सड़कों पर सांड मचा रहे उधम, गौशाला में जगह नहीं
लावारिस मवेशियों को निजी गौशालाओं में रखा जाए
कोटा उत्तर आयुक्त ने सभागीय आयुक्त व कलक्टर को लिखा पत्र।
कोटा। बरसात का सीजन शुरू होने के साथ ही शहर में मुख्य मार्गों पर जगह-जगह लावारिस पशुओं का जमघट लगा हुआ है। जबकि निगम की गौशालाओं में क्षमता से अधिक गौवंश होने से उन्हें रखने की जगह ही नहीं है। ऐसे में नगर निगम कोटा उत्तर के आयुक्त ने संभागीय आयुक्त व जिला कलक्टर को पत्र लिखकर लावारिस पशुओं को निजी गौशालाओं में रखने के लिए पाबंद करने को कहा है। शहर में वैसे ही सड़कों पर लावारिस मवेशियों का जमघट लगा रहता है। लेकिन बरसात होने पर यह संख्या अधिक दिखने लगी है। लेकिन हालत यह है कि नगर निगम की ओर से घेरा डालकर लावारिस पशुओं को पकड़ना लम्बे समय से बंद किया हुआ है। जिससे यह संख्या अधिक होती जा रही है।
गौशाला विस्तार के लिए जमीन का पत्र केडीए को
आयुक्त ने पत्र में लिखा कि गौशाला विस्तार के लिए नवीन भूमि आवंटन का पत्र नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा पूर्व में ही नगर विकास न्यास के सचिव को लिखा जा चुका है। गौरतलब है कि गौशाला विस्तार के लिए उसके पास ही करीब 25 बीघा भूमि आवंटित करने की डिमांड की जा रही है।
अधिक गौवंश होने से मौत का खतरा
नगर निगम कोटा दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना है कि गौशाला में वर्तमान में करीब 25 सौ और कायन हाउस में 300 से अधिक गौवंश है। यह पहले से ही क्षमता से अधिक है। ऐसे में बरसात के समय में यदि गौशाला व कायन हाउस में अधिक मवेशी रखे जाएंगे तो ये एक दूसरे से बचने के लिए भागते हैं। उस दौरान उनके फिसलकर गिरने का खतरा रहता है। जिससे उनके पैर में चोट लगने व बैठक लेने के बाद उनकी मौत होना निश्चित है। पूर्व में भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। सिंह ने बताया कि शिकायतों पर सांड तो रोजाना पकड़े जा रहे हैं। निगम अधिकारियों को कई बार कहने के बाद भी पहले से कोई व्यवस्था नहीं की गई। 15 बीघा जमीन पर निर्माण कार्य का टेंडर तक नहीं किया गया। जिससे 15 सौ गौवंश को रखा जा सकता था। 25 बीघा जमीन मिले तो गौवंश को रखा जा सकता है।
आयुक्त ने लिखा निजी गौशालाओं को करें पाबंद
नगर निगम कोटा उत्तर के आयुक्त अनुराग भार्गव ने दो दिन पहले संभागीय आयुक्त व जिला कलक्टर को पत्र लिखा है। जिसमें बताया कि नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण के लिए किशोरपुरा स्थित कायन हाउस व बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला है। जिनमें लावारिस गौवंश को निरूद्ध कर रखा जा रहा है। कायन हाउस व गौशाला का संचालन व रखरखाव कोटा दक्षिण निगम द्वारा किया जा रहा है। आयुक्त ने पत्र में लिखा कि नगर निगम कोटा दक्षिण की गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह द्वारा गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश होने का हवाला देते हुए सड़कों से गौवंश नहीं पकड़ने दिया जा रहा। ऐसी स्थिति में कोटा जिले की जिन निजी गौशालाअं के संचालन व रखरखाव के लिए सरकार द्वारा अनुदान राशि दी जाती है। उन गौशालाअं में निगम द्वारा अवाप्त गौवंश को छोड़ा जा सकता है। इसके लिए पशु पालन विभाग के संयुक्त निदेशक को पाबंद किया जाए कि निगम द्वारा पकड़े गए गौवंश को निजी गौशालाओं में रखा जाए।
निजी गौशालाओं को सौंपे 1100 गौवंश
समिति अध्यक्ष सिंह ने बताया कि गौशाला में पहले काफी अधिक संख्या में गौवंश थे। पूर्व जिला कलक्टर के आदेश से करीेब 11 सौ मवेशियों को जिले की 11 निजी गौशालाओं में शिफ्ट किया गया था।
निगम की गौशाला में पहले से ही क्षमता से अधिक गौवंश है। उसके बाद भी लगातार सडणकों से मवेशी पकड़ रहे हैं। शनिवार को ही शहर से 70 मवेशी पकड़े हैं। कोटा उत्तर आयुक्त का कहना सही है कि गौशाला में जगह की कमी है। निजी गौशालाओं में लावारिस गौवंश को रखा जा सकता है। शीघ्र ही प्रयास करेंगे कि सड़कों से मवेशियों को पकड़कर गौशाला में या अन्य स्थानों पर रखा जाए।
- महावीर सिंह सिसोदिया, उपायुक्त नगर निगम कोटा दक्षिण
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