प्रदेश में तापमान गिरने से सुबह-शाम होने लगा सर्दी का अहसास
पानी के अवैध कनेक्शन काटने में विभाग के छूटे पसीने, विजिलेंस शाखा स्थापित करने का सरकार को भेजेगा प्रस्ताव
युद्ध में नहीं, दुनिया को बुद्ध में मिल सकता है समाधान : मोदी
भजनलाल शर्मा ने लंदन दौरे पर दोराईस्वामी से की भेंट, निवेश पर की चर्चा