राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मामला संसद में गूंजा : सांसद नीरज डांगी ने कहा- भाषा को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मिलेगी मदद
विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी होंगे पैदा
राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मामला संसद दिल्ली में मंगलवार को गूंजा। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने मामले को उठाते हुए राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। डांगी ने कहा कि अन्य प्रदेशों की तर्ज पर राजस्थानी भाषा को भी संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत आठवीं अनुसूची में आधिकारिक भाषा की मान्यता दी जाए, जिससे राजस्थानी भाषा को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मदद मिल सके।
जयपुर। राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मामला संसद दिल्ली में मंगलवार को गूंजा। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने मामले को उठाते हुए राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। डांगी ने कहा कि अन्य प्रदेशों की तर्ज पर राजस्थानी भाषा को भी संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत आठवीं अनुसूची में आधिकारिक भाषा की मान्यता दी जाए, जिससे राजस्थानी भाषा को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में मदद मिल सके। साथ ही शिक्षा, मनोरंजन और सरकारी प्रशासन सहित विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय अगस्त 2023 में राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भिजवाया हुआ है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 346 और 347 के अपबंधों के अधीन रहते हुए किसी राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा उस राज्य में प्रयोग होने वाली किसी एक या एक से अधिक भाषाओं को उस राज्य के सभी या किन्हीं शासकीय परियोजनाओं के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा या भाषाओं के रूप में अपना सकता है। परंतु जब तक राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करें तब तक राज्य के भीतर उन राजकीय परियोजनाओं के लिए उस भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

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