पहले 2.37 करोड़ लौटाए, अब मांग रहे 25 करोड़

गत वर्ष विकास कार्यो के लिए मिला था करोड़ों का बजट, एक पैसा भी खर्च नहीं कर सका विभाग

पहले 2.37 करोड़ लौटाए, अब मांग रहे 25 करोड़

वित्तिय वर्ष की समाप्ति के साथ लैप्स हुआ करोड़ो का बजट।

कोटा। वन्यजीव विभाग हर साल बजट न होने का रोना रोता है, जब बजट मिलता है तो विकास कार्य करवाने में उसका समुचित उपयोग करने के बजाए वापस सरकार को लौटा दिया जाता है। पिछले साल से वन्यजीव विभाग अफसरों की उदासिनता का शिकार रहा है। विभाग को अलग-अलग विकास कार्यों के लिए कुल करीब 2.37 करोड़ का बजट मिला था। लेकिन, तत्कालीन अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण विकास कार्यों में बजट का उपयोग तो नहीं हुआ लेकिन वित्तिय वर्ष की समाप्ति के साथ लैप्स हो गया। इनमें से पक्षी घर का 87 लाख रुपए का बजट सरकार को सरेंडर कर दिया। दरअसल, ढाई करोड़ रुपए के बजट से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में इंटरपिटेक्शन सेंटर, बायोडायवर्सिटी पार्क व पक्षी घर का निर्माण कार्य होना था, जो अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुए नहीं। न वेटनरी हॉस्पिटल बना, न ही कैफेटेरिया : अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क 21 नवंबर 2021 को बनकर तैयार हुआ था। जिसमें 30 करोड़ की लागत आई थी। यहां वन्यजीवों के लिए कुल 44 एनक्लोजर बनने थे लेकिन बजट की कमी के कारण 13 ही बन पाए। शेष कार्य के लिए जायका प्रोजेक्ट के तहत 25 करोड़ का बजट मिलना था, जिसके नहीं मिलने से इसके सैकंड फेस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। जिसकी  वजह से 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल नहीं बन सके।

3 साल से नजरबंद दो दर्जन से ज्यादा वन्यजीव
नयापुरा स्थित रियासतकालीन चिड़ियाघर में तीन साल से दो दर्जन से ज्यादा पक्षी, मगरमच्छ व घड़ियाल सहित कई जानवर नजरबंद हैं। जिन्हें न तो पर्यटकों को दिखाया जाता है और न ही उन्हें बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया जा रहा है। हालात यह हैं वर्ष 2022 से पब्लिक के लिए कोटा चिड़ियाघर को बंद कर दिया गया। शहरी चंबल क्षेत्र में एक भी घड़ियाल नहीं है लेकिन चिड़ियाघर में 2 हैं। इसके बावजूद पर्यटक उन्हें देख नहीं पा रहे। अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। 

1.50 करोड़ से बनना था इंटर पिटेशन सेंटर 
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के पास करीब 1400 स्क्वायर मीटर में 1.50 करोड़ की लागत इंटरपिटेशन सेंटर व 10 हैक्टेयर में 20 लाख की लागत से बायोडायवर्सिटी पार्क बनाया जाना था। गत दो तीन पहले जिला कलक्टर ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग से प्रपोजल मांगे थे। इस पर वन्यजीव विभाग ने बायोलॉजिकल पार्क में इंटरप्रिटेशन सेंटर व बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने के प्रस्ताव रखे थे। जिसकी नवम्बर 2022 में स्वीकृति मिली थी। पर्यटन विभाग ने वित्त विभाग से स्वीकृति लिए वन्यजीव विभाग को एस्टीमेट मांगे थे। एस्टीमेट देने के बाद 19 जनवरी 2023 को दोनों कार्यों के लिए कुल 1 करोड़ 70 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया गया। इसके बावजूद 1.50 करोड़ का इंटरपिटेक्शन सेंटर नहीं बन पाया और बजट लैप्स हो गया। हालांकि, बायोडायवर्सिटी पार्क में 5 लाख रुपए की लागत से चार दीवारी व फाउंडेशन का काम हुआ था। लेकिन, पर्यटन विभाग से शेष 15 लाख रुपए नहीं मिले। 

87 लाख मिले फिर भी नहीं बना पक्षी घर
गत कांगे्रस सरकार ने पक्षी पुर्नवास के नाम से बायोलॉजिकल पार्क में पक्षी घर बनाने के लिए 87 लाख रुपए का बजट दिया था। जिसका उद्देश्य रेस्क्यू होने वाले घायल पक्षियों का इलाज कर उनका संरक्षण व पुर्नवास करना है। लेकिन, वन्यजीव विभाग ने न तो एस्टीमेट बनाया और न ही टेंडर निकाले। नतीजन, वित्तीय वर्ष 2023-24 की समाप्ती के साथ यह बजट भी लैप्स हो गया।  तत्कालीन डीएफओ की उदासीनता के कारण न तो बजट का उपयोग हो सका और न ही बायोलॉजिकल पार्क में पक्षी घर बन सका।

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मैंने फरवरी 2024 में ज्वाइन किया था। तब तक अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में पक्षी घर बनाने के लिए मिले 87 लाख रुपए का बजट सरेंडर किया जा चुका था। इसी तरह पर्यटन विभाग द्वारा इंटरपिटेशन सेंटर बनाने के लिए 1.50 करोड़ रुपए दिए गए थे। जिसमें से वित्तिय वर्ष की समाप्ती तक कोई राशि खर्च नहीं की गई। ऐसे में गत मार्च माह में पर्यटन विभाग ने बजट विड्रोल कर लिया। अब हमारी तरफ से पार्क के विकास के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हमने पार्क के द्वितीय चरण के निर्माण कार्य के लिए 25 करोड़ का बजट मांगा है। 
- अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग कोटा 

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