30 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों से प्रदेश के हर जिले को उड़ान की उम्मीदें
निवेश एमओयू को धरातल पर उतारना किसी चुनौती से कम नहीं
बारां में लहसुन यूनिट, झालावाड़ में सोयाबीन प्लांट, झुंझुनूं में तैयार होंगे पायलट और नौ जिलों में लगेंगे ऊर्जा उत्पादन प्लांट
जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल सरकार के पहले साल में ही राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट में 30 लाख करोड़ के निवेश एमओयू प्रस्तावों से पहली बार हर जिले में उड़ान की उम्मीदें जगी है। हर जिले में समिट से पहले प्री-समिट के जरिए एमओयू किए गए, लेकिन राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकारों के समय इंवेस्टमेंट समिट होती रही है, उनमें एमओयू के बाद आखिर तक धरातल पर उतरने वाले निवेश का आंकड़ा निराशाजनक रहा है, अर्थात प्राइमरी तौर पर होने वाले एमओयू में से 32 से 50 फीसदी का तो करार ही खत्म हो जाता है। ऐसे में भजनलाल सरकार के लिए जिलेवार किए गए निवेश एमओयू को धरातल पर उतारना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। राजस्थान में अब
तक भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने इंवेस्टमेंट समिट की, लेकिन होने वाले एमओयू में 32 से 50 फीसदी करार होते रहे हैं खत्म
किस जिले में किस पर फोकस
पर्यटन सेक्टर में
जयपुर, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौडगढ़, ब्यावर में सीमेंट प्लांट
अक्षय ऊर्जा सेक्टर
जैसलमेर, फलौदी, नागौर, जालौर, बीकानेर, जोधपुर, झुंझुनूं में सौर ऊर्जा प्लांट, सिरोही में एनर्जी प्लांट
ग्रीन हाइड्रोजन
कोटा में ग्रीन हाइड्रोजन यूनिट, अलवर-सीकर में मेडिकल कॉलेज, भिवाड़ी में आईटी सिटी, चूरू में यूनिवर्सिटी, जोधपुर में फुटवियर उद्योग
कृषि प्रोसेसिंग
बारां में लहसुन प्रोसेसिंग, श्रीगंगानुर में कृषि उद्योग, उदयपुर में कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट, नीमकाथाना में एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट, हनुमानगढ़ में फूड प्रोडक्ट प्लांट, झुंझुनूं में ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट
पुराने अनुभवों के बाद इस बार नया क्या
भजनलाल सरकार ने पुराने इंवेस्टमेंट समिट के अनुभवों को देखते हुए इस बार खास कार्य योजना तैयार की है, अर्थात ब्यूरोक्रेसी के सभी आईएएस अधिकारियों को एक-एक देश का जिम्मा सौंपा गया है, जो पांच साल तक उसी देश के साथ संपर्क स्थापित करते हुए निवेश को धरातल पर उतारने का काम करेंगे। जिस आईएएस को जिस देश का जिम्मा दिया गया है, उस देश के साथ होने वाले एमओयू की 50 प्रतिशत तक प्रोग्रेस लाना उस आईएएस की परफोर्मेंस भी तय करेगा।
जिला एमओयू निवेश
(करोड़ में)
जयपुर शहर 194 40949
जयपुर ग्रामीण 55 4153
जोधपुर शहर 60 6391
जोधपुर ग्रामीण 152 4351
कोटा 106 6802
डूंगरपुर 63 1149
बाड़मेर 115 2250
बांसवाड़ा 52 8936
धौलपुर 31 806
हनुमानगढ़ 91 1447
जैसलमेर 79 26029
सवाईमाधोपुर 36 1121
बालोतरा 105 2274
झालावाड़ 39 554
बारां 46 584
उदयपुर 177 11429
चूरू 93 2421
पाली 135 4074
प्रतापगढ़ 62 428
राजसमंद 106 5535
चित्तौडगढ़ 186 5924
करौली 47 1002
नागौर 95 4396
सलूंबर 6 241
जालौर 146 11695
गंगापुरसिटी 100 927
कोटपूतली-बहरोड 122 1068
भरतपुर 59 1446
केकड़ी 239 3071
अजमेर 147 1961
भीलवाड़ा 143 10349
बीकानेर 131 31362
अलवर 93 1990
टोक 81 1496
दौसा 88 1497
पिछले दो समिट में क्या रहा
गहलोत सरकार
पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के चौथे साल में इंवेस्ट राजस्थान समिट हुआ। इसमें 12.53 लाख करोड़ के 4195 एमओयू किए गए। इसमें से निवेश 25,975 करोड़ का आया अर्थात केवल 2.07 प्रतिशत। इसमें हुए एमओयू में क्रियान्विति 18 प्रतिशत की हुई, प्रक्रियाधीन 19 प्रतिशत और चार प्रतिशत एमओयू अधूरे रहे। इसके साथ ही 50 फीसदी करार खत्म हुआ।
वसुंधरा सरकार
वर्ष 2015 में वसुंधरा राजे सरकार ने रिसर्जेंट राजस्थान समिट की। इसमें 3.37 लाख करोड़ के 470 एमओयू हुए, लेकिन निवेश 33 हजार करोड़ का ही आ सका अर्थात 10 प्रतिशत। इसमें हुए एमओयू में क्रियान्विति 30.46 प्रतिशत की हुई। प्रक्रियाधीन 22.07 प्रतिशत और 14.4 प्रतिशत अधूरे रहे। इसके साथ ही 32.85 प्रतिशत एमओयू का करार खत्म हुआ।
क्यों नहीं धरातल पर उतरते एमओयू
विभिन्न एक्सपर्ट के अनुसार एमओयू होने के बाद जिस तरह से दूसरे राज्यों में उनकी मॉनिटरिंग नियमित होती है, उससे ज्यादातर निवेशक रूचि लेते हुए धरातल पर अपना कारोबार शुरू कर देते है, लेकिन राजस्थान में अब तक इसका अभाव रहा है। निवेश एमओयू के बाद निवेशकों को कई तरह की अड़चनों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण निवेशक रूचि नहीं ले पाते है।
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