उपचुनाव में गोविंद डोटासरा-पायलट ने दिखाई सक्रियता, सरकार की कार्यप्रणाली को चुनौती देकर बनाई जीत की रणनीति

नेताओं ने पार्टी की जीत के लिए कमा किया

उपचुनाव में गोविंद डोटासरा-पायलट ने दिखाई सक्रियता, सरकार की कार्यप्रणाली को चुनौती देकर बनाई जीत की रणनीति

कांग्रेस के नेताओं ने पिछले एक सप्ताह में सभी सीटों पर करीब 35 चुनावी सभाएं कर के कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में जीत का माहौल बनाने की रणनीति बनाने पर काम किया।

जयपुर। विधानसभा उपचुनाव की सात सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अपनी रणनीति के अनुसार तूफानी दौरे किए। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट की सर्वाधिक सक्रियता के बीच पूर्व सीएम अशोक गहलोत के अनुभव की रणनीति से दर्जन भर नेताओं ने पार्टी की जीत के लिए कमा किया। कांग्रेस के नेताओं ने पिछले एक सप्ताह में सभी सीटों पर करीब 35 चुनावी सभाएं कर के कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में जीत का माहौल बनाने की रणनीति बनाने पर काम किया।

चुनावी दंगल में इन कांग्रेसी दिग्गजों ने ठोकी ताल
पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा दौसा और देवली-उनियारा में प्रत्याशियों की नामांकन सभा में पहुंचे, तो पायलट ने दौसा, देवली-उनियारा, रामगढ़ जैसी सीटों पर चुनावी सभाओं के अलावा गांवों में जनसंपर्क किया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने रामगढ़ सीट पर आखिरी तक धुंआधांर प्रचार किया। पूर्व मंत्री डॉ.रघु शर्मा, प्रताप सिंह खाचरियावास, अशोक चांदना, सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, संजना जाटव, भजनलाल जाटव, बृजेन्द्र ओला, हरीशचन्द्र मीणा, मुरारीलाल मीणा, कुलदीप इंदौरा सहित स्थानीय नेताओं ने मोर्चा संभाला। 

बागियों से निपटने के अलावा जातिगत समीकरण साधने में जुटे
भाजपा की तुलना में कांग्रेस के पास बागियों और भीतरघात करने वालों की चुनौती बड़ी रही। देवली-उनियारा में बागी नरेश मीणा और झुंझुनूं में पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने चुनौती बढ़ाई। खींवसर में भी लोकसभा में गठबंधन सहयोगी आरएलपी पार्टी से चुनौती सामने आई। रामगढ़ में भीतरघात का डर बना रहा तो चौरासी और सलूम्बर में स्थानीय नेताओं की मनाने में कांग्रेसी दिग्गजों को कमान सौंपी। दौसा और देवली-उनियारा में जातिगत समीकरण साधने के लिए पायलट को मैदान में उतारा गया, तो झुंझुनूं में पायलट और डोटासरा ने रणनीति बनाई। खींवसर, चौरासी और सलूम्बर में डोटासरा ने मुख्यत: कमान संभाली तो रामगढ़ में टीकाराम जूली और भंवर जितेन्द्र सिंह ने जिम्मेदारी उठाई। बागियों को मनाने में कांग्रेस दिग्गज नाकामयाब रहे और भीतरघात वाले नेताओं से डेमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी डोटासरा, पायलट और जूली के पास रही। 

सरकार की कार्यप्रणाली को मुख्य हथियार बनाया
दौसा, देवली-उनियारा, झुंझुनूं और रामगढ़ में उपचुनाव से पहले कांग्रेस के विधायक थे, यहां विशेष रणनीति बनाई गई। कांग्रेस रणनीतिकारों ने मुख्य रूप से भजनलाल सरकार के पिछले 11 महीने के कार्यकाल में विफलताओं को मुद्दा बनाया और सरकार पर चिकित्सा, शिक्षा, कानून व्यवस्था, सड़क, बिजली, पानी के हर मुद्दे पर फेल होने का आरोप लगाया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की योजनाओं को समीक्षा के नाम पर बंद करने का क्षेत्र में प्रचार किया। 

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