बिजली कटौती पर जनता कर रही त्राहिमाम, आमजन के सवालों के जवाब मंत्री नहीं सीएमओ दे : गहलोत
ऊर्जा मंत्री को इस ओर ध्यान देना चाहिए,
बिजली कटौती के कारण ऊमस और मच्छरों से परेशान जनता जानना चाहती है कि पिछले आठ महीने से राजस्थान में बिजली और पानी की अव्यवस्था क्यों फैली हुई है।
जयपुर। कोयला ब्लॉक आवंटन पर राजस्थान और छत्तीसगढ़ के सीएम के विरोधाभासी बयानों पर सियासत जारी है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बयान पर ऊर्जा मंत्री के पलटवार पर अब गहलोत ने कहा है कि प्रदेश की जनता अघोषित बिजली कटौती से त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है। राजस्थान की जनता के मन में कुछ सवाल हैं जिनके जवाब ऊर्जा मंत्री नहीं बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय को देने चाहिए।
गहलोत ने कहा है कि ऊर्जा मंत्री को इस ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बिजली कटौती के कारण ऊमस और मच्छरों से परेशान जनता जानना चाहती है कि पिछले आठ महीने से राजस्थान में बिजली और पानी की अव्यवस्था क्यों फैली हुई है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ सीएम के बयानों पर विरोधाभास में मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्थान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर कोई जवाब नहीं देता है जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए। इन सवालों पर ऊर्जा मंत्री की ओर से जवाब आता है कि पीईकेबी की 91 हेक्टेयर भूमि की साइट क्लीयरेंस अनुमति पिछले वर्ष 12 दिसम्बर 23 को दे दी गई थी। इसमें से 26 हेक्टेयर भूमि 19 जनवरी और 30 हेक्टेयर भूमि 22 मार्च को राजस्थान सरकार को मिल गई। शेष 34 हेक्टेयर जमीन की क्लीयरेंस मिल गई है एवं ये जमीन जल्द राजस्थान सरकार को मिलेगी। बिजली मंत्री का दावा है कि मुख्यमंत्री राजस्थान के सोशल मीडिया पोस्ट में कुछ और अधूरे अनुरोधों के पूर्ण होने का निवेदन किया है जिस पर मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ ने ये जवाब दिया। राजस्थान की जनता के मन में कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब मुख्यमंत्री कार्यालय को देने चाहिए। गहलोत ने कहा कि अगर 91 हेक्टेयर भूमि के उपयोग की अनुमति दिसंबर 2023 में ही मिल गई तो 12 जुलाई को सोशल मीडिया पर पोस्ट क्यों किया गया।
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