उपाध्याय ऊर्जयन्त सागर मुनिराज का चातुर्मास के लिए हुआ भव्य मंगल प्रवेश
संतों का जीवन त्याग और तपस्या की जीती जागती मिसाल है। इसी का उदाहरण है जैन संतों की आहारचार्य जो दिन भर के 24 घंटे में सिर्फ एक बार होती है।
जयपुर। धर्म नगरी जयपुर के दक्षिणी संभाग प्रताप नगर सेक्टर 8 स्थित शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में उपाध्याय ऊर्जयन्त सागर मुनिराज का चातुर्मास हेतु भव्य मंगल प्रवेश विशाल लवाजमे के साथ हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनसे आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे। मुनि का पाद प्रक्षालन कर अपनी आने वाली पीढ़ियों को देने वाले संस्कारों के बारे में पूछकर धार्मिक चर्चाएं हुयी।
संतों का जीवन त्याग और तपस्या की मिसाल
संतों का जीवन त्याग और तपस्या की जीती जागती मिसाल है। इसी का उदाहरण है जैन संतों की आहारचार्य जो दिन भर के 24 घंटे में सिर्फ एक बार होती है। जैन मुनि अपने दोनों हाथों से श्रद्धालुओं से दिल में केवल एक बाहर आहार लेकर ग्रहण करते हैं। नवधा भक्ति के उपरांत ही जैन मुनि आहार ग्रहण करते हैं और आहार लेते वक्त यदि किसी प्रकार का अंतराए जैसे की बाल नाखून लिपस्टिक आदि कोई भी चीज यदि आहार में आ जाती है तो जैन मुनि अंतराल लेकर दिन भर निराहार ही गुजारकर अगले दिन अपनी आहारचार्य श्रद्धालुओं के हाथों से ग्रहण करते हैं।
चतुर्मास समिति मंत्री महेश सेठी ने बताया की उपाध्याय ऊर्जयन्त सागर ने आज सुबह अपनी विहार यात्रा दुर्गापुरा से प्रारंभ की और हल्दी घाटी मार्ग प्रताप नगर पहुंचे, वहां प्रताप नगर जैन समाज द्वारा उपाध्याय श्री की मंगल आगवानी की गई। भव्य शोभायात्रा के साथ पूज्य उपाध्याय श्री का चातुर्मास मंगल प्रवेश प्रारंभ हुआ। शोभायात्रा में हाथी घोड़े बग्गी ऊट सहित विभिन्न प्रकार के बैंड थे, साथ ही सतरंगी लहरिए में धर्म जागृति महिला मण्डल, विशुद्ध वर्धिनी बहु कला मण्डल पंक्तिबद्ध चल रहे थे। शांतिनाथ दिगंबर जैन महिला मंडल सदस्य मंगल कलश से सुशोभित थी। मार्ग में पाठशाला के बच्चो द्वारा मंगल वंदना प्रस्तुत की गई। शोभायात्रा मार्ग को स्वागत द्वारों से सजाया गया, जहां जहां समाज के प्रतिष्ठान और निवास आ रहे थे वहां पूज्य उपाध्याय का पाद प्रक्षालन और आरती की जा रही थी। शांतिनाथ दिगंबर जैन युवा मंडल के सदस्यों में मार्ग में उपाध्याय श्री की महामंगल आरती की।
वर्षायोग समिति के संयोजक पूरण गंगवाल ने बताया कि शोभायात्रा मंदिर पहुंच धर्म सभा में परिवर्तित हुई। समाज श्रेष्ठि अजीत पारस, निर्मल, प्रदीप बड़जात्या सवाई माधोपुर द्वारा चित्र अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया गया। जिनेन्द्र गंगवाल जीतू द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। धर्म सभा को पूज्य उपाध्याय ऊर्जयन्त सागर जी महाराज ने संबोधित किया।
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