अंग्रेजी भाषा के बढ़ते चलन से हिंदी की हो रही है उपेक्षा
कई राज्यों ने हिंदी में काम शुरू कर दिया है
इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई भी अंग्रेजी के साथ ही हिन्दी में भी शुरू हो गई है। कई राज्यों ने हिंदी में काम शुरू कर दिया है।
जयपुर। देश के बड़े-बड़े शहरों में अब भी अंग्रेजी भाषा का चलन बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते हिंदी की उपेक्षा हो रही है, जबकि वर्तमान समय में भी व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई इंग्लिश पर ही केंद्रित है। केन्द्र सरकार ने शिक्षा नीति -2020 के तहत स्थानीय और हिन्दी भाषा को ही आधार बनाया है। इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई भी अंग्रेजी के साथ ही हिन्दी में भी शुरू हो गई है। कई राज्यों ने हिंदी में काम शुरू कर दिया है।
हिंदी का नाम हिंदी कैसे पड़ा
आप सभी हिंदी दिवस के इतिहास के बारे में तो जान चुके हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर हिंदी भाषा का नाम हिंदी कैसे पड़ा। अगर नहीं तो चलिए आपको इसके बारे में भी बताते हैं। शायद भी आप जानते होंगे कि असल में हिंदी नाम खुद किसी दूसरी भाषा से लिया गया है। फारसी शब्द हिंद से लिए गए हिंदी नाम का मतलब सिंधु नदी की भूमि होता है। 11वीं शताब्दी की शुरुआत में फारसी बोलने वाले लोगों ने सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को हिंदी का नाम दिया था।
हिं दी हमारी गौरवपूर्ण पहचान की भाषा है। यह हमारे व्यक्तित्व को परिभाषित करने वाली भाषा भी है। हिंदी को लेकर जीवन में हीनता बोध से ग्रसित होने वाले यह भूल जाते हैं कि हिंदी ने ही उन्हें महानता की कोटि में पहुंचाया है। इसलिए अपनी भाषा पर हमें अभिमान होना चाहिए।
- डॉ. अजय अनुरागी, शिक्षक
हिन्दी मूलत: तद्भव स्वभाव की भाषा है। इसका आधार बोलियों का प्रयोग करने वाली जनता से निर्मित होता है। जितनी बोलियां उतने तरह की हिन्दी। इसीलिए हिन्दी के अस्तित्व को बहुवचन में समझना चाहिए। हिन्दी के बजाय हिंदियां कहना चाहिए।
- डॉ. विशाल विक्रम सिंह, हिन्दी विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय
हमें गर्व है कि हिंदी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। अब के युग में, आधुनिक तकनीक और वैश्विक मंचों पर हिंदी का उपयोग बढ़ रहा है, जो इसे न केवल जीवित रख रहा है, बल्कि उसे और भी समृद्ध बना रहा है।
- रेनू शब्दमुखर, टीचर
हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि अपनी भाषा का सम्मान और प्रचार-प्रसार करना हमारी जिम्मेदारी है। हिंदी की मिठास, सरलता और व्यापकता उसे विश्व की प्रमुख भाषाओं में स्थान दिलाती है।
- डॉ. प्रमिला दुबे, एसएसजी पारीक पीजी कॉलेज ऑफ एजुकेशन
Comment List