असर खबर का - गौशाला संचालकों को राहत, अनुदान की प्रशासनिक स्वीकृति जारी
गौशालाओं में अब चारे का संकट होगा समाप्त
नवज्योति में समाचार प्रकाशित होने के बाद जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारी हरकत में आए।
कोटा। राज्य सरकार की ओर से जिले में संचालित गौशालाओं को अनुदान देने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी गई है। इसके तहत जिले की 23 गौशालाएं अनुदान की पात्र हैं। इन गौशालाओं द्वारा आॅनलाइन बिल सबमिट किए जा रहे हैं। बिल सबमिट करने वाली गोशालाओं का भौतिक सत्यापन भी तुरन्त किया जा रहा है। सत्यापन के बाद कई गौशालाओं को अनुदान राशि जारी भी कर दी गई है। फिलहाल सम्बंधित गौशालाओं को 50 लाख रुपए तक का अनुदान जारी किया गया है। सरकार की ओर से द्वितीय चरण के तहत नवंबर, दिसंबर 2023 व जनवरी, फरवरी, मार्च 2024 का बजट दिया गया है।
बजट नहीं मिलने से हो रही थी दिक्कत
गौरतलब है कि बजट समय पर नहीं मिलने के कारण गोशाला संचालकों के लिए गौ वंश का पेट भरना मुश्किल हो रहा था। दानदाताओं व भामाशाहों के सहयोग से इंतजाम चारे पानी का इंतजाम किया जा रहा था। जिले में वर्तमान में 23 गौशालाएं विभाग में पंजीकृत है। जिनको साल में दो चरणों में अनुदान दिया जाता है। प्रथम चरण का अनुदान पहले ही दिया जा चुका है। द्वितीय चरण का अनुदान अब दिया है। पूर्व में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण गोशालाओं का द्वितीय चरण का अनुदान अटक गया था। अब अनुदान मिलने से गौशाला संचालकों को काफी राहत मिलेगी।
नवज्योति ने उठाया मामला तो हरकत में आया विभाग
जिले की गौशालाओं को वर्ष 2023-24 के दूसरे चरण के अनुदान अटक गया था। इस सम्बंध में दैनिक नवज्योति में गत 4 जून को प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसमें बताया था कि गौशालाओं को अनुदान दो माह पहले ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन अब तक नहीं मिला है। समय पर अनुदान नहीं मिलने से गायों के लिए चारे पानी की व्यवस्था करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। जैसे-तैसे जुगाड़ कर गौशालाओं का संचालन करना पड़ रहा था। समाचार प्रकाशित होने के बाद जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारी हरकत में आए और बजट जारी करने के लिए जयपुर मुख्यालय पर रिमांडर भेजा था। इसके बाद अनुदान की प्रशासनिक स्वीकृति और बजट जारी कर दिया गया।
इतना मिलता है अनुदान
पशुपालन विभाग के अनुसार बड़े गौवंश के लिए 40 रुपए की राशि प्रति गौवंश प्रतिदिन के हिसाब से देय है। जबकि तीन साल से कम उम्र के गोवंश को 20 रुपए प्रति गौवंश रोजाना के हिसाब से देय रहती है। इसमें किसी पशु के साथ अनहोनी की स्थिति होने पर गौशाला संचालकों को इसकी जानकारी विभाग को देनी पड़ती है। जांच के दौरान दर्शाई गई संख्या में पशु नहीं मिलने पर कार्रवाई भी होती है।
अनुदान समय पर नहीं मिलने से गौवंश के लिए चारा की व्यवस्था करना बेहद मुश्किल हो जाता है। लोगों से कर्ज लेकर गौवंशों के लिए चारा लाना पड़ता है। गौशालाओं को दूसरे चरण का अनुदान मिलने में देरी हो गई है। गौशालाओं के सुचारू संचालन के समय पर अनुदान मिलना चाहिए।
- जानकीलाल, गौशाला संचालक
पहले चरण में अप्रैल, मई, जून एवं जुलाई का अनुदान मिल चुका है। अब पांच माह यानि की नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी एवं मार्च के अनुदान की प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी गई है। कुछ गौशालाओं को अनुदान जारी भी कर दिया है।
- डॉ. जेपी मीना, पशु चिकित्सक, पशुपालन विभाग कोटा
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