रूस ने बनाई थी भारत पर कब्जे की योजना
भारत पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना भेज दी थी
एक समय ऐसा भी था रूस ने भारत पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना भेज दी थी। आज हम आपको वही कहानी बताएंगे और जानते हैं कि आखिर में क्या हुआ था।
मास्को। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दौरे पर रूस की राजधानी मॉस्को गए हैं। यात्रा के दूसरे दिन मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया, तो भारत और रूस की दोस्ती का उल्लेख किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि रूस को भारत के सुख-दुख का साथी बताया। पीएम मोदी ने कहा कि रूस शब्द सुनते ही हर भारतीय के मन में आता है- भारत के सुख-दुख का साथी, भारत का भरोसेमंद दोस्त। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत और रूस कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रूस और भारत की दोस्ती हमेशा से नहीं रही। एक समय ऐसा भी था रूस ने भारत पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना भेज दी थी। हम आपको वही कहानी बताएंगे और जानते हैं कि आखिर में क्या हुआ था।
रूस के पॉल प्रथम ने बनाई थी योजना
ये 19वीं सदी की बात है, जब बड़ी ताकतों के बीच आपसी तनाव अक्सर महत्वाकांक्षी योजनाओं को जन्म देते थे। ऐसे ही एक योजना में रूस ने ब्रिटिश शासन के अधीन भारत पर हमला करके कब्जा करने का इरादा बनाया था। साल 1801 में रूस के शासक जार पाल प्रथम ने ब्रिटिश शासित भारत पर कब्जे की दुस्साहसी योजना बनाई। पाल प्रथम भूमध्य सागर में एक छोटे से द्वीप को लेकर ब्रिटेन के मिले धोखे से नाराज था और बदला लेने की फिराक में था।
नेपोलियन से भी चली थी बात
पाल की योजना मध्य एशिया के रास्ते हुए भारत तक पहुंचने की थी, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। इसके लिए उसने फ्रांस के सैन्य शासक नेपोलियन बोनापार्ट को साथ लेने के बारे में फैसला किया। पॉल की योजना में रूस और फ्रांस की संयुक्त सेना भारत के लिए भेजना था। नेपोलियन की ब्रिटेन से दुश्मनी को देखते हुए पॉल को साथ आने की उम्मीद थी। इसके लिए नेपोलियन के साथ योजना पर चर्चा भी हुई। फ्रांसीसी शासक ने जब देखा कि इस लंबे रूट में उनके सैनिकों की मदद के लिए कोई बैकअप प्लान नहीं है, तो उसने योजना को आत्मघाती बताते हुए इससे हाथ खींच लिया।
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